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कब है बसंत पंचमी 2026 (Kab hai Vasant panchami 2026)?
बसंत पंचमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जानिए इस साल बसंत पंचमी किस दिन रहेगी… बसंत पञ्चमी (Basant Panchami 2026) – शुक्रवार, 23 जनवरी 2026 बसंत पञ्चमी सरस्वती पूजा मुहूर्त – 07:22 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक बसंत पञ्चमी मध्याह्न का क्षण – 5 घंटे 29 मिनटबसंत पंचमी की पूजा विधि
- सबसे पहले माता सरस्वती की मूर्ति या फिर चित्र को मंदिर में घर या मंदिर में स्थापित करें।
- माता की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाकर सुसज्जित करें।
- इसके बाद रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद फूल, पीली मिठाई और मक्षत माता रानी को अर्पित करें।
- अब पूजा स्थल पर वाद्य यंत्र या फिर किताब को रखें।
- अंत में माता की आरती उतारते हुए सरस्वती वंदना का पाठ करें।
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बसंत पंचमी (Vasant panchami 2026) के लिए सरस्वती वंदना
बसंत पंचमी (vasant panchami 2026) के दिन मां सरस्वती की वंदना के बगैर पूजा अधूरी रह जाती है। विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना के लिए सरस्वती स्त्रोतम का एक अंश बहुत महत्वपूर्ण है। बसंत पंचमी (vasant panchami 2026) के दिन सरस्वती वंदना के दौरान इसका पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥ हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥ श्लोक का अर्थ – जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें।बसंत पंचमी का महत्व (Vasant panchami 2026 ka mahatva)
बसंत पंचमी (vasant panchami 2026) के इस त्योहार को किसी भी कार्य के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन विवाह के लिए इसे सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है। इसके अलावा विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति और ग्रह-प्रवेश के लिए भी यह दिन बहुत ही शुभ माना गया है। इसे प्रकृति का उत्सव भी माना गया है। महाकवि कालिदास ने बसंत को ऋतुसंहार नामक काव्य में ”सर्वप्रिये चारुतर बसंते” से अलंकृत किया है। इसके अलावा श्रीहरि विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में ”ऋतूनां कुसुमाकराः” अर्थात ‘मैं ऋतुओं में बसंत हूँ’ कहकर बसंत को अपना स्वरूप बताया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन कामदेव और रति ने मानव ह्रदय में पहली बार प्रेम और आकर्षण का संचार किया था। माता सरस्वती के अलावा इस दिन कामदेव और रति की पूजा भी करना चाहिए। इससे आपका दांपत्य जीवन खुशहाल गुजरता है। वहीं सरस्वती माता की पूजा करने से जीवन अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकार की ओर गतिमान होता है।व्यवसाय वृद्धि के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? अपनी व्यक्तिगत 2026 करियर रिपोर्ट प्राप्त करें।
बसंत पंचमी की कथा
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार श्रीहरि विष्णु के आदेश पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। सृष्टि की रचना के दौरान धरती पर हरेक चीज मौजूद थी। लेकिन ब्रह्मा जी को कुछ कमीं खल रही थी। इस कमीं को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने अपने कमल से जल निकालकर जमीन पर छिड़क दिया। इस जल के धरती पर छिड़कते ही एक तेज प्रकाश निकला और धरती कंपन करने लगी। इसी तेज प्रकाश से एक कन्या उत्पन्न हुई। जिसके एक हाथ में वीणा, एक में पुस्तक और एक हाथ में माला मौजूद थी। इसके अलावा चौथा हाथ वरदान देने की मुद्रा में था। इसके बाद जैसे ही उस कन्या ने वीणा के तार छेड़े, इस धरती की हर चीज में स्वर आ गया। इसी वजह से उस कन्या का नाम सरस्वती रखा गया। तब से लेकर आजतक तीनों लोकों में मां सरस्वती की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।अपने व्यक्तिगत समाधान प्राप्त करने के लिए, एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से बात करें अभी!
FAQs
बसंत पंचमी 2026 कब मनाई जाएगी?
बसंत पंचमी 2026 को शुक्रवार, 23 जनवरी को मनाई जाएगी।
बसंत पंचमी 2026 के दिन सरस्वती पूजा का मुहूर्त क्या है?
बसंत पंचमी 2026 के दिन सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह 07:22 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक है।
बसंत पंचमी का महत्व क्या है?
बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
बसंत पंचमी के दिन कौन से वस्त्र धारण करने चाहिए?
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करने की परंपरा है, जो बसंत ऋतु का प्रतीक हैं।
सरस्वती वंदना का कौन सा अंश बसंत पंचमी पर लाभकारी होता है?
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती वंदना के दौरान ‘या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता…’ का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
