लेटिंग गो मेडिटेशन : क्यों? कैसे? क्या यह वास्तव में आपको आपकी इच्छाओं से मुक्त कर रहा है?

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जीवन में किसी चीज को हासिल करने के लिए हमेशा दो तरीके व रास्ते होते हैं और यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप किस तरह से अपना जीवन जारी रखना चाहते हैं। आपके पास दो रास्ते होते हैं। पहला रास्ता आपको अपनी इच्छाओं को आसानी से पूरा करने के लिए ले जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में आपकी इच्छा की पूर्ति लंबे समय के लिए नहीं होती है। वहीं दूसरा रास्ता उसी इच्छा की पूर्ति कराता है। हालांकि वह रास्ता कठिन और मेहनत से प्राप्त होता है। वास्तविकता यह है कि जो चीज बिना मेहनत किए या परिश्रम के बगैर मिलती है उसकी आयु अस्थायी और कम होती है। वहीं दूसरी तरफ परिश्रम और समय से किसी लक्ष्य को हासिल करना उसे स्थायी और टिकाऊ मार्ग प्रदान करता है। हालांकि यह सत्य है कि यह मार्ग थोड़ा अधिक कठिन होता है। यदि आप आप इस तरह से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग का चयन करते हैं, तो आपके सपने अवश्य पूरे होते हैं। साथ ही आप एक बेहतर इंसान के रूप में दिखते हैं। इससे आपका समाज में सम्मान बढ़ जाता है। इसके अलावा आप खुद से खुश और संतुष्ट होंगे। इसलिए अब आपको चुनना है कि आप अपने जीवन से क्या चाहते हैं? इसमें लेटिंग गो मेडिटेशन (letting go meditation) काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। तो आइए जानते हैं क्या है यह मेडिटेशन।

ध्यान में जाने का क्या अर्थ है?

ध्यान में जाने का अर्थ शांति और आध्यात्म की प्राप्ति होती है। सरल भाषा में कहें तो आप ईश्वर व परमात्मा की शरण की ओर जाने लगते हैं। वास्तविक रूप से आध्यात्म और ईश्वर के पास पहुंचने के लिए ध्यान सबसे सरल साधन है। यह उतना भी आसान नहीं है। इसके लिए सबसे पहले आपके अंदर समर्पण की भावना होनी चाहिए। जब आप पहली बार ध्यान में जाने देने (let it go meditation) शब्द के बारे में सुनते हैं तो आप क्या सोचते हैं? हममें से अधिकांश लोग समझेंगे कि जाने देने का अर्थ है कि यह केवल होने के बारे में बता रहा है। जब बात धर्म की होती है तब हम इसे दूसरे संदर्भ में जानते हैं। इसका अर्थ यह है कि कोई लक्ष्य नहीं, कोई इच्छा नहीं, कोई अतीत नहीं, कोई भविष्य नहीं है। यहां केवल पूर्णता में रहना होता है। बिना किसी प्रतिरोध के इस मौन में डूब जाना होता है।

यहां कोई कला नहीं है, कोई समझ नहीं जिसे आपको विकसित करना हो। आपको बस अपने दिमाग पर काम करने की जरूरत है। आप अपना अतीत नहीं बदल सकते हैं, लेकिन आप अभी भी इसके बारे में चिंतित रहते हैं। आप अपने भविष्य को नियंत्रित (letting go of the past meditation) नहीं कर सकते फिर भी आप इसके बारे में चिंतित हैं। जिसके परिणामस्वरूप आप अपने वर्तमान जीवन से विमुख रहते हैं।

इन सभी चिंताओं को भूल जाइए और वर्तमान स्थिति में उपस्थित होने का प्रयास कीजिए जहां आप है।

जब आप अतीत और भविष्य की चिंता किए बिना अपना जीवन जीना शुरू करते हैं। साथ ही आप उस मोह माया को त्याग देते हैं, जो आपके रास्ते के लिए बाधा बना हुआ है, आपके जीवन में महान चीजें होनी शुरू हो जाएंगी। जब आपको भविष्य के लिए कोई उम्मीद नहीं है, न ही अतीत के लिए कोई पछतावा तो आप बस  वर्तमान समय में उपस्थित (meditation to let things go) हो सकते हैं। इस दौरान आपमें ज्यादा मात्रा में आशीर्वाद, मौन और उत्साह सहजता से आ जाती है। आप पर फूल बरसने लगते हैं, जो आपके जीवन को आनंद देने का काम करता है।

ओशो के अनुसार जब आप मंदिर जाते हैं, तो आप हमेशा देखते हैं कि  लोग भगवान से प्रार्थना करते हुए दिखाई देंगे।  ज्यादातर समय वे भगवान को धन्यवाद देने के लिए नहीं, बल्कि कुछ पाने के लिए प्रार्थना कर रहे होते हैं। जब आप बिना किसी मांग के कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, तो वह यह साबित करता है कि आप अतीत या भविष्य में नहीं रह रहे हैं बल्कि आप वर्तमान स्थिति में जी रहे हैं। मन की यह स्थिति आपको जाने देने की कला सिखा सकती है और ध्यान का अभ्यास करके आप इसे प्राप्त कर सकते हैं।

