तुलसी और उसके के पत्तों के फायदे

हिन्दू धर्मावलंबियों में तुलसी का पौधा (tulsi plant) पूजनीय तथा पवित्र माना गया है। हर घर के आंगन, छत तथा बालकनी में तुलसी का पौधा देखने को मिलता है। तुलसी का संबंध पौराणिक काल से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग तुलसी को मां समझकर पूजा करते हैं या इसे खाने में इस्तेमाल करते है। इसके पौधों व पत्तियों से काफी लाभ मिलता है, जिसका फायदा सदियों से लोग उठाते आ रहे हैं। स्वास्थ लाभ में इसका महत्व काफी ज्यादा है। हिन्दू धर्म में बिना तुलसी के पौधे के कोई भी पूजा पूरी नहीं होती, इसलिए पूजा में इसका उपयोग जरूर होता है। लोग इसकी पूजा (holy basil) घरों में सुख शांति व कल्याण के लिए करते हैं।

तुलसी एक जानी-मानी आयुर्वेदिक औषधि भी है। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। सर्दी-खांसी समेत कई असाध्य बीमारियों में इसका उपयोग होता रहा है। आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद (tulsi benefits) बताया गया है। तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना महत्व है। आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है। एक जिसकी पत्त‍ियों का रंग थोड़ा गहरा लाल रंग का होता है और दूसरा जिसकी पत्तियों का रंग हरा होता है। इसका उपयोग सर्दी खांसी, यौन रोग, महिलाओं के अनियमित पीरियड्स, कैंसर, चेहरे को चमकदार बनाने, मुंह के दुर्गंध, पाचन शक्ति बढ़ाने, हृदय रोग, ब्लड शुगर समेत कई बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

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तुलसी चाय क्या है?

तुलसी की पत्तियों की चाय स्वास्थ्य लाभ में काफी (Tulsi tea benefits) फायदेमंद होता है। इसे सुबह खाली पेट पीने से यह तनाव दूर कर स्फूर्ति प्रदान करता है। इसका सुगंध और स्वाद काफी  अच्छा होता है। तुलसी के पतों (health benefits of tulsi leaves) में मौजूद यूजीनॉल और एंटीऑक्सीडेंट बलगम और म्यूकस को बाहर निकालने का काम करती है। इसके अलावे तुलसी के चाय में एंटीसेप्टिक और एंटी बैक्टिरियल गुण होते है, जिससे सर्दी खांसी ठीक करने में मदद मिलती है। तुलसी के पौधे का इस्तेमाल प्राचीन काल से होता आ रहा है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है। तुलसी पत्ता काले और हरे दो रंगों में पाई जाती है।

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तुलसी की पत्तियों का चाय बनाने का तरीका

तुलसी (holy basil) की पत्तियों का चाय बनाने के लिए सबसे पहले पानी में तुलसी के पत्ते को 10 मिनट तक उबालना चाहिए। इस दौरान अदरक, इलाइची के पाउडर डाल लें। जब चाय अच्छी तरह उबल जाए, तो उसे छानकर शहद और नींबू का रस डालें। इसके बाद इसे पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है। तुलसी के गुणकारी होने के चलते ही इसे अविश्वसनीय, जीवनदायिनी औषधि या क्वीन ऑफ हर्ब्स के नाम से लोग जानते है। इसके चमत्कारी गुण के कारण आमतौर पर  औषधीय हर्बल चाय के रूप में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता   है। यह हमारे देश के महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पौधों में से एक है।

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तुलसी के पत्तों से स्वास्थ्य लाभ

तुलसी के इस्तेमाल से कई बीमारियों में लाभ मिलता है। इसकी उपयोगिता (health benefits of tulsi leaves) के बारे में आमलोग से लेकर वैद्य और डॉक्टर सभी जानते हैं और इसके उपयोग की सलाह देते है। तुलसी पौधे के जड़, पत्ते, मोजर सभी का इस्तेमाल व्यापक तौर पर किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इसका इस्तेमाल घरेलु चिकित्सा के तौर पर करते हैं। यह शरीर के लिए टॉनिक का काम करती है। तुलसी के पत्ते (leaves of tulsi) और काली मिर्च के एक साथ इस्तेमाल करने से मलेरिया में आराम मिलता है। इसके अलावे दस्त, उल्टी तथा एक्जिमा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावे भी यह कई बीमारियों को ठीक करने के काम आती है।

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ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है

तुलसी के पत्ते को रोजाना इस्तेमाल करने से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहता है। तुलसी का पानी कार्बोहाइड्रेट और वसा के पाचन के लिए भी जाना जाता है। हालांकि डायबिटीज के रोगी को तुलसी चाय में शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पाचन शक्ति होती है मजबूत

तुलसी का पानी या रस (tulsi water benefits) पाचन शक्ति को बढाने में काफी सहायता करता है। यह पाचन के लिए जरूरी गैस्ट्रिक जूस को रिलीज करने के लिए शरीर को उतेजित करती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की पाचन क्रिया संतुलित रहती है। तुलसी का पानी शरीर के भीतर बनने वाले कब्ज को ठीक करने में सहायक होता है। इसके साथ ही यह लीवर और ब्लैडर को डिटॉक्स करने के साथ ही शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करता है।

