नाग पंचमी (nag panchami) पूरे भारत, नेपाल और अन्य देशों में, जहां हिंदू अनुयायी रहते हैं, मनाई जाती है। इस दिन हिंदुओं द्वारा सांपों या नागों की पारंपरिक पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण (जुलाई / अगस्त) के चंद्र महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन पूजा की जाती है। इस दिन लोग मिट्टी से सांप बनाते हैं और उन्हें अलग-अलग रूप और रंग देते हैं। नाग की इस प्रतिमा को एक आसन पर रखा जाता है और दूध अर्पित किया जाता है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों में नाग-देवताओं के स्थायी मंदिर भी होते हैं और यहां विशेष पूजा धूमधाम और भव्यता के साथ की जाती है। इस दिन सपेरे का भी विशेष महत्व है, क्योंकि उन्हें दूध और धन का भोग लगाया जाता है। इस दिन मिट्टी खोदने की सख्त मनाही होती है। पश्चिम बंगाल में हिंदू इस तिथि पर नाग-देवी ‘अष्ट नाग ‘ के साथ ‘देवी मनसा ‘ की पूजा करते हैं।
नाग पंचमी (Nag Panchami) 2025 तिथि, पूजा मुहूर्त का समय
नाग पंचमी – मंगलवार, 29 जुलाई 2025
पंचमी तिथि प्रारंभ – 28 जुलाई 2025 को रात्रि 11:24 बजे
पंचमी तिथि समाप्त – 30 जुलाई 2025 को प्रातः 12:46 बजे
नाग पंचमी पूजा मूहूर्त – 06:16 से 08:54 तक
नाग पंचमी (Nag Panchami): महत्व और अनुष्ठान
नाग पंचमी (Nag Panchami) व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर नाग के चित्र बनाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। इसे ‘भित्ती चित्र नाग पूजा ‘ भी कहा जाता है। महिलाएं इस दिन ब्राह्मणों को लड्डू और खीर जैसे मिष्ठान के साथ भोजन प्रसादी कराती हैं। ऐसा ही भोजन सांपों और सपेरे को भी चढ़ाया जाता है।
नाग पंचमी उत्सव के पीछे की कथा
नाग पंचमी को मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। यहां दी जा रही कहानी आपको अच्छी लग सकती है। एक बार की बात है, एक किसान रहता था, जिसके दो बेटे और एक बेटी थी। एक दिन जब किसान खेत की जुताई कर रहा था, तो हल तीन सांपों के ऊपर से गुजरा, जिससे वे मर मए। अपने पुत्रों की मृत्यु को देखकर सर्प माता ने अपने पुत्रों की मृत्यु पर विलाप किया और किसान से बदला लेने की ठानी। आधी रात को जब किसान और उसका परिवार सो रहा था, तब सर्प माता उनके घर में घुसी और किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। नतीजतन, बेटी को छोड़कर सभी की मौत हो गई। अगली सुबह नागिन फिर से किसान की बेटी को मारने के लिए घर में दाखिल हुई। वह बहुत बुद्धिमान थी और इसलिए सर्प को प्रसन्न करने के लिए उसने एक कटोरा दूध सामने रखा और हाथ जोड़कर अनुरोध किया कि उसके पिता ने अनजाने में उसके बेटों को मारा है, इसलिए पिता को माफ कर दिया जाए। सर्प माता इस इशारे से बहुत प्रसन्न हुई और किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को जीवित कर दिया, जिन्हें उसने पिछली रात काटा था। साथ ही नागों ने इस वचन के साथ आशीर्वाद दिया कि श्रावण शुक्ल पंचमी पर जो महिलाएं नाग की पूजा करेंगी, उनकी सात पीढ़ियों तक रक्षा की जाएगी।
वह दिन नाग पंचमी का दिन था और तभी से सांप के काटने से बचने के लिए सांपों की पूजा की जाती है। इस तिथि को ‘कल्कि जयंती ‘ के रूप में भी मनाया जाता है। राहु और केतु के काल सर्प दोष से प्रभावित लोगों को इस दिन विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए, दोष के दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए ‘सर्प सूत्र’ और ‘नाग गायत्री’ के साथ ‘अष्ट नाग’ की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना भी शुभ होता है, रुद्राभिषेकम पूजा कराने के लिए यहां क्लिक करें…
नाग पंचमी मंत्र :
ऊँ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्
नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) पर्व पर दूध का महत्व
समुद्र मंथन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कहानी का जिक्र नागों को दूध पिलाने की घटना के रूप में किया जा सकता है। देवों और असुरों द्वारा अमृत की खोज में समुद्र से अलकातूम नाम का घातक विष निकला। यह पूरे ब्रह्मांड को मिटा देने की शक्ति रखता है। ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पी लिया था। पीते-पीते कुछ बूंदें धरती पर गिर पड़ीं, जिन्हें उसके सांप खा गए। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने नीलकंठ और नागों पर गंगा अभिषेक किया, इसलिए नाग पंचमी इस पूरी पौराणिक प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करती है।