उज्जायी प्राणायाम: कैसे करें? यहां जानें

उज्जायी ‘जया’ शब्द से लिया गया है। जिसमें विजय – विजयी शामिल है।  “उज्जायी” वह प्राणायाम (Ujjayi pranayama) है जो दासता से मुक्ति दिलाता है। यह हठयोग के आठ कुंभकों (Eight Limbs of Yoga) में से एक है। उज्जायी का उच्चारण करना थोड़ा मुश्किल है। इसमें तीन अंग्रेजी शब्द हैं। जय शब्द का उच्चारण “टाई” या “चाय” के रूप में किया जाता है।

क्या है उज्जायी प्राणायाम

जय का अर्थ है “जीत,” उज्जायी को “विजयी सांस” के रूप में जाना जाता है। उद।” उद की कई व्याख्याएं हो सकती हैं।

उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi pranayama) ध्यान का अभ्यास अत्यंत सहज है। जिस प्रकार से इस अभ्यास के नाम को उच्चारण करने में लगता है। उसकी तुलना में यह बिल्कुल ही सहज और लाभकारी है। समान्यतः इसका नाम कम ही जानते हैं, लेकिन अन्य प्रणायाम की तरह यह भी काफी फायदेमंद है। इसका अभ्यास नियमित रूप से करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है। व्यक्ति जल्दी बूढ़ा नहीं होता। ज्यादा आयु में भी जवान की तरह दिखेंगे। हालांकि इसके अलावा भी इस प्राणायाम के कई गुणकारी लाभ है। जो आपके स्वास्थ्य लाभ में सहयोग करता है। इस अभ्यास प्रकिया में मुख्य रूप से दोनों नासिकाओं से धीरे धीरे सांस लेने का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास में जब सांस छोड़ा जाता है तब दायी नासिका को बंद कर ली जाती है। इस दौरान बायीं नासिका से सांस को धीरे धीरे छोड़ने की क्रिया की जाती है। इसके उपरांत जब व्यक्ति अभ्यास के दौरान अपने दोनों नासिका से सांस लेता है तब गर्दन के थॉइरॉइड वाले हिस्से को कंपन कराने के लिए ओम ध्वनि उत्पन्न करना चाहिए। इस क्रिया के दौरान निकलने वाली ध्वनि इस अभ्यास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

उज्जायी प्राणायाम कैसे किया जाता है?

योग ध्यान तकनीक जिसे संस्कृत में “प्राणायाम” के रूप में जाना जाता है। योग दिनचर्या स्थापित करने का एक अनिवार्य हिस्सा है। योग सूत्र के अनुसार, प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। यह योग विद्वान के द्वारा निर्मित किया गया  एक वैदिक पाठ है।

उज्जायी योग अभ्यास की विधि

इस आसन को करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले सुबह नित्य क्रिया से मुक्त होकर शांत वातावरण का चयन करना चाहिए। इसके बाद एक चादर या मैट को वहां फर्श पर बिछाकर पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इस दौरान आप शरीर को सतुंलन में रखते हुए अपने मुंह को बंद रखें। इसके बाद धीरे-धीरे योग अभ्यास प्रक्रिया की ओर बढ़ना चाहिए।

अब आप दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे समान रूप से सांस लें। इस दौरान व्यक्ति को सांस तब तक लेने चाहिए जबतक श्वास पूरी तरह व्यक्ति के फेपड़े में ना भर जाएं। ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया के दौरान दोनों नासिका से सांस लेते समय गर्दन के थॉयराइड वाले हिस्से को कंपन कराके ओम ध्वनि उत्पन्न करना जरूरी होता है। हालांकि यह ध्वनि ज्यादा ऊंचे स्वर में नहीं होनी चाहिए। इसके साथ साथ कोशिश यह करनी चाहिए कि आप जितना देर तक सांस भरकर अपने अंदर रखेंगे, देर तक सांस रखने की आपकी सहनशीलता और बढ़ेगी। हालांकि व्यक्ति को सांस रोकने की प्रक्रिया अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए। इस दौरान आपको अपनी छाती को फुलाकर रखने की जरूरत होती है। उसके अलावा इस अभ्यास में अन्य और भी गतिविधियां करना बहुत जरूरी होता है। इस अभ्यास की क्रिया में अपनी श्वास को नियंत्रित करने के लिए डायाफ्राम का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही व्यक्ति को सुनिश्चित करना चाहिए कि जब आप बैठे हों तो आपकी पीठ, सिर और गर्दन बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। चेहरे की मांसपेशियां आरामदायक स्थिति में होनी चाहिए। इस अभ्यास के दौरान किसी प्रकार की जल्दीबाजी नहीं की जाती। सांस लेने की क्रिया एक पर एक जल्दी जल्दी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा सांस लेने और छोड़ने की क्रिया में दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका बंदकर बायीं नासिका से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।

