कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य की महत्ता, जीवन चक्र के पूरे होने को दर्शाती है

कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य की महत्ता, जीवन चक्र के पूरे होने को दर्शाती है

वैदिक ज्योतिष, कुंडली के पहले भाव से शुरू होती है और बारहवें भाव पर जाकर समाप्त होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जहाँ पहला भाव शुरुआत और जन्म का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं 12वां भाव जीवन चक्र को पूरा करता है और अंत का प्रतिनिधित्व करता है। बारहवां भाव एकांत और मुक्ति का कारक होता है। यह अलगाव का भाव भी होता है। इसलिए जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य बारहवें भाव में स्थित होता है तो उसके अधिक विचारशील होने की संभावना होती है, और उसका चेतना के गहरे स्थानों के साथ मजबूत संबंध होता है। उसके मन में आध्यात्मिक झुकाव होने की संभावना भी होती है।

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12 वें भाव में सूर्य के कारण प्रभावित क्षेत्र

  • सामाजिक छवि
  • संतान संबंधी मुद्दे
  • काम के प्रति रवैया
  • लोगों के प्रति रवैया
  • चेतन और अचेतन मन

सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

12 वें भाव में सूर्य वाले जातक दृढ़ आध्यात्मिक होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये अपने कर्म पर लगातार काम करते रहते हैं। ये जानबूझकर या अनजाने में अपने उस चरित्र को पुनः प्राप्त कर लेते हैं, जो उन्होंने पिछले जन्मों से हासिल किया था। यह भी देखा जाता है कि ये मानसिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों और ऐसे अन्य दुर्भाग्यपूर्ण पीड़ित लोगों के प्रति अधिक विचारशील होते हैं, जो उन बुरे कर्मों का परिणाम भुगत रहे होते हैं, जो उन्होंने पिछले जन्मों में किए थे। बारहवें भाव में सूर्य एकाकी चरित्र को बढ़ावा दे सकता है। संभावना है कि ऐसे व्यक्ति अनुशासित होते हैं, और अपने नियमों और विनियमों का बहुत सख़्ती से पालन करते हैं। ये या तो सामाजिक-धार्मिक नियम या किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं विकसित और बनाये गए कुछ व्यक्तिगत व्यवहार हो सकते हैं। बारहवें भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक मात्र एक ही स्थिति में अच्छा महसूस करते हैं जब उनके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना उच्च अधिकारियों द्वारा की जाये।

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नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

वैसे कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य वाले जातकों के सनकी और आत्म-केंद्रित होने की संभावना होती है। इसके अलावा, अक्सर ये दो परस्पर विरोधी इच्छाओं के बीच भूलते रहते हैं। एक तरह के विचार इन्हें दुनियादारी से दूर ले जाना चाहते हैं तो दूसरे तरह के विचार इन्हें घर-परिवार, समाज-रिश्तेदार आदि के प्रति मोह-माया में बाँध कर, इसके त्याग की भावनाओं को शून्य कर सकते हैं। यह आंतरिक अलगाव इन्हें परेशान कर सकता है। लेकिन वैदिक ज्योतिष में 12 वें भाव में सूर्य की स्थिति के अनुसार इनमें दुनिया को त्यागने का कट्टरपंथी कदम उठाने की संभावना नहीं होती है।यदि 12 वें भाव में सूर्य पीड़ित हो जाता है, तो यह जेल की सजा, अस्पताल में भर्ती, नींद की कमी, जुदाई, व्यसनों, संदेह, अविश्वास, हीन भावना और निकट और प्रियजनों के नुकसान के लिए कठिन परिस्थितियों का कारण बन सकता है।

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इसके अलावा, कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य स्थित होने पर जातक को संतान (बच्चों को जन्म देने) के मामलों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शादी के बाद कुछ साल तक दंपति संतानहीन रह सकते हैं। बच्चों को जन्म देना भी इनके लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करने और चिकित्सा का सहारा लेने के बावजूद, इन्हें पितृत्व हासिल कर पाना मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, कई वर्षों तक लगातार प्रयास करने के बाद अंततः सफलता मिल सकती है। इसके अलावा, वे अपने पिता के साथ समस्याओं का सामना कर सकते हैं, और उनके साथ एक तनावपूर्ण संबंध हो सकता है। इन्हें अपने पिता के साथ सद्भाव बनाए रखने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते रहना चाहिए।

निष्कर्ष

कुंडली के अन्य भावों में सूर्य की स्थिति के बजाय बारहवें भाव में सूर्य उपस्थित होना कोई सरल बात नहीं होती। चूँकि ऐसे जातक मन व चेतना की गहराई में होते हैं, इसलिए इसलिए वे अस्तित्व की सबसे जटिल वास्तविकता से निपट रहे होते हैं। हालांकि, यह उन्हें अपने आध्यात्मिक स्तर को ऊंचा उठाने और अपने और समाज के लिए चमत्कारी कार्य करने का सुनहरा अवसर भी प्रदान कर सकता है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

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