कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की महत्ता

कुंडली का चौथा भाव सुख भाव या मातृस्थान के नाम से जाना जाता है। इस भाव का संबंध माता, सुख, मकान, वाहन, ज़मीन, कृषि, बाग़-बगीचा, स्कूल-कॉलेज की शिक्षा, मन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा, घनिष्ठ प्रेम और मातृ सुख जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। चंद्रमा का कुंडली के चौथे भाव में बैठना उसे इस भाव के प्रभावों को प्रभावित करने की क्षमता प्रदान करता है। चंद्रमा की कुंडली के चौथे भाव में मौजूदगी उपरोक्त प्रभावों को लाभ या हानि में परिवर्तित करने में सक्षम है।चंद्रमा सौम्य, शांत, मनमौजी, कोमल हृदय एवं सदैव हर्षित रहने वाला ग्रह है, चंद्र मन और मातृ कारक भी है। कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा मजबूत स्थिति में होते हैं, क्योंकि वे इस भाव के कारक भी हैं। कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को माता के प्रति अधिक समर्पित और ध्यान देने योग्य बनाती है। उनका आपनी माता के साथ अधिक गहरा संबंध होता है, और परिवार के प्रति उनका झुकाव अधिक रहता है। हालांकि चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को भावनात्मक तौर पर असंतुलित बनाने का काम कर सकती है, जिससे उसे मानसिक तौर पर परेशान होना पड़ सकता है। क्योंकि कुंडली के चौथे भाव का संबंध मानसिक स्थिति से भी होता है। कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी से जीवन की प्राथमिकताएं, परिवार के प्रति रवैया, काम व पेशा, लक्ष्य व महत्वाकांक्षा जैसे क्षेत्रों में शुभ-अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा परिवार और घरेलू पहचान को मजबूती प्रदान करने का काम करता है। ऐसे जातक बाहरी दुनिया में मुश्किलों और परेशानियों का सामना करने से बचने का प्रयत्न करते हैं। कुछ मुश्किल परिस्थिति में ये जातक अपना बसा बसाया घर छोड़कर अपने मूल परिवार में लौटने का प्रयास कर सकते हैं। जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा विराजमान है, वे अपने मूल घर को किसी आश्रयस्थल की तरह देखते हैं। ऐसे जातक अपने परिवार के सदस्यों या कुछ दोस्तों के साथ अपने सामंजसयपूर्ण संबंधों में भावनात्मक सुरक्षा का अनुभव करते हैं। हालांकि अगर ये रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं, तो वे बहुत असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। जिससे उनके भावनात्मक दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आने की संभावना होती है। वैसे सामान्य तौर पर वे अपनी भावनाओं को दूसरों को नहीं बताते हैं। यदि उनके जीवन के संघर्ष बहुत अधिक हो जाते हैं, तो वे अपने बीते खुशहाल दिनों को पुनः प्राप्त करने का प्रयत्न कर सकते हैं।जीवन में सुख कम और नीरसता अधिक है तो जानिए प्रसन्न रहने के सटीक उपाय हमारे ज्योतिषीय विशेषज्ञों से।

वैसे कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा को मजबूत माना जाता है, लेकिन अन्य ग्रहों के प्रभाव में यह प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकता है। चंद्रमा चौथे भाव के कारक होकर, राशि चक्र की चौथी राशि कर्क के स्वामी भी हैं। कुंडली के चौथे भाव में बैठे चंद्रमा वाले व्यक्ति की आंतरिक प्रकृति भावनात्मक होती है। ऐसे जातकों के लिए वास्तव में जो चीजें असल में मायने रखती हैं, वे हैं आत्म सुरक्षा, और गोपनीयता। दिन प्रतिदिन के जीवन में प्रकृति और भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति, उनके लिए दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होती है।

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चौथे भाव में चंद्रमा के प्रभाव और सुझाव

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी जातक को अत्यधिक भावुक बनाने का काम करती है, जिसके कारण ऐसे जातक बहुत रक्षात्मक हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति के कारण वे अपनी भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे जातकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपनी भावनाओं को अपने परिवार या प्रियजनों के साथ बांटने में सफल नहीं हो पाते। जिससे उन्हें भावनात्मक तनाव से जूझना पड़ता है।कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा, जातक को भावनात्मक तौर पर अधीन बनाने का काम करता है, जिससे वे अपनी वित्तीय सुरक्षा के लिए बेहद चिंतित रहते हैं। ऐसे जातक महसूस करते हैं कि यदि उनकी समग्र ज़रूरतों की पूर्ति हो जाती है, तो वे अधिक स्थिर हो जाएंगे। साफ शब्दों में कहा जाए तो ऐसे जातक बिना परिवार के सहयोग के व्यक्तिगत संबंध बनाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। ऐसे जातकों को अपने लक्ष्यों को अधिक व्यवहारिक और यथार्थवादी बनाने की सलाह दी जाती है। उन्हे लंबे समय तक स्थिर रहने के लिए और योजनाओं को अधिक वास्तविक बनाने के साथ उनका गंभीरता से अनुसरण करने की कोशिश करनी चाहिए।यदि आप चाहते हैं कि आपके भी समस्त बिगड़े काम बनते चले जाएँ, और जीवन में कोई समस्या न आये, तो जानिए प्रत्येक समस्या का सटीक समाधान हमारे ज्योतिषी विशेषज्ञों से।

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निष्कर्ष

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी इस बात की भी सूचक है, कि जातक अपने मूल परिवार और परिजनों के से अत्यधिक भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं। हालांकि यदि वे परिवार पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें अधिक लाभ मिलने की संभावना है। जिन जातकों की कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा मौजूद है, उन्हें भावनात्मक तौर पर खुद को मजबूत करने की कोशिश करते हुए, अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

 

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