आइए सीखें लेटिंग गो के बारे में

– अपने मन का निरीक्षण और विश्लेषण करें

जब भी आप खुद पर काम करना चाहते हैं, तो पहला कदम यह है कि आप खुद पहचानें या दूसरे रूप में कह सकते हैं कि आप खुद को महसूस करें। सबसे पहले आप अपने मन में अपनी इच्छाओं के बारे में स्पष्ट रहें। आप अपने जीवन से क्या चाहते हैं? आपके क्या विचार हैं? ऐसी कौन सी चीजें हैं जो आपको खुश करती हैं? व्यवहार की कौन-सी आदतें बनी हैं? जब आपको पता चलता है कि आप वास्तव में इस तरह के व्यक्ति नहीं हैं, तो यह भावना आपको स्वतंत्रता प्रदान करेगी। साथ ही आप स्वयं को स्वीकार करने लगेंगे।

इसके अलावा आप अपनी भावनाओं का निरीक्षण करें। ऐसी कौन सी चीजें हैं, जो आपको क्रोधित या भावुक कर देती हैं या आपको उदास महसूस कराती हैं? आप इन भावनाओं को नजरअंदाज न करें। आप समय और ध्यान के अभ्यास से इन कमजोरियों को दूर कर सकते हैं। साथ ही जाने देना (meditation of letting go) का मतलब भी सीख सकते हैं।

अहंकार और वास्तविक स्थिति के बीच अंतर को समझें

अहंकार और वास्तविक स्थिति के बीच के अंतर को समझने के लिए कई उदाहरण है, जिसकी मदद से आप आसानी से इसके बारे में जान सकेंगे। जब आप जॉब इंटरव्यू के लिए जाते हैं और आपको कुछ दिनों के बाद पता चलता है कि आप इस कंपनी के लिए चयनित नहीं हैं। उस समय आपको कैसा लगता है? हममें से ज्यादातर लोग परेशान हो जाते हैं और निराश महसूस करते हैं। यह भावना हमारे द्वारा नहीं बल्कि आपके भीतर अहंकार द्वारा निर्मित होती है। जो चुपचाप हमारे स्वास्थ्य और मन को प्रभावित (letting go of anxiety meditation) करती है।

जब आप किसी जॉब इंटरव्यू के लिए जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप उस कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं। लेकिन अभी आप नहीं हैं। इसलिए इस स्थिति में हारने जैसा कुछ नहीं होता है। इस अवसर से बेहतर कुछ और हो सकता है जो आपका इंतजार कर रहा है। इस अंतर को समझने और वास्तविक स्थिति को स्वीकार करने से आपको एक और कदम आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है, ताकि आप समझ सकें कि जाने दें (letting go meditation) का अर्थ क्या है।

अप्रत्याशित चीजों को स्वीकार करें

जीवन कभी भी पूर्वानुमेय यानी पूर्वानुमान की तरह नहीं होता है। आपको हमेशा किसी आश्चर्य (surprise) के लिए तैयार रहना होता है। इस संदर्भ को समझने के लिए एक उदाहरण की मदद ले सकते हैं। कल्पना कीजिए कोई कंपनी आपको जॉब पर रखती है। आप उस कंपनी के लिए एक साल से अधिक समय से काम कर रहे होते हैं। अचानक कंपनी द्वारा आपको इस्तीफा देने के लिए कहेंगे, क्योंकि उस कंपनी के पास आपकी क्षमता के अनुसार कोई काम नहीं है तो इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया क्या होगी? इस घटना पर आप निश्चित रूप से निराश और क्रोधित महसूस करेंगे। क्योंकि यह अचानक आपके साथ हुआ जिसका आपको जरा भी अनुमान नहीं था। इस स्थिति में कैसे पूरी होगी आपकी जिम्मेदारियां आदि आपको परेशान करेगी।

लेकिन जब आप दूसरे तरीके से सोचते हैं तो हो सकता है कि कुछ बेहतर मौके आपका इंतजार कर रहे हों और यह अप्रत्याशित स्थिति इन सभी झगड़ों से निकलने में मददगार हो सकती है।

