वैदिक ज्योतिष में हंस योग – कुंडली में हंस योग और जातक पर पड़ने वाले प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में हंस योग - कुंडली में हंस योग और जातक पर पड़ने वाले प्रभाव

किसी कुंडली के अध्ययन और उसके सटीक आंकलन के लिए किसी भी विद्वान ज्योतिष को कुंडली में बन रहे योगों का ज्ञान होना अनिवार्य है। ये योग जीवन पर्यान्त अध्ययन का विषय है। कुंडली में लगातार योग की स्थितियों का आंकलन ही सटीक फलादेश जानने का उपाय है। योग को सामान्य शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता। क्योंकि कुंडली में बनने वाली विभिन्न स्थितियां ही योग कहलाती है। इसमें किसी विशेष स्थान पर किसी विशेष ग्रह की मौजूदगी अथवा दो या दो से अधिक ग्रहों का परस्परिक दृष्टि संबंध अथवा दो या दो से अधिक ग्रहों के संयोग आदि शामिल है। वैदिक ज्योतिष में कई तरह के योगों का उल्लेख मिलता है। फिलहाल हम कुंडली के विभिन्न भाव में गुरू की स्थिति से निर्मित होने वाले हंस योग की बात करेंगे।
हंस योग को समझने से पहले हमें पंचमहापुरूष योग के बारे में समझना चाहिए। पंचमहापुरूष योग पांच प्रमुख ग्रहों के विभिन्न भावों में स्थित होने से बनता है। इन पंचमहापुरूष ग्रहों में मंगल रूचक योग,वैदिक ज्योतिष में हंस योग – कुंडली में हंस योग और जातक पर पड़ने वाले प्रभाव बुध भद्र योग, गुरू हंस योग, शुक्र माल्व्य योग और शनि शश योग का निर्माण करते है। इसके अलावा भी अन्य कई योग का उल्लेख हमें वैदिक ज्योतिष में मिलता है। लेकिन फिलहाल हम पंचमहापुरूष में से एक गुरू की स्थिति से निर्मित होने वाले हंस योग की स्थिति जानने का प्रयास करेंगे। हम जानेंगे हंस योग क्या है ? कुंडली में हंस योग कैसे बनता है और हंस योग के प्रभाव जातक के जीवन को कैसे प्रभावित करते है।

ज्योतिष कें हंस योग क्या है ?

ज्योतिष में गुरू को बेहद ही शुभ और लाभकारी ग्रह माना गया है, जब कुंडली के केंद्र अथवा मूल त्रिकोणी में धनु, मीन या कर्क राशि में गुरू विराजमान हो वह हंस योग कहलाता है। हंस योग बेहद दुर्लभ और शुभ योग है। इस योग के प्रभाव में जातक को गुरू के सभी सकारात्मक गुणों का लाभ मिलता है और कुंडली के सभी नकारात्मक प्रभाव मंद पड़ जाते है। कुंडली में हंस योग की स्थिति को समझने के लिए हम एक अन्य परिभाषा का उपयोग करते है। जब गुरू, धनु, मीन या कर्क राशि में से किसी एक में हो और केंद्र अथवा मूल त्रिकोणी में विराजमान हो तब यह स्थिति हंस योग कहलायेगी। हंस योग की क्षमता गुरू के अन्य ग्रहों से संबंध और उनके प्रभावों पर भी निर्भर करती है। यदि गुरू किसी कुंडली में हंस योग की स्थिति में बैठे हो तब उन पर मंगल, शनि, राहु या केतु की दृष्टि अथवा उनसे कोई नकारात्मक संबंध नहीं बन रहा हो तब हंस योग के अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। इसी के साथ हंस योग बना रहे गुरू का कुंडली के छठवे, आठवें अथवा बारहवें भाव के स्वामी के साथ कोई नकारात्मक संबंध नहीं होना चाहिए। हंस योग के प्रभावों का अध्ययन करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए की कहीं गुरू वक्री तो नहीं अन्यथा हंस योग से अपेक्षित लाभ मिलने की संभावना कम है। हंस योग से अपेक्षित लाभ के लिए मंडल चार्ट में गुरू को पर्याप्त शक्ति मिलनी चाहिए। कुंडली में हंस योग का आंकलन करते समय इन सिद्धांतों का पालन करते हुए इस बात का भी विशेष ध्यान रखें की हंस योग मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, धनु और मीन जैसी चर लग्न राशि वाले जातकों के लिए अधिक फलदायी होगा। हंस योग योगियों, आध्यात्मिक गुरू, मनोयोगी, साधक, ज्योतिषियों, व्यापारियों, कलाकारों, वित्तीय गतिविधियों में शामिल लोगों, शास्त्रीय ज्ञान की खोज करते जीवन के छात्रों के लिए अधिक उपयोगी और सार्थक होगा। कम शब्दों में कहें तो गुरू के प्रभावों से जुड़े क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए हंस योग अधिक उपयोगी सिद्ध होता है।

जातक पर हंस योग के प्रभाव

– जिन जातकों की कुंडली में हंस योग होता है, उन्हे लोगों से राजा, बड़े राजनेता अथवा किसी बड़े सरकारी अधिकारी की तरह सम्मान मिलता है।
– कुंडली में हंस योग की स्थिति बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि, आदर्शवादी विचार, लोकप्रियता और प्रभावी व्यक्तित्व प्रदान करती है।
– हंसयोग के प्रभाव गुरू की दशा अथवा महादशा में अधिक वांछित परिणाम प्रदान करेंगे।
– हंस योग की ऊर्जा उन्हे महान और धार्मार्थ बनाने का कार्य करती है। वे समाज के कमजोर और दबे कुचले लोगों के साथ समाज और मानवता के लिए महान और रचनात्मक कार्य कर सकते है।
– कुंडली में हंस योग की स्थिति जातक को नाम, शोहरत, पैसा, लोकप्रियता और आनंद प्रदान करती है। वे विलासिता से भरा जीवन जीते है लेकिन उनका धार्मिक, आध्यात्मिक और धर्मार्थ कार्यों के प्रति मजबूत झुकाव होता है।
– ऐसे जातक किसी आध्यात्मिक या धार्मिक संगठन में किसी बड़े दर्जे पर रहकर समाज सेवा का कार्य कर सकते है।
– हंस योग जातक को धरातल पर प्रगति प्रदान करता है। ऐसे जातक व्यवसाय, रचनात्मक कार्यों, आध्यात्मिक अथवा ज्योतिषीय क्षेत्र में प्रभावी कार्य कर सकते है। हंस योग वाले जातक गुरू के प्रभाव वाले कार्यों में महारथ और प्रसिद्धि प्राप्त करते है।
– कुंडली में हंस योग के प्रभाव से जातक हष्ट – पुष्ट, सुंदर मुखाकृति, तंदरूस्त और स्वस्थ्य होता है। ऐसे जातकों को स्वादिष्ट भोजन करने का शौक होता है।ऐसे लोगों की फ़ेहरिस्त बड़ी लंबी है जिनकी कुंडली में हंस योग के प्रभाव देखें गये और इन लोगों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े बड़े योगदान भी दिये। इनमें जय ललिता, बेन एफ्लेक, के एन राव, हरिवंश राय बच्चन, एपीजे अब्दुल कलाम, फारूख अब्दुल्ला, इंद्र कुमार गुजराल, पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी सिंह सहित कई अन्य बड़े नाम शामिल है। कुछ आचार्य, ज्योतिष और संत महात्माओं के अनुसार भगवान राम और कृष्ण के व्यक्तित्व और आचरण मे हंस योग के प्रभाव देखने को मिलते है।

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