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नक्षत्र – शतभिषा

रंगः नीला, हरा
भाग्यशाली अक्षर ः ग और स

शतभिषा नक्षत्र के पीठासीन देवता वरुण हैं,जो आकाशिय पानी के वैदिक देवता है, और इसका प्रतीक एक खाली चक्र है | इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु हैं | यह शारीरिक और आध्यात्मिक दोनो तरह से उपचारित करता हैं | इसके प्रतीक खाली चक्र का अर्थ शून्य भी हैं | और पर्दा माया की ओर संकेत करता हैं जो दुनिया की भूल भुलैया को बताता हैं | या एक लबादा है जो रहस्यमय हैं | इनका स्वभाव असमंजस में रहने का होता हैं |ये उत्कृष्ट स्मृति, बुद्धि, और दक्षता से धन्य होते हैं | रहस्यमय, दार्शनिक और वैज्ञानिक – उच्च सैद्धांतिक ये जिस पर विश्वास करते हैं उसे पाने के लिए पृथ्वी के अंत तक चलते हैं | ये चिकित्सक और उपचारक होते हैं | ये गुप्त और एकांतप्रिय होने के साथ साथ मूडी, उदास, स्वच्छंद और जिद्दी हो सकते हैं | और खुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं | यहाँ व्यापार में भयंकर उलटफ़ेर हो सकता हैं क्योंकि ये बेहद महत्वाकांक्षी होते हैं और बोलने में बहुत असंवेदनशील,यद्यपि सच्चे होते हैं यह इन्हे अपने शुभ चिन्तको से दूर कर देता हैं | शतभिषा में उपस्थित चंद्रमा स्वत्वाधिकार और स्वतंत्र होता हैं | कब्र, पुरानी और लाइलाज बीमारियां, अधिक मदिरा पीने से उत्पन्न रोग शतभिषा के अंतर्गत आते हैं | बहरहाल, स्वास्थ्य के मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिये थोड़ी सी भी वेदना इनका शरीर बर्दाश्त नहीं कर सकता हैं | मधुमेह, मूत्र समस्या और साँस लेने में मुसीबत के अलावा, यौन संक्रमण आदि समस्या उत्पन्न हो सकती हैं | पेशे से ये खगोल विज्ञान, ज्योतिष, विमान, ग्रह, चिकित्सा, पुराने रोगों के लिए उपचार आदि में शामिल हो सकते हैं |

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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