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कैसे पूरा होगा नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना, जबकि देश में लगातार सिमट रही भाजपा, पढ़िए ज्योतिष विश्लेषण

कैसे पूरा होगा नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना, जबकि देश में लगातार सिमट रही भाजपा, पढ़िए ज्योतिष विश्लेषण

केवल दो सालों में 31 फ़ीसदी गिर गया भाजपा का प्रदर्शन

देश में लगातार घट रहा भाजपा का शासन, कैसा रहेगा आगामी प्रदर्शन

भारतीय वैदिक ज्योतिष और उसकी अन्य शाखाओं का विकास दिव्य प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा जन-मानस के जीवन को आसान और सुगम बनाने के लिए किया गया था। ऋग्वैदिक काल, पूर्व वैदिक काल और महाजनपद तक ज्योतिष के उपयोग से भविष्य के गर्भ को मापने के प्रमाण मिलते है। प्राचीन काल में बारिश, बुवाई, दिन, महीने साल, शुभ मुहूर्त और राजकीय कार्यों के लिए इस आलौकिक तकनीक का उपयोग किया जाता रहा है। मुख्य रूप से राजा और राज्य के भले के लिए उपयोग होने वाली इस तकनीक से पौराणिक काल से ही ज्योतिषियों ने राजा, राज्य, उनके उत्तराधिकारी और उनके शासन संबंधी भविष्यवाणियां करना शुरू कर दिया था। वैदिक ज्योतिष की इसी प्रामाणिक पद्धति से गणेशास्पीक अपने पाठकों के लिए लगातार राष्ट्रीय महत्व की बड़ी खबरों का ज्योतिष विश्लेषण करता आया है। आज का हमारा ज्योतिषीय विश्लेषण एक ऐसी विचारधारा या राजनीतिक पार्टी के मौजूदा और आगामी प्रदर्शन के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसकी स्थापना महज 29 साल पहले हुई। सन 1980 में जनसंघ और कुछ अन्य दलों के विलय से भारतीय राजनीतिक पटल पर उभरी भारतीय जनता पार्टी आज पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज है और देश के बड़े हिस्से पर राज करती है। लेकिन पिछले डेढ सालों में न सिर्फ उसकी राजनीतिक पकड़ कमजोर हुई बल्कि वह कई महत्वपूर्ण और बड़े राज्य अपने विरोधियों को गवां चुकी है। भाजपा के लगातार गिरते प्रदर्शन को देश की राजनीति में उसकी कम होती लोकप्रियता और नरेंद्र मोदी के घटते कद से जोड़ा जाने लगा है। लेकिन मौजूदा परिस्थिति के पीछे महज मोदी और अमित शाह या कोई अन्य नेता नहीं बल्कि ग्रह-नक्षत्रों और दशा-महादशा की प्रमुख भूमिका है। भारतीय जनता पार्टी की कुंडली का गहन अध्ययन करने के बाद पता चलता है कि क्यों भाजपा के सामने मौजूदा समय में ऐसी मुश्किलें आ रही है, जहां राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होकर भी उसे सत्ता से बेदखल रहना पड़ रहा है। ऐसे कई सवाल है जो भाजपा के सिमटे राजनीतिक मानचित्र को देखकर खडे़ होते है जैसे नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत का सपना कैसे पूरा होगा ? क्या भाजपा और नरेंद्र मोदी ने अपना जादू खो दिया है ? क्या भाजपा वापसी कर पाएगी ? ऐसे कई अन सुलझे सवाल है जिनके जवाब हमने भाजपा की कुंडली में वैदिक ज्योतिष पद्धति से खोजने की कोशिश की है, आइये शुरू करते है।

भाजपा का संक्षिप्त सफर 2014 से 2019

कुंडली और उसके विश्लेषण से पहले भाजपा की मौजूदा स्थिति पर फौरी नजर डालना जरूरी है। 1980 में अपनी स्थापना के 4 साल बाद 1984 में हुए आम चुनावों में महज 2 सीटों तक सीमित भारतीय जनता पार्टी 2014 तक अपने चरम पर पहुंच गई। साल 2014 में हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अपने सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे के साथ मैदान में उतरी और अप्रत्याशित परिणामों से देश की राजनीति को एक नया मोड़ देने का काम किया। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने लोकसभा की 282 सीटें जीतकर अपने इरादे साफ कर दिए थे। 2014 के आम चुनावों के समय महज 7 राज्यों तक सीमित भाजपा 2018 में 21 राज्यों की सत्ता में या तो भागीदारी थी या पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार चला रही थी। यह वह समय था जब देश की लगभग 71 प्रतिशत आबादी पर भाजपा का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शासन था। 2014 के बाद हुए कई बड़े राज्यों के चुनावों में अपने या अपने सहयोगियों की मदद से सरकार बनाने वाली भाजपा 2015 में 13 राज्यों में सरकार चला रही थी। उसने साल 2016 में 2 नए राज्यों को जोड़ा जिससे भाजपा का यह आंकड़ा 15 तक पहुंच गया। साल 2017 में 19 और सितंबर 2018 तक उसने अपनी सूची में देश के कुल राज्यों में से 21 में भगवा पताका फहराने का कार्य किया।

