गोमुखासन करने से पहले जानें ये महत्वपूर्ण बातें

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और धनी सभ्यताओं में से एक है। भारतीय दर्शन में अनेक गहरे राज छिपे हुए हैं,जिनमें योग, आसान और मुद्राएं सबसे महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखी जाती हैं, ऐसा शायद इसलिए क्योंकि इन क्रियाओं के माध्यम से हम न सिर्फ खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वास्थ्य रख पाते हैं, बल्कि ऐसा करने से हम अपने समाज और अन्य लोगों के लिए अधिक योगदान दे पाते हैं। महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित हठ योग आज अनेक छोटे-छोटे रूपों में विश्वभर में परिवर्तन लाने का काम कर रहा है। हठ योग के विभिन्न प्रकार शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक असंतुलन को संतुलित करने के साथ ही जीवन को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप जिस भी उद्देश्य से इन आसनों का अभ्यास करें, अंत में आपको अपने जीवन में इनका सकारात्मक परिणाम जरूर देखने को मिलेगा। इन्हीं हठयोग आसनों में से एक महत्वपूर्ण आसन गोमुखासन है। इस लेख के माध्यम से हम गोमुखासन से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां आपके साथ शेयर करने वाले हैं। हम जानेंगे गोमुखासन क्या है?(What is Gomukhasana?), गोमुखासन कैसे करें (How to do Gomukhasana), गोमुखासन की विधि (Method of Gomukhasana) और गोमुखासन के लाभ (benefits of Gomukhasana in hind) या फायदों के बारे में। 

गोमुखासन क्या है (Gomukhasana information)

गोमुखासन के बारे में अधिक जानने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि गोमुखासन क्या है? तथा इसके नाम के पीछे क्या राज है? योग शास्त्र में वर्णित गोमुखासन एक सरल और प्रभावी आसन है। इस आसन का अभ्यास किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। योग अभ्यास के तौर पर बहुत ही साधारण-सा दिखने वाला यह आसन, शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी बताया गया है। संस्कृत शब्द गोमुखासन, जिसका सामान्य अर्थ गाय के मुख के समान आसन से है। इस आसन का अभ्यास करते समय व्यक्ति के शरीर की आकृति, गाय के चेहरे के समान दिखाई देती है। यही कारण है कि इस आसन को गोमुखासन के नाम से जाना जाता है। हठ योग के इस आसन को अंग्रेजी में काऊ पोज (Cow Face Pose) के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में गाय को बेहद पवित्र जीव माना गया है, शास्त्रों के अनुसार गाय के अंदर सभी देवी देवताओं का वास होता है। शास्त्रों में इस उल्लेख के पीछे शायद गाय और उससे प्राप्त होने वाली वस्तुओं की उपयोगिता एक महत्वपूर्ण वजह है। ठीक इसी प्रकार गोमुखासन का अभ्यास भी साधक के शरीर को कई तरह से लाभान्वित करने का कार्य करता है।

गोमुखासन की विधि (Method of Gomukhasana)

किसी भी आसान के लिए सबसे पहले शांत और शुद्ध वातावरण वाले स्थान का चुनाव करें। वहां एक योगा मेट बिछाकर बैठ जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ नितम्ब के पास सटाकर रखें। अब दाएं पैर को भी बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं तथा दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें। सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर रखें। इस स्थिति में कम से कम 2 मिनट रुकें। फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। इसके बाद 2 मिनट तक आराम करें और पुनः आसन को करें। यह आसन दोनों तरफ से 4-4 बार करना चाहिए। सांस सामान्य रखें।

पाॅइंट में जानें गोमुखासन की विधि-

– गोमुखासन का अभ्यास करने के लिए किसी ऐसे स्थान का चुनाव करें,जो स्वच्छ, शांत और खुला हो।

– सबसे पहले जमीन पर योगा मेट डालकर सामान्य स्थिति में बैठ जाएं।

– फिर अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़ कर, अपने दाएं नितंब (हिप्स) के नीचे रखें।
– इस स्थिति में बाएं पैर के घुटने से लेकर उंगलियों तक का भाग फर्श से जुड़ा होना चाहिए।
– दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर अपनी बायीं जांघ पर रखें, इस अवस्था में ध्यान दें कि दोनों घुटने ठीक एक-दूसरे के ऊपर आने चाहिए।
– बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर पीठ के पीछे ले जाएं और दाहिने हाथ को दाहिने कंधे के ऊपर से ले जाकर नीचे की तरफ यानी जिस दिशा में आपका बायां हाथ हो, खींचने का प्रयत्न करें।
– इन दोनों हाथों को पीठ के पिछले हिस्से में ही, एक-दूसरे से मिलाने की कोशिश करें, मिलते है तो ठीक है, नहीं तो नियमित अभ्यास से ये मिल जाते हैं।
– अभ्यास के समय अपने मेरुदंड, छाती और सर को तानकर रखे और लंबी एवं गहरी श्वास लें।
– जब तक इस आसन में रुक सकते हैं, रुकने का प्रयास करें। अभ्यास के दौरान अपने ध्यान को श्वास-प्रश्वास पर लगाएं और अपने कंधे, जांघ और कमर में खिंचाव को महसूस करें।
– अधिक जोर जबरदस्ती से इसे ना करें; शुरुआती समय में अगर दोनों हाथों का मिलान संभव ना हो पाए, तो किसी इलास्टिक से बने कपड़े को दोनों हाथों से पकड़कर इसका अभ्यास करें।

