जब महावीर ने दुनिया में अमीर और सुख से वंचितों के बीच अंतर को देखा तब उन्होंने शांति और समृद्धि से भरा जीवन जीने के लिए 24 वें तीर्थंकर के रूप में जैन धर्म की स्थापना की। महावीर के गौरवशाली कार्यों का यह उत्सव जैनियों में अत्यधिक महत्व रखता है, इसे ‘महावीर जन्म कल्याणक’ के नाम से भी जाना जाता है।
महावीर जयंती 2025 का तिथि समय
जैन धर्मग्रंथों के अनुसार, महावीर का जन्म चन्द्रमा की शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि, वर्ष 599 ईसा पूर्व के चैत्र माह के दौरान हुआ था। इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर के अंतर्गत यह त्योहार मार्च या अप्रैल के महीने में आता है। इस वर्ष महावीर जयंती निम्न तिथियों के अनुसार मनाई जाएगी।
- महावीर जयंती 2025 – गुरुवार, 10 अप्रैल 2025
- त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 09, 2025 को 22:55 बजे
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – अप्रैल 11, 2025 को 01:00 बजे
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महावीर जयंती – इतिहास और महत्व
जिस काल में महावीर का जन्म हुआ उस समय से वातावरण शांत हो गया और प्रकृति शांति का अनुभव करने लगी। स्वर्ग से देवी-देवताओं ने तीर्थंकर को श्रद्धा अर्पित की। एक समारोह में शिशु को नहलाकर उनका नाम महावीर और वर्धमान रखा गया। यही नहीं महावीर के जन्म से संबंधित उनकी माता त्रिशला की भी एक प्रसिद्ध कथा है। इस कथा के अनुसार महावीर के जन्म से पहले, उनकी माँ त्रिशला ने अलग-अलग वस्तुओं के प्रारूप में 16 सपने देखे थे। जिसका असर महावीर पर हुआ है। आइये जाने इस स्वप्न चिह्न और उसके महत्व के बारे में:
स्वप्न चिह्न और उनका महत्व:
सफेद हाथी – महान नैतिक मूल्यों से संबंधित बच्चे का जन्म होगा।
शेर – नेतृत्व को दर्शाता है।
देवी लक्ष्मी – धन और समृद्धि मिलेगी।
पूर्णिमा – शांति और समर्थन का रूप है।
उछलती हुई मछली की जोड़ी – आकर्षक उपस्थिति।
सूर्य – उच्च ज्ञान।
कमल के फूलों से भरा सरोवर – करुणा।
आकाशीय महल – आध्यात्मिकता।
माणिक और हीरे का सिंहासन – विश्व शिक्षक।
माला – समाज से लोकप्रियता और प्रशंसा।
बैल – एक प्रसिद्ध धार्मिक शिक्षक जो ज्ञान और शांति साझा करेगा।
मंदरा फूल – सहानुभूति और शिष्टाचार।
सुनहरा बर्तन – धन।
रत्नों से भरा बर्तन – मर्यादा और बुद्धि।
उफनता सागर – अनंत प्राप्ति।
नागेंद्र का निवास – दिव्यदृष्टि।
30 वर्ष की आयु में वे सांसारिक कर्मो का त्याग करके ध्यान की ओर अग्रसर हो गए। उन्होंने अशोक के पेड़ के नीचे 12 वर्षों तक लगातार ध्यान कर ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पूरे भारत में यात्रा करके अंधविश्वास और कई झूठी मान्यताओं को खत्म करने के लिए शिक्षा दी। नैतिकता, नैतिक मूल्यों और ईमानदारी को स्थापित करने के लिए उन्होंने “जैन धर्म” की स्थापना की जिसका उपदेश पूर्ण रूप से अहिंसा से समर्पित था। उन्होंने ध्यान और उपवास के महत्व पर प्रकाश डाला था जिसको नियमित रूप से करने पर मनुष्य बहुत से गुणों को प्राप्त कर सकता है।
जैन समुदाय के लिए यह विशेष महत्व रखता है इसलिए सभी जैन मंदिरों में महावीर जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। जयंती प्रमुख रूप से बिहार में पावापुरी, गुजरात में गिरनार और पलिताना, राजस्थान में श्री महावीरजी मंदिर और कोलकाता में पारसनाथ मंदिर में मनाई जाती है। मोक्ष प्राप्ति के लिए कुछ जैन धार्मिक कार्य करते हैं, कुछ जैन सिद्धांत की अच्छाई को फैलाने के लिए पास के मंदिरों में व्याख्यान देते हैं। जैन समुदाय इस दिन पारंपरिक भोजन बनाकर जरूरतमंदों को खिलाते हैं।
महावीर जयंती की परंपराएं और उनके अनुष्ठान
- पूरे दिन उपवास रखें या तपस्या करें।
- पूजा की वेदी या फूलों से कमरे को सजाएं।
- महावीर की मूर्ति को जल और दूध से अभिषेक कर शुद्ध करें।
- देवता को मिठाई, फूल और फल चढ़ाएं और प्रार्थना करें।
- गरीबों को कपड़े, पैसा, भोजन कराएं साथ ही किसी बुनियादी जरुरत के लिए सहयोग करें।
- इस दिन जैन मंदिरों के शीर्ष पर नए झंडे लगाए जाते हैं और कुछ समूह महावीर की मूर्ति को लेकर जुलूस भी निकालते हैं।
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नवकार मंत्र
महावीर जयंती पर इन नवकार मंत्र का जाप करना शुभ होता है:
नमो अरिहंतानम्
नमो सिद्धानम
नमो अयरियानम्
नमो उवझयानम्
नमो लोये सव्वा साहुनां
ऐसो पंच नमःकारो
सव्वा पाव पानासानो
मंगलान्चा सवेसीम्
पदम हवी मंगलम्
नवकार मंत्र का अर्थ
नमो अरिहंतनम् – मैं सभी अरिहंतों (प्रबुद्ध प्राणियों) को नमन करता हूं।
नमो सिद्धानम – मैं सभी सिद्धों (मुक्त आत्माओं) को नमन करता हूं।
नमो अयरियानम् – मैं सभी आचार्यों (धार्मिक विशेषज्ञ) को नमन करता हूं।
नमो उवझयनम् – मैं सभी उपाध्याय (धार्मिक शिक्षकों) को नमन करता हूं।
नमो लोये सव्वा साहुनां – मैं सभी साधुओं (ऋषियों) को नमन करता हूं।
ऐसो पंच नमःकारो – यह पंच नमस्कार
सव्वा पाव पानासानो – सभी पापों को नष्ट करती है।
मंगलान्चा सवेसीम – सभी मांगलिक कार्यों में
पदम हवी मंगलम् – मंगलकारी वैदिक पूजा करने में सहायक होते हैं।
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गणेशजी की कृपा से,
गणेशास्पीक्स.कॉम टीम