हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मास में दो चतुर्थी होते हैं। कृष्ण पक्ष में आने वाले चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष में आने वाले चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और सभी तरह के कष्टों को दूर करता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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2026 संकष्टी चतुर्थी कब है?
| तिथि | दिन | समय (तिथि प्रारम्भ – समाप्त) | संकष्टी चतुर्थी का नाम | मास |
|---|
| 6 जनवरी 2026 | मंगलवार | प्रारम्भ – 08:03 AM (6 जनवरी) समाप्त – 06:53 AM (7 जनवरी) | लम्बोदर संकष्टी | पौष |
| 5 फरवरी 2026 | गुरुवार | प्रारम्भ – 12:10 AM (5 फरवरी) समाप्त – 12:23 AM (6 फरवरी) | द्विजप्रिय संकष्टी | माघ |
| 6 मार्च 2026 | शुक्रवार | प्रारम्भ – 05:54 PM (6 मार्च) समाप्त – 07:18 PM (7 मार्च) | भालचंद्र संकष्टी | फाल्गुन |
| 5 अप्रैल 2026 | रविवार | प्रारम्भ – 11:59 AM (5 अप्रैल) समाप्त – 02:11 PM (6 अप्रैल) | विकट संकष्टी | चैत्र |
| 5 मई 2026 | मंगलवार | प्रारम्भ – 05:25 AM (5 मई) समाप्त – 07:52 AM (6 मई) | एकदंत संकष्टी | वैशाख |
| 3 जून 2026 | बुधवार | प्रारम्भ – 09:22 PM (3 जून) समाप्त – 11:30 PM (4 जून) | विभुवन संकष्टी | अधिक ज्येष्ठ |
| 3 जुलाई 2026 | शुक्रवार | प्रारम्भ – 11:21 AM (3 जुलाई) समाप्त – 12:40 PM (4 जुलाई) | कृष्णपिंगल संकष्टी | निज ज्येष्ठ |
| 2 अगस्त 2026 | रविवार | प्रारम्भ – 11:08 PM (1 अगस्त) समाप्त – 11:16 PM (2 अगस्त) | गजानन संकष्टी | आषाढ़ |
| 31 अगस्त 2026 | सोमवार | प्रारम्भ – 08:50 AM (31 अगस्त) समाप्त – 07:42 AM (1 सितंबर) | हेरम्ब संकष्टी | श्रावण |
| 29 सितंबर 2026 | मंगलवार | प्रारम्भ – 05:10 PM (29 सितंबर) समाप्त – 02:56 PM (30 सितंबर) | विघ्नराज संकष्टी | भाद्रपद |
| 29 अक्टूबर 2026 | गुरुवार | प्रारम्भ – 01:07 AM (29 अक्टूबर) समाप्त – 10:10 PM (29 अक्टूबर) | वक्रतुण्ड संकष्टी | आश्विन |
| 27 नवंबर 2026 | शुक्रवार | प्रारम्भ – 09:49 AM (27 नवंबर) समाप्त – 06:40 AM (28 नवंबर) | गणाधिप संकष्टी | कार्तिक |
| 26 दिसंबर 2026 | शनिवार | प्रारम्भ – 08:05 PM (26 दिसंबर) समाप्त – 05:13 PM (27 दिसंबर) | अखुरथ संकष्टी | मार्गशीर्ष |
संकटहरा चतुर्थी भी कहा जाता है
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। ये व्रत कर भक्त भगवान गणेश से कष्टों को हरने की प्रार्थना करते हैं। हिन्दू पंचाग के अनुसार ये व्रत हर माह की पूर्णिमा के चौथे दिन (कृष्ण पक्ष का चौथ ) किया जाता है। गणपति जी को हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य माना गया है, और सारे संकट हर लेते हैं। पूरे साल में 13 संकष्टी चतुर्थी के व्रत होते हैं। संकष्टी चतुर्थी को तमिलनाडु में ‘गणेश संकटहरा’ या ‘संकटहरा चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है।
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संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे करें?
- सुबह शुद्ध पानी से नहा कर साफ कपड़े पहनें।
- भगवान गणेश की पूजा तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन चढ़ाकर करें।
- उसके बाद गणेश की कथा का पाठ करें।
- भगवान गणेश का वंदन और मंत्रों का जाप करें।
- संध्याकाल गणेश जी की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत में क्या करें?
संकष्टी चतुर्थी का व्रत काफी कठिन होता है। इसमें किसी प्रकार के अनाज का सेवन ना करें। संकष्टी चतुर्थी के दिन फल, कंद-मूल खाया जा सकता है। शाम को चन्द्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद आप उपवास तोड़ सकते हैं। इस व्रत को तोड़ने के बाद शाम को आप साबूदाने की खिचड़ी, आलू और मूंगफली खा सकते हैं।
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संकष्टी चतुर्थी के लिए गणेश मंत्र
गणपति जी की पूजा आप इन मंत्रो से कर सकते हैं।
ॐ गं गणपतये नम:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
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