बैक्टीरिया होता है नष्ट

तुलसी के पत्ते के गुणकारी तत्व मुंह के भीतर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है। इसके परिणामस्वरूप दांत और मुंह का सांस साफ हो जाता है।

श्वसन के विकार ठीक होता है

तुलसी के रस से सांस की बीमारियां जैसे सामान्य जुकाम, बुखार और अस्थमा आदि में लाभ पहुंचता है। तुलसी के पत्तों में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, कासरोधक या खांसी रोकने वाला और कफ निकालने वाला गुण होता है जो श्वसन संबंधी विभिन्न समस्याओं को रोकने में मदद करता हैं।

हृदय रोग में लाभकारी

तुलसी का उपयोग अन्य बीमारियों की तरह हृदय रोग में भी काफी लाभकारी है। तुलसी का पत्ता रक्त लिपिड के स्तर को कम करने, इस्केमिया और स्ट्रोक को दबाने, रक्तचाप को कम करने का काम करता है। तुलसी के पत्ता एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा को बढ़ाता है, जो हृदय रोगों के उपचार और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

तनाव और अनिद्रा होता है दूर

तुलसी के पत्ते में मौजूद गुणकारी तत्व शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन  को संतुलित करने में मदद करता है। यह अवसाद, चिंता तथा अनिद्रा को दूर करता है।

शरीर का वजन होता है संतुलित

तुलसी के गुणकारी तत्व शरीर के फैट को कम करने का काम करता है। इसमें मौजूद तत्व पाचन एंजाइम को बढ़ाता है, जो बेहतर पाचन तंत्र के साथ तेजी से वजन कम करने का काम करता है। गौरतलब है कि अगर आपका पाचन तंत्र सही है तो तेजी से वजन कम कर सकते हैं, लेकिन पाचन तंत्र में गड़बड़ी से वजन का बढ़ना सामान्य है।

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

तुलसी के सेवन से त्वचा (benefits of tulsi for skin) संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट चेहरे पर होने वाले मुहांसे को ठीक करने का काम करता है। साथ ही चेहरे पर झुर्रियां कम कर बुढ़ापे से बचाती है। इसके अलावे तुलसी की पत्तियां हमारे बालों की जड़ों को भी मजबूत बनाती हैं। इसमें मौजूद एंटीफंगल गुण बालों को झड़ने तथा रुसी को दूर करने का काम करता है।

तुलसी के साइड इफेक्ट्स

तुलसी की पत्तियां सामान्य तौर पर कई बीमारियों के ठीक करने में लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि आयुर्वेद में प्राचीन काल से स्वास्थ्य लाभ में इसका उपयोग किया जा रहा है। हालांकि तुलसी का नकारात्मक प्रभाव बहुत कम ही सुनने को मिलता है। बावजूद इसके कभी कभी साइड इफेक्ट (tulsi leaves side effects) होता है।

तुलसी पत्ता में मौजूद यूजीनॉल महिलाओं में पीरियड्स शुरू होने की समस्या उत्पन्न कर सकती है। इसके इस्तेमाल से गर्भपात होने का खतरा बना रहता है। गर्भवती महिलाओं को तुलसी का पत्ता खाने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा इसके अधिक इस्तेमाल से खून पतला हो जाता है। वालफरिन और हेपरिन जैसी दवा लेने वाले मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए। साथ ही इसे एंटी क्लोटिंग दवाओं के साथ भी नहीं लेना चाहिए। तुलसी के अधिक सेवन से पेट में जलन होने की समस्या बढ़ जाती है। इसके चबाने से दांतों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तुलसी पत्ते में आयरन और मर्करी पाया जाता है, जो चबाते समय मुंह में घुल जाता है। इस कारण यह दांतों को ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए इसे चबाने की बजाय निगलने की सलाह दी जाती है। तुलसी का पत्ता थोड़ा अम्लीय होता है। इसलिए रोजाना इसके इस्तेमाल से परेशानी बढ़ सकती है।

यह मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि तुलसी की पत्तियां ब्लड शुगर के स्तर को कम कर संतुलित करने का काम करती हैं। लेकिन अगर कोई मरीज पहले से ही मधुमेह की दवा ले रहा है, तो उस स्थिति में तुलसी की पत्तियां ब्लड शुगर को और कम कर सकती हैं। इससे समस्या और बढ़ने की आशंका रहती है। साथ ही यह उक्त स्थिति में पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डाल सकता है।

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क्या हम तुलसी का पानी रोज पी सकते हैं?

सामान्य तौर पर तुलसी का इस्तेमाल करना लाभदायक माना गया है। रोजाना तुलसी के चाय का सेवन करना बहुत अच्छा नहीं हो सकता है, क्योंकि आपके शरीर को इतने सारे चमत्कारी तत्वों के सेवन की आदत नहीं होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि जब आप तुलसी का चाय पीते हैं तो यह आपके शरीर को अंदर से गर्म करने का काम करता है, जो बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक संक्रमण को नष्ट करने का काम करता है।

दूसरी ओर तुलसी के पानी (tulsi water benefits) या तुलसी के पत्तों का रोजाना सेवन आपको ठंडा रखता है।

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