– नियमित अभ्यास से आप दोनों हाथों को सरलता के साथ मिला पाएंगे। ये गोमुखासन की एक आवृति हो गई।

– इसी क्रिया को अब अपने दूसरे पैर एवं हाथ के साथ भी करें।

– शुरुआत में गोमुखासन का अभ्यास 40 से 60 सेकंड तक ही करें, फिर जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढ़ता जाए, समयावधि को बढ़ाते जाएं।

गोमुखासन के फायदे (Gomukhasana ke fayde)

इस योग को करने के अनेक लाभ हैं। आइये Gomukhasana
के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

– मधुमेह, सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने एवं मांसपेशियों को मजबूत बनाने में इस आसन का विशेष योगदान होता है। छाती की मांसपेशियों पर असर होने की वजह से ही रक्त संचार सुचारू होता है तथा कफ, अस्थमा आदि की समस्या भी दूर हो जाती है।

– शारीरिक श्रम की कमी के कारण हाथों का सही तरीके से व्यायाम नहीं होता, फलस्वरूप कंधों के पास जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। गोमुखासन के अभ्यास से जोड़ों में रक्त संचार होने लगता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

– सबसे पहले इस आसन का प्रभाव पैरों के घुटने तथा जांघों पर पड़ता है। आज कल शरीर के बेढंग तरीके से बढ़ने तथा घुटनों में दर्द की समस्या आम हो गई है। ऐसे में गोमुखासन का नियमित अभ्यास नितंबों तथा जांघों को सुडौल व मजबूत बनाता है।

– फिशर, बवासीर, मल- मूत्र के स्थान पर किसी भी बीमारी को दूर कर स्वास्थ्य बढ़ाने के लिए नियमित गोमुखासन वरदान सिद्ध हो सकता है। स्त्रियों में मासिक धर्म तथा पुरुषों में अन्य लैंगिक समस्याओं को दूर करने में भी यह आसन लाभकारी है।

– पीठ में दर्द तथा हृदय के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है, क्योंकि गोमुखासन के अभ्यास से अनाहत चक्र सक्रिय होने लगता है। अनाहत चक्र का सक्रिय होना अर्थात ऊर्जा तथा रक्त प्रवाह का बढ़ जाना, जो किसी भी समस्या अथवा बीमारी को दूर करने में सक्षम है।

गोमुखासन के दौरान बरतें ये सावधानियां

किसी भी आसन या प्राणायाम को करते समय कुछ सावधानियां बरतनी बेहद आवश्यक होती है। यदि किसी आसन को सही तरीके से नहीं किया जाता तो इसके लाभों की बजाए नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। तो आइये जानते हैं गोमुखासन के दौरान बरती जाने वाली कुछ सावधानियां।

– अगर गोमुखासन (Gomukhasana) करते समय आपको किसी तरह की कठिनाई या दर्द महसूस हो तो आसन नहीं करने की सलाह है।

– हाथों को पीछे ले जाते समय कंधों और हाथों में दर्द हो तो आसन को न करें।
– रीड की हड्डी में किसी प्रकार का दर्द होने पर भी आसन न करें।
– घुटने और मांसपेशियों में दर्द महसूस होने पर आसन को न करें।
– मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों को गोमुखासन का अभ्यास करते समय थोड़ी सी मुश्किल हो सकती है, परंतु घबराएं नहीं, नियमित अभ्यास आपको हर मुश्किल को पार करने में मदद करेगा।
– कंधे, गर्दन, एवं घुटने की चोट या दर्द से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को करने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।
– गंभीर पीठदर्द से पीड़ित लोग गोमुखासन का अभ्यास करने से बचें।

कम शब्दों में

गोमुखासन बहुत ही आसान और सरल योग है। बस आपको रोजाना इतना करना है कि कुछ मिनट निकालकर इसका अभ्यास करें। आज की आधुनिक जीवन शैली के हिसाब से बेहतर और निरोगी शरीर के लिए योग बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर योग तथा इसकी मुद्राओं का ठीक से अभ्यास नहीं किया गया तो इसके फायदे के बजाए नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। बस आपको इतना करना है कि हमारे लेख को पढ़कर इसका सही से उपयोग और अभ्यास करना है।

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