बरसात के मौसम का महत्व
भारत एक कृषि प्रधान देश है। एेसे में सामान्य आैर बड़े पैमाने पर दोनों ही प्रकार का मानसून भारत के लोगों के हित के लिए महत्वपूर्ण है। मानसून सीजन यानि जून से सितंबर के बीच होने वाली उपयुक्त मौसमी बारिश समुचित फसल उत्पादन सुनिश्चित करती है, जिससे देश के लाखों किसान लाभांवित होते है, अच्छी बरसात होने से धान भी भरपूर मात्रा में होता है अौर आमजन तक इनकी अच्छी आपूर्ति होती है। इसके अलावा अच्छी बरसात होने से नदियों का जल स्तर बढ़ता है आैर बिजली का उत्पादन भी अधिक होता है। अब जिस तरह मानसून का सीजन आने वाला है एेसे में हर किसी के मन में यही सवाल चल रहा है कि इस बार मौसम कैसा रहेगा ? तो आइए इसका जवाब गणेशजी जानते है जिन्होंने आगामी मानसून को लेकर प्रमुख भविष्यवाणियां की हैः
मौसम की भविष्यवाणी का ज्योतिषीय तरीका
वैदिक ज्योतिष मौसम की स्थिति का पूर्वानुमान करने के लिए कर्इ सिद्घांतों का उपयोग करता है। वहीं मानसून को लेकर भविष्यवाणी करने के लिए पशुआें के व्यवहार को देखने के साथ ही विभिन्न ज्योतिषीय तकनीकों जैसे आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश, कर्क राशि में सूर्य का प्रवेश, सूर्योदय की आभा इत्यादि को देखकर मानसून संबंधी भविष्यवाणियां की जाती है।
गणेशजी ने इस लेख के जरिए केवल गोचर के ग्रहों के पैटर्न के आधार पर विशेष विश्लेषण किया है, ताकि पूरे देश में मानसून की वर्षा का अनुमान लगाया जा सकें। हम आपको बतादें कि मानसून सीजन 2017 को लेकर की गर्इ ये भविष्यवाणी दो महीने की निर्धारित समय-सीमा यानि जून-जुलार्इ आैर अगस्त-सितंबर तक के लिए की गर्इ है।
2017 के लिए मौसम का पूर्वानुमान:
जून-जुलार्इ 2017
जून 2017 के पूर्वाद्घ के दौरान, ग्रहों की स्थिति भारत के उत्तरी क्षेत्र में हार्इ टेम्परेचर या तेज हवाएं चलने के संकेत देती है। इसके अलावा, इस प्रारंभिक मानसून अवधि के दौरान मध्य भारत में आर्द्रता आैर तेज हवाआें में अचानक वृद्घि देखी जा सकती है। इसके तुरंत बाद मध्य आैर दक्षिणी क्षेत्रों में मानसून के मौसम की शुरूआत होगी। हालांकि, जून के उत्तरार्द्घ के बाद मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में समान रूप से बारिश नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, जून के उत्तरार्द्घ के दौरान आमतौर पर देश के दक्षिणी या तटीय क्षेत्रों में आंधी के साथ बारिश हो सकती है। क्या आप अपनी जिंदगी में किसी चीज को लेकर असमंजस की स्थिति है कि जाॅब या बिजनेस किसे अपने कैरियर के रूप में चुनें, तो इस सवाल का जवाब पाने के लिए खरीदें हमारी जाॅब या बिजनेस रिपोर्ट। मानसूनी वर्षा को लेकर जुलार्इ का महीना मुश्किल रह सकता है। आैर एेसा इसलिए होगा क्यूंकि शनि जलतत्व की राशि वृश्चिक में वक्री रहेगा। इस प्रकार, उत्तरी आैर मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में जुलार्इ में पर्याप्त मानसूनी बारिश हो सकती है। बल्कि इन क्षेत्रों में बांध आैर नदियां पर्याप्त पानी से लबालब नजर आ सकती है। देश के उत्तरी आैर मध्य क्षेत्रों में होने वाली इस पर्याप्त मानसूनी वर्षा के पीछे ज्योतिषीय एंगल देखें तो राहु आैर बुध की युति होने के कारण इन क्षेत्रों में अच्छी मानसूनी बरसात होगी। अगर आप भी अपने जीवन के विभिन्न पहलूआें के बारे में जानना चाहते है तो खरीदें आपके जीवन की विस्तृत भविष्यवाणी रिपोर्ट।
अगस्त-सितंबर 2017
जिन क्षेत्रों में जून-जुलार्इ में मामूली मानसूनी बारिश होगी, वहां इस अवधि के दौरान यानि अगस्त-सितंबर में पर्याप्त बरसात हो सकती है। हालांकि अगस्त में सूर्य ग्रहण भी होगा। जिसके कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में तूफानी हवाएं चलने आैर अनुचित मानसूनी बारिश होने की संभावना है। वहीं मध्य जुलार्इ आैर मध्य अगस्त के बीच में अधिक मात्रा में मानसूनी बरसात हो सकती है।
मानसूनी बारिश सितंबर के शुरूआती दिनों तक भी हो सकती है। इस समय मध्य आैर उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों को जल के देवता भगवान वरूण का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। इस लेख के सारांश में गणेशजी ये भविष्यवाणी करते है कि वर्ष 2017 में भारत में मानसून मुख्यतः सामान्य रहेगा।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
मालव भट्ट
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम
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