बायीं नासिका से श्वास छोड़ने की बजाय आप दोनों नासिकाओं से भी धीरे-धीरे श्वास छोड़ सकते हैं।

इस तरह इस अभ्यास को कम से कम 10 बार कर सकते है। शुरू में इस अभ्यास को अपनी क्षमता अनुसार करना चाहिए। अभ्यास बढ़ जाने पर आप इसे ज्यादा कर सकते है।

उज्जायी श्वास के लाभ

इस ध्यान अभ्यास (Benefits of ujjayi breathing) का सबसे बड़ा पहलू धीमी, लयबद्ध सांस को बनाए रखना है। इस अभ्यास के दौरान आपको दिमाग में चलने वाले अन्य विचारों को नहीं आने देना चाहिए। अपनी सांस को नियंत्रित करके वर्तमान स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। यह योग इसी ज्ञान पर आधारित है। योग चिकित्सकों का दावा है कि सक्रिय रूप से सांस जागरूकता तकनीकों का प्रदर्शन करके आप अपने स्वास्थ्य, व्यवहारिक, भावनात्मक और सामाजिक आवश्यकताओं में सुधार ला सकते हैं।

उज्जायी सांस का व्यायाम

उज्जायी सांस विजयी या जीतने वाला एक्सरसाइज (Ujjayi breathing techniques) है। इस योग के माध्यम से बहुत से गंभीर रोगों से बचा जा सकता है। हालांकि इस योग को कुशल योग गुरु के निर्देशन में किया जाए तो ज्यादा लाभ की प्राप्ति होती है। इस अभ्यास को तीन तरह से किया जा सकता है। पहला खड़े होकर दूसरा लेटकर तथा तीसरा बैठकर कर सकते हैं। इस अभ्यास के करने से आपका अतिरिक्त ऑक्सीजन और श्वास लेने की प्रक्रिया मजबूत होती है।

उज्जायी मन को शांत करने के लिए विशेष रूप से अच्छा है। यह उन व्यक्तियों की मदद करने में ज्यादा लाभदायक होता है जो थकान, चिंता या शारीरिक परेशानी से जूझ रहे हैं। इस अभ्यास के माध्यम से आप अपनी सांस को निर्देशित करने में सक्षम हो जाते है। जिससे आपके अभ्यास को आपकी सांस द्वारा निर्देशित किया जा सकेगा। इस अभ्यास के दौरान आप सुखासन में बैठ कर अपनी आंखों को बंदकर रखा जाता है। इस तरह आप अपनी मुंह को बंद करके नाक के दोनों छिद्रों से सांस लेने का अभ्यास करें। जब तक सांस फेफड़े में भर न जाए तब तक सांस लेते रहे। इस प्रक्रिया में नाक के दाएं छिद्र को बंद करके बाएं छिद्र से सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालना चाहिए। सांस भीतर लेते समय गले से खरखराहट की ध्वनि निकालना आवश्यक होता है। इस तरह का अभ्यास शुरू में 5 बार करना चाहिए। बाद में अभ्यस्त हो जाने पर 15 से 20 बार तक लिया जा सकता है।

उज्जायी प्राणायाम के अभ्यास के लिए अनुशंसित समय अवधि क्या है?

उज्जायी प्राणायाम (Benefits of ujjayi pranayama) प्रति सत्र 5 चरणों में करना लाभदायक होता है। इस अभ्यास को शुरू में 3-सेकंड की सांस के साथ शुरू करें। बाद में 6-सेकंड तक बढ़ाया जा सकता है। प्रतिदिन इस अभ्यास में हर हफ्ते 1 सेकंड की अवधि बढ़ाना चाहिए।

कृपया ध्यान दें कि गंभीर हृदय और उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को इस अभ्यास से बचना चाहिए। इसके अलावे भी उज्जायी प्राणायाम को करते वक्त सावधानी रखनी चाहिए। वैसे व्यक्ति जिन्हें थॉइराइड की समस्या है, उन्हें यह अभ्यास किसी विशेषज्ञ के निगरानी में करने चाहिए।

निष्कर्ष

उज्जायी प्रणायाम (Ujjayi pranayama) स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण योग है। इससे शरीर के बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। यह योग अभ्यास सांस लेने प्रक्रिया को मजबूत करता है। इस योग अभ्यास में खर्राटे लेने की तकनीक बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है।

-उज्जायी सांस लेने के कई फायदे हैं

ध्यान केंद्रित करता है

दबाव से राहत देता है

चयापचय दर को नियंत्रित करने में मदद करता है

संबंधित पोस्ट पढ़ें:-

प्राणायाम क्या है और इसके फायदे ?
प्राणायाम तकनीक: भ्रामरी प्राणायाम करें
भस्त्रिका। प्राणायाम: लाभ, श्वास पैटर्न, और बहुत कुछ

Talk to Online Therapist

View All

Continue With...

Chrome Chrome