चतुरंगा दंडासन (चार अंगों वाला कर्मचारी मुद्रा)

चतुरंग दंडासन (four limbed staff pose) शब्द संस्कृत भाषा से निकला है। यह तीन शब्दों के संयोजन से मिलकर बना है। इसमें चतुर शब्द का अर्थ चार होता है। वहीं दूसरा शब्द अंग है। तीसरा शब्द “डंडा” है जिसका अर्थ कर्मचारी होता है। इस अभ्यास को अंग्रेजी में फोर-लिम्ड स्टाफ पोज़ कहा जाता है। इसे चार-अंगों वाला कर्मचारी मुद्रा भी कहा जाता है। चतुरंग दंडासन (Chaturanga dandasana) करने वाले साधक योग करते समय पुश-अप करने के जैसे दिखते हैं। हालांकि इस चतुरंग दंड़ासन और पुशअप में बहुत अंतर होता है। आम तौर पर इसे प्लैंक पोज़ (Plank Pose) भी कहा जाता है।

चतुरंगा दंडासन का क्या अर्थ है

चतुरंगा दंड़ासन (Chaturanga dandasana) को चार भाग में विभाजित किया जा सकता है। चतुर+अंग+दंड+आसन इसका अर्थ चार+शरीर का भाग +डंडा+मुद्रा यानी शरीर के चार भागों से डंडी के समान सीधा की जाने वाली मुद्रा। इसलिए इस आसन को चतुरंग दंड़ासन कहा जाता है। आमतौर पर से इसे अंग्रेजी में फोर स्टाफ के नाम से जाना जाता है। इस योग अभ्यास कई लाभ है। इसके नियमित अभ्यास से कंधा, पीठ और पैरों की मांसपेसियों में मजबूती आती है। साथ ही पूरे शरीर का फिटनेस परफेक्ट हो जाता है। यह आसन अन्य आसनों की तुलना में सबसे कठिन आसन माना जाता है। अक्सर नए लोगों को इस अभ्यास में चोट लगने का डर रहता है। इसलिए इस आसन को एक योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में करने की जरूरत होती है। चतुरंग आसन को सही ढंग से करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सूर्य नमस्कार अनुक्रम और कई विन्यास प्रवाह में शामिल है।

इस आसन को कुंभकासन (Kumbhakasana) की मुद्रा में होकर करना चाहिए। साधक भी इस आसन को करने के लिए कुंभाकासन की मुद्रा का सहारा लेते हैं। इस स्थिति में आपको अपने शरीर को तब तक नीचे करने की जरूरत होती है जब तक कि आपके घुटने आपके कंधों के संपर्क में न आ जाएं। साथ ही जरूरत पड़ने पर घुटनों को नीचे रख सकते हैं।

चतुरंगा आसन कि स्थिति अक्सर विन्यास योग (Vinyasa yoga) पाठ में प्रयोग किया जाता है, जिसे प्रवाह योग के रूप में भी जाना जाता है। चतुरंगा आसन के अभ्यास से हांथ, कंधा, पेट और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। आमतौर पर लोग अपनी आंतरिक शक्ति और ऊर्जा के साथ संवाद करने के लिए चतुरंग दंडासन का उपयोग कर सकते हैं। आत्म-सम्मान की कमी वाले लोगों के लिए यह आसन थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन मणिपुर चक्र को उत्तेजित करके आत्म विश्वास में वृद्धि किया जा सकता है।

चतुरंगा दंडासन कैसे करें

चतुरंगा दंडासन आमतौर पर एक लंबी श्रृंखला के हिस्से के रूप में किया जाता है। चतुरंग दंडासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी योग मैट को जमीन पर बिछा कर उस पर पेट के बल या अधो मुख श्वानासन में लेट जाएं।. इसके बाद इस आसन में आप अपने दोनों हाथों को भुजंगासन के समान रखना चाहिए। इस दौरान आप अपने दोनों हाथों को जमीन पर अपने कंधों से आगे रखें। इसके बाद अपने दोनों पैरों की उंगलियों को जमीन पर सीधे रखें और अपने पैरों की उंगलियों पर जोर डालते हुए धीरे-धीरे अपने दोनों घुटनों को ऊपर करने का प्रयास करें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस को अंदर लेते हुए अपने दोनों हाथों पर शरीर के वजन को उठाएं। इसके बाद आप अपने हाथ के ऊपरी और निचले हिस्से के बीच कोहनी पर 90 डिग्री का कोण बनाकर रखें। इस प्रकिया के बाद आपका पूरा शरीर फर्श के समानांतर की स्थिति में दिखाई देगा।