ग्रोथ
2018 से 2018 के बीच 300% की ग्रोथ की थी भाजपा ने

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लगातार बढ़ते इस क्रम में उसे कुछ राज्य गंवाने भी पड़े जिनमें पहला नाम है पंजाब जहां 2017 के चुनावों में भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। इसके बावजूद अक्टूबर 2018 तक उसके कंधों पर देश के 21 राज्यों की सत्ता की ज़िम्मेदारी थी। लेकिन ब्रह्मांड की गतिशीलता से जन्मे काल ने अपना हुनर दिखलाया और भाजपा की पकड़ देश के कई बड़े-बड़े राज्यों पर ढीली पड़ने लगी। इनमें ऐसे भी राज्य शामिल है जहां भाजपा का 15-15 सालों से राज था। 2018 में हुए पांच राज्यों के चुनावों में उसे बड़ा झटका लगा जब मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख राज्य उसने विपक्षी दलों को गंवा दिए।

मात्र 23 महीनों में ही मुरझाने लगा कमल

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हालांकि साल 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा और पिछली बार से अधिक मजबूती से केंद्र में अपनी सत्ता बरकरार रखी। कुछ राज्य सझेदार साथियों से मतभेद के कारण छूटे जिनमें आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर शामिल है, हालांकि मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। लेकिन 2018 तक भाजपा यहां सत्ता में साझेदार थी। फिलहाल जिस राज्य ने भाजपा के भगवा में भंग घोलने का काम किया वह है महाराष्ट्र जहां भाजपा हाथ आई सत्ता को राजनीतिक मतभेदों और अहम के कारण गंवा बैठी। इस परिस्थिति के पीछे उन ग्रहों का प्रभाव है जो सावते भाव से किसी समूह की तरह गुज़र रहे है। इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव के कारण भाजपा और उसके शीर्ष नेतृत्व में गफलत और अनिर्णय जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव का असर महाराष्ट्र के राजनीतिक भूचाल में देखने को मिला जहां उसे अपने गठबंधन साथी के साथ बहुमत मिलने के बाद भी सत्ता गंवाना पड़ा।

भारतीय जनता पार्टी की सूर्य कुंडली

स्थापना दिवस: 6 अप्रैल 1980
स्थापना समय: 11:45
स्थापना स्थान: नई दिल्ली

kundali
भारतीय जनता पार्टी की कुंडली

सातवें भाव से गुज़रते चंद्र, गुरू, शुक्र, शनि और केतु

भारतीय जनता पार्टी की कुंडली के सातवें भाव से गुज़रते चंद्र, गुरू, शुक्र, शनि और केतु की युति के कारण मौजूदा परिस्थिति को समझना ज्यादा आसान नजर आता है। मौजूदा समय में भाजपा-शिवसेना के बीच उपजे इन मतभेदों की जड़ में इन्ही ग्रहों की युति नजर आती है। इन ग्रहों के सयुंक्त प्रभाव के कारण ही भाजपा नेतृत्व पार्टी के लिए अनुकूल निर्णय लेने में असफल होते दिखाई दे रहा है। कुंडली में इन ग्रहों के युति के रूप में 7वें भाव से गोचर करने पर उलझन, अनिर्णय और गलत फैसले जैसे प्रभाव पड़ते है। ग्रहों के ऐसे योग एक अच्छी राणनीति बनने की राह में बाधा डालने का काम करते है। जो महाराष्ट्र की मौजूदा सियासत में बीते दिनों भाजपा के निर्णयों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है। यह परिस्थिति जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने की तरफ भी इशारा करती है। अधिकांश समय सकारात्मक फल देने वाला गुरू भी 7वें भाव से गुज़र रहा है लेकिन वह इन युति के कारण लाभदायक परिणाम देने में नाकाम नजर आता है। वहीं गुरू का इस भाव से गोचर इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भाजपा में स्थिरता बनी रहेगी।

जनवरी 2020 के बाद शनि का राशि परिवर्तन देगा लाभ

इस परिस्थिति के विपरीत साल 2020 की शुरूआत में होने वाला शनि का राशि परिवर्तन भाजपा के लिए कुछ अच्छे संकेत देता है। 24 जनवरी 2020 को शनि अपनी मौजूदा राशि धनु से मकर में प्रवेश करेगा। यह राशि परिवर्तन भाजपा को दुविधा की स्थिति से निकालने के साथ सकारात्मक परिणाम देने का कार्य करेगा। वहीं जनवरी 2020 के बाद भाजपा के लिए परिस्थिति और भी अनुकूल होती नजर आती है। इस दौरान पार्टी की स्थिरता बढ़ने के साथ ही उनके नेताओं का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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