 ध्यान

ध्यान का अभ्यास सबसे अच्छे अभ्यासों में से एक है। जिससे आप  जाने दें (letting go meditation) की कला सीख सकते हैं। ध्यान एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य किसी प्रकार का लाभ प्राप्त करना या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। ‘ध्यान’ अनेकों प्रकार की क्रियाओं का बोध कराता है। है। इसमें मन को शांति देने की सबसे सरल तकनीक है। साथ ही जीवन-शक्ति का निर्माण तथा करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा आदि गुणों का विकास करने में मदद करता है। लेकिन जाने दें (letting go)  के संदर्भ में ध्यान का समय के साथ अभ्यास करके आप अपने मन को समझ सकते हैं। साथ ही आपकी इच्छा और आपके अवलोकन कौशल दिन-ब-दिन विकसित होते जाएंगे। आप किसी भी विषय या अपने आस-पास चल रही किसी भी चीज पर अपने विचार रखना शुरू कर देंगे। आप वास्तविक चीजों को देखकर समझ पाएंगे।

ध्यान आपको ध्यान और एकाग्रता की एक अच्छी समझ प्रदान करता है। इस संबंध में माइंडफुलनेस मेडिटेशन आपको स्थिति में मौजूद रहना सिखाता है। इन सभी को मिलाकर और ध्यान के नियमित अभ्यास से आप जाने देने (letting go meditation) की अपनी क्षमता में वृद्धि कर  सकेंगे।

खुद के साथ सख्ती न बरतें

यहां सख्ती का मतलब यह नहीं है कि आप खुद को चोट पहुचाएं। यानी अगर आपके दिमाग में कोई नकारात्मक विचार आए तो आप तनाव (letting go of control meditation) में न रहें। यह कुदरती है। ध्यान भी आपके मन की गतिविधि को रोक नहीं सकता। लेकिन इसका मतलब है, परेशान मत हों और उस नकारात्मकता की जड़ों को ढूंढने की कोशिश करें।

जीवन में हमेशा दो पहलू होते हैं। एक सकारात्मक हिस्सा और एक नकारात्मक। यह दोनों ही पहलू हमारे जीवन को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। जैसे-जैसे पेड़ बड़ा होता जाता है, उसकी जड़ें फैलती जाती हैं। अगर हम एक पेड़ को एक सकारात्मक पक्ष के रूप में और जड़ों को एक नकारात्मक पक्ष (let go of worry meditation) के रूप में मानते हैं, तो दोनों धीरे-धीरे बढ़ते हैं और समान महत्व रखते हैं।

प्रयास और समर्पण

एक व्यक्ति अपने पूरे जीवन में अपने परिवार के अच्छे जीवन यापन के लिए काफी परिश्रम करता है। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में वह हमेशा अपने लिए कुछ समय निकालना भूल जाता है। हर दिन जीवन हमसे कुछ नया मांगता है। लेकिन आपको यह चुनना होगा कि जीवन की सेवा के लिए क्या देना है और क्या नहीं।

प्रयास और समर्पण दोनों जीवन के अलग-अलग पहलू हैं। और जब आप ध्यान के दौरान समर्पण करने के सभी प्रयास और अभ्यास को छोड़ देते हैं तो जाने देने (letting go) की भावना आपके अंदर आ जाती है।

पूर्ण समर्पण में आपको बस इतना करना है कि जाने देना (letting go) है। इसके लिए आपको समर्पण ध्यान का अभ्यास करना होगा। सभी प्रयास और संघर्ष, और कुछ हासिल करने की सभी भावना को समर्पण कर दें। अपने आप को सभी चिंताओं से मुक्त होने दें। अपने आप को सभी समस्याओं से मुक्त होने दें। अपने आप को सभी दायित्वों से मुक्त होने दें। अपनी सभी इच्छाओं को जाने दें। वह सब जाने दें जो आपके लिए बहुत कीमती है। अपने आप के किसी भी जुनून को जाने दें जो आपके पास हो सकता है। इस भावना को छोड़ दें कि आपके साथ कुछ गड़बड़ है या ध्यान आपको किसी भी तरह से ठीक कर देगा। वास्तव में पूरी तरह से अपने आप को आत्मसमर्पण करें और अपने आप को अनंत आकाश में उड़ने दें।

सब कुछ छोड़ दें, सब कुछ समर्पण कर दें, लेकिन जो चीज आपके जीवन से कभी नहीं छूटती, वह है ध्यान का अभ्यास। ध्यान अभ्यास आपको बिना किसी सीमा के उड़ने और तैरने की अनुमति दे सकता है। ध्यान के अभ्यास से आप अपने अहंकार, चिंता, क्रोध, भय को दूर कर सकते हैं। साथ ही आप अपने मन और शारीरिक शक्ति पर भी अच्छा नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।

ध्यान आपको अन्याय सहने या गलत कामों के सामने चुप रहने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता है। ध्यान आपको सिखाता है कि जीवन कितना सुंदर है। साथ ही आप अपनी ऊर्जा को गलत दिशा या प्रयास में बर्बाद किए बिना अपनी शाश्वत आत्मा और शांति को पाने के लिए अतीत और भविष्य को जाने देने और वर्तमान स्थिति में जीने के लिए प्रेरित करता है।

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