शिशुआसन (बालासन) मुद्रा के साथ आराम करें

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हम सभी रातों रात सफलता चाहते हैं। हमें इंतजार करना पसंद नहीं होता। जैसे-जैसे मानव सभ्यता बढ़ रही है, धैर्य का स्तर कम होता जा रहा है। हम रोजाना नए लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, लेकिन इस सफलता की कीमत शरीर को चुकानी पड़ती है। शरीर को आराम की जरूरत होती है। हम शुरुआती चेतावनियों को नजरअंदाज कर देते हैं, जब तक हमें अहसास होता है, तब तक अक्सर देर हो चुकी होती है। कम नींद और ज्यादा शारीरिक और मानसिक कार्य आपको थका हुआ, उत्तेजित, तनावग्रस्त महसूस करा सकता है और अंतत: कई प्रकार की जीवनशैली संबंधित बीमारियां दे सकता है। हम इतने व्यस्त हैं कि हम इलाज चाहते हैं, लेकिन निवारक उपाय के बारे में नहीं सोचते। अभी भी सोच – विचार चल रहा है? योग विकल्पों में से एक हो सकता है।

योग के कई फायदे हैं। योग संस्कृत के प्राचीन शब्द “युज” से आया है, जिसका अर्थ है शामिल होना या एकजुट होना। योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि तनाव प्रबंधन और कई अन्य पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए भी विज्ञान द्वारा समर्थित है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार योग के नियमित अभ्यास से शरीर और मन एकाकार होते हैं। यह मानव शरीर और कुदरत के बीच सामंजस्य बनाने में भी मदद करता है। अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग मुद्राएं हैं। इन्हीं में से एक है शिशुआसन, जिसे बालासन भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे बेबी पोज कहते हैं, जबकि विशेषज्ञ इसे बाल मुद्रा भी कहते हैं। आइए इस बाल मुद्रा के बारे में थोड़ी चर्चा करते हैं।

बाल मुद्रा का महत्व

बालासन सबसे महत्वपूर्ण विश्राम मुद्रा हो सकती है। स्ट्रेचिंग वाले हिस्सों पर बहुत अधिक भार डाले बिना शरीर के विभिन्न हिस्सों को स्ट्रेच करने का यह एक आसान तरीका है। इसे अक्सर पुनर्स्थापित मुद्रा (रीसेट पोज) कहा जाता है। शरीर खुद को रीसेट करता है और अन्य गतिविधियां करना बंद कर देता है, सांस को फिर से जोड़ता है और शरीर को आगे बढ़ने के लिए सेट करता है। योग विशेषज्ञ अक्सर विनयसा अनुक्रम जैसे कई तेज गति वाले अभ्यासों के बाद इस मुद्रा को विराम के रूप में सुझाते हैं। यह कोबरा और अन्य दूसरी बैक एक्सटेंशन के लिए एक काउंटर पोज है। जाने-माने योग विशेषज्ञों से जानें कि आपकी किस बीमारी के लिए कौन-सी योग मुद्रा करनी है।

बालासन योग मुद्रा कैसे करें?

बालासन में बहुत सारे संशोधन हैं, लेकिन सामान्य रूप वही रहता है। इस मुद्रा को करने से पहले आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि आपको कितनी देर तक बाल मुद्रा को धारण करना चाहिए? जैसा कि पहले बताया गया है कि यह एक आराम करने वाली मुद्रा है, इसलिए योग करने वालों की सुविधा और स्तर के अनुसार इस मुद्रा को 30 सेकंड से कुछ मिनट तक धारण किया जा सकता है। आमतौर पर 1 से 3 मिनट पर्याप्त होने चाहिए। बाल मुद्रा बच्चों का खेल है। नीचे बताए अनुसार निर्देशों का पालन करें।

-अपने हाथों और घुटनों के बल चटाई पर आएं।
– घुटने अलग-अलग फैले हुए हों, जितना हो सके फैलाओ। पैरों के शीर्ष को फर्श पर रखते हुए पैरों की सबसे बड़ी उंगलियां एक-दूसरे को छूनी चाहिए।
– पेट को जांघों के ऊपर रखें और माथे को फर्श पर टिका दें। यदि आपका माथा फर्श तक नहीं पहुंच पा रहा है, तो कोई चीज सामने रख लें, जिस पर अपना सिर टिका सकें। कंधों, जबड़ों और आंखों की मांसपेशियों को आराम देना चाहिए। योग के अनुसार, दोनों भौहों के बीच में माथे के ठीक बीच में एक ऊर्जा बिंदु होता है। यह वेगस तंत्रिका को संवेदनशील बनाता है और पाचन प्रतिक्रिया का समर्थन करता है। इस प्रकार प्रमुख फोकस माथे पर इसलिए होता है कि आराम की सही स्थिति खोजी जाए।
-हाथों को कई तरह से फैला सकते हैं। सिर की स्थिति के अनुरूप हाथ को सीधा फैला सकते हैं। हथेली को फर्श की ओर फैला सकते हैं। एक अन्य विकल्प हाथ को पीछे की ओर ले जाना है, जिसमें हथेली ऊपर की ओर हो। इस बांहों को फैलाने के कई अन्य विकल्प हैं, लेकिन पहले के दो विकल्प सबसे ज्यादा किए जाते हैं।
– आपको जो भी सुविधाजनक लगे, वह करें। अगर रोजमर्रा के कामों में कंधों का काम ज्यादा है, तो दूसरा विकल्प बेहतर है।
– मुद्रा की अवधि आराम के स्तर के साथ बदलती रहती है। एक सलाह है कि मुद्रा के दौरान लगातार सांस लें।