चरण-दर-चरण निर्देश

चतुरंग दंडासन करते समय साधक को अपने कूल्हों को अधिक ऊपर उठाने से बचना चाहिए। इस आसन को करने के दौरान काफी अधिक ऊर्जा की खपत होती है। ऐसे में इस आसन को सावधानी पूर्वक करने की जरूरत होती है।

 

सबसे पहले किसी योग मैट को बिछाकर उसपर पेट के बल या अधोमुख श्वानासन मुद्रा में लेट जाएं।

अपने दोनों हाथों को भुजंगासन की स्थिति में रखें यानि दोनों हाथ जमीन पर कंधे से आगे रखें। उंगलियां सामने की ओर होनी चाहिए।

दोनों पैर की उंगलियों को जमीन पर सीधी रखें ताकि उनपर शरीर का भार ले सकें।

इशके बाद पैरों की अंगुलियों पर दबाव देते हुए धीरे-धीरे दोनों घुटने को उपर उठाने का प्रयास करें।

अब सांस खींचे और दोनों हाथों पर शरीर का वजन उठाएं।

हाथ के उपरी हिस्से और नीचले हिस्से के बीच कोहनी पर 90 डिग्री का कोण बनाएं।

अब पूरा शरीर फर्श के समानांत रहेगा और शरीर का पूरा भार आपके दोनों हाथ और पैर पर होगा।

आप 10 से 30 सेकेंड के लिए इस आसन को कर सकते हैं।

इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

सामान्य त्रुटियां

इस आसन को अगर आप कम जगह में करते हैं तो यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अपने कूल्हों को ज्यादा उपर न उठाएं। इसमें अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, इसलिए आराम से करने का प्रयास करें, अन्यथा चोट भी लग सकती है। शुरूआत में आप अर्ध चतुरंग दंडासन (Chaturanga dandasana) या प्लैंक पोज भी कर सकते हैं।

इसके लिए पहले हाथों और कंधों को सेट करना चाहिए, क्योंकि वे सबसे अधिक जोखिम वाले स्थान होते हैं। इस दौरान आप अपनी एड़ी को अपना काम करने दें।

सतह पर जितना संभव हो उतना स्किमिंग से बचने की जरूरत होती है। यदि आप अपने कंधों को अपनी कलाई पर ज्यादा जोर देते हैं तो कंधों का बोझ कोहनी पर आ जाता है। इस तरह की स्थिति बार-बार होती है तो चोट लगने का खतरा पैदा हो जाता है। इसके लिए अपने कंधे को केवल कोहनी के बराबर या उससे ऊंचा रखना बेहतर तरीका हो सकता है।

चतुरंग दंडासन के लाभ (Advantages of chaturanga dandasana)

  • शारीरिक स्थिति में सुधार
  • कलाई और बाहों को मजबूत करता है
  • पेट की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से को मजबूत करता है
  • रीढ़ के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करता है
  • मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है
  • बॉडी कोर में सुधार करता है
  • कमर दर्द से राहत
  • लचीलापन बढ़ाता है
  • कंधे मजबूत होते हैं
  • मोटापा कम होता है
  • चेहरे की चमक बढ़ती है

सावधानियां और सुरक्षा

अगर आपको कंधे, कलाई और पीठ में दर्द है, तो आपको इस आसन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। इसके अलावे गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन से परहेज करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी समस्या से परेशान हैं तो इस आसन को ना करें। इसके साथ ही आपकी कोहनी में किसी प्रकार को दर्द है, तो आपको इस आसन से बचना चाहिए।

निष्कर्ष

चतुरंगा आसन को करने से विभिन्न प्रकार के लाभ की प्राप्ति होती है। यह न केवल कलाई और बाहों को टोन करता है बल्कि पेट की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से को भी मजबूत करता है। इसके अलावा यह योग मुद्रा संपूर्ण शरीर को स्वास्थ लाभ प्रदान करता है। इस अभ्यास को करने से हाथ और कलाई मजबूत होती है। चतुरंग दंडासन (Chaturanga dandasana) के अभ्यास से कंधे, पीठ और पैर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

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