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2024 हरियाली अमावस्या का महत्व, मुहूर्त और लाभ

2023 हरियाली अमावस्या का महत्व, मुहूर्त और लाभ
हरियाली अमावस्या 2024

पौधरोपण और पितरों के श्राद्ध के लिए खास है सावन माह की हरियाली अमावस्या
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रुप में भी जाना जाता है। इस साल 2024 में रविवार, 4 अगस्त 2024 को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। देश के कई हिस्सों में इस दिन को पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। चूंकि श्रावण मास भगवान शंकर को प्रिय है, ऐसे में इस दिन खास तौर पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। यह दिन कृषि कार्य करने वालों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है और खास तौर पर इस दिन पौधरोपण भी किया जाता है। इस दौरान वे बारिश का पूर्वानुमान भी लगाते हैं, ताकि कृषि कार्य को शुरू किया जा सके।

इस दिन पौधा लगाना होता है शुभ
हरियाली अमावस्या के दिन पौधरोपण करना शुभ माना जाता है। वैसे भी पेड़-पौधे हमारी आस्था के साथ ही जीवन शक्ति से जुड़े हुए हैं। ऐसे में अलग-अलग पेड़-पौधों में विभिन्न देवताओं का भी वास होता है। जैसे पीपल वृक्ष में त्रिदेव के साथ ही अन्य देवताओं का वास माना गया है। इसी तरह केला और आंवला वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। ऐसे में खास पौधे लगाने और उनकी पूजा करने से शुभ फल के साथ ही ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है।

मुहूर्त का भी रखें ध्यान
पौधरोपण अगर शुभ मुहूर्त में किए जाएं तो वे शुभ फलदायी होते हैं। ज्योतिष के मुताबिक रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तरा भाद्रपदा, अनुराधा, पुष्य, श्रवण, हस्त, अश्विनी, मूल और विशाखा नक्षत्र में पौधरोपण शुभ होता है।

पौधे और उन्हें लगाने से मिलने वाले लाभ
लक्ष्मी : तुलसी, आंवला, केला, बेल का वृक्ष।
आरोग्य : ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आँवला, सूरजमुखी, तुलसी।
ऐश्वर्य और सौभाग्य : अशोक, अर्जुन, नारियल और वट वृक्ष।
संतान प्राप्ति : पीपल, नीम, बेल, नागकेशर, गु़ड़हल और अश्वगंधा।
मेधा : आँक़ड़ा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी और तुलसी।
सुख प्राप्ति : नीम, कदम्ब और घने छायादार वृक्ष।
आनन्द : हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा, गुलाब।

घर के सामने शुभ और अशुभकारी वृक्ष

शुभ फलदायी वृक्ष – नीम, अशोक, पुन्नाग, शिरीष, बेल, आंक़डा और तुलसी का पौधा आरोग्य वर्धक होता है।

अशुभ प्रभावकारी वृक्ष (घर के सामने नहीं होने चाहिए) – पाकड़, गूलर, बहे़डा, पीपल, बेर, निर्गुंडी, इमली, कदम्ब और खजूर के अलावा कांटे वाले, दूध वाले और फल वाले वृक्ष।

इन पौधों को घर में लगाने से करें परहेज – केला, अनार, पीपल और नींबू।

पितरों के श्राद्ध के लिए भी है हरियाली अमावस्या का महत्व
अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। ऐसे में श्रावण मास की अमावस्या का खास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि के स्वामी पितृदेव हैं। ऐसे में पितरों की तृप्ति के लिए भी इसका खास महत्व है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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