बालासन में संशोधन और बदलाव

यह एक आराम करने की स्थिति है, इसलिए संशोधन करने से मुद्रा का प्रभाव कम नहीं होगा। जब तक आप आराम की स्थिति प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक आप कई संशोधन कर सकते हैं। अपने शरीर को अधिक न खींचे और अपनी तय सीमा के भीतर काम करें। अगर किसी को सेहत संबंधी दिक्कतें हैं, तो योगाभ्यास करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।

-यदि किसी को घुटनों में समस्या हो रही हो और नितंबों को एड़ी पर टिकाने में कठिनाई हो रही हो तो जांघों और पिंडली की मांसपेशियों के बीच एक तकिया या कंबल लगा सकते हैं।

– सामान्य अवस्था में घुटनों के अधिकतम उपयोग की सलाह दी जाती है। यह नितंबों के पास एक गहरा खिंचाव पैदा करेगा। इस विस्तार को बलपूर्वक न करें और जब तक सहज महसूस न करें, तब तक घुटनों को एक तरफ फैला सकते हैं।

– यदि सतह सख्त हो तो पैरों के नीचे कंबल या कोई मुलायम चटाई बिछा सकते हैं।

– यदि कोई अपना सिर फर्श या जमीन पर नहीं मोड़ पाता है, तो तकिए या कंबल का इस्तेमाल सिर टिकाने के लिए किया जा सकता है।

– हाथ का विस्तार कंधे और छाती को खोलता है, यह एक सक्रिय चरण बन जाता है। चूंकि यह आराम की मुद्रा है, इसलिए व्यक्ति जांघों पर सहारा लेकर झुक सकता है।

बाल मुद्रा योग के लाभ

क्या बाल मुद्रा पीठ के लिए अच्छी है? इसका जवाब है, हां। यह पीठ, कंधे और छाती के तनाव को दूर करने में मदद करती है। इसका उपयोग थकान व चक्कर आने जैसी अन्य बीमारियों के लिए भी किया जा सकता है। बालासन मुद्रा तनाव और चिंता को दूर करने में भी मदद करती है। यह शरीर के आंतरिक अंगों को आराम देती है और उन्हें ढीला रखती है, थकान और जकड़न दूर करती है। यह रीढ़ को फैलाने में मदद करती है और कंकाल तंत्र को दृढ़ता प्रदान करती है।

यह एक स्ट्रेचिंग पोज है, इसलिए यह नितंबों, जांघों, टखनों और गर्दन को स्ट्रेच करने में मदद करती है। यह संबंधित मांसपेशियों में तनाव को दूर करने में मदद करती है। लगातार सांस लेने में मदद करती है और रक्त परिसंचरण को सामान्य करती है। जबकि बाल मुद्रा के कई लाभ हैं, इस मुद्रा का उपयोग करने को लेकर कुछ मतभेद भी हैं।

बालासन का प्रयोग कब नहीं करना चाहिए?

यह मुद्रा माथे को टिकाने और पेट को जांघों पर रखने पर निर्भर करती है। यदि कोई घुटने की बीमारी या हाल ही में सर्जरी से गुजरा हो तो बालासन से बचना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान पेट पर दबाव डालने की सलाह नहीं दी जाती है। कंधे की चोट वाले लोगों को कंधे को सहारा देना चाहिए। अतिसार की स्थिति में भी इस बाल मुद्रा से बचा जाना चाहिए।

योग केवल एक व्यायाम ही नहीं, एक विज्ञान भी है। अधिकतम लाभ के लिए किसी भी योग मुद्रा का बुद्धिमानी से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। यही हाल बालासन का है। मन को शरीर की बात सुननी चाहिए। शरीर को नेतृत्व करने दें। शरीर को प्रतिदिन परिवर्तन की आवश्यकता होती है और आप अपने शरीर द्वारा दिए गए किसी भी संकेत पर नजर रखकर यह जान सकते हैं कि कौन-सी मुद्रा का चयन करना है। एक व्यापक योग कसरत के दौरान बाल मुद्रा का उपयोग करने से मदद मिलेगी। बालासन आराम के लिए किए जाने वाले योगों में से एक है, यह न केवल मानव शरीर को आराम प्रदान करता है, बल्कि पीठ और गर्दन के दर्द से भी राहत दिलाने में मदद करता है। हालांकि आप स्वयं अपने लिए विशेषज्ञ न बनें। ऐसा करने से हमारे शरीर को फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है। इसके बजाय किसी विशेषज्ञ से सही योग मुद्रा के लिए कहें।

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