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स्मृति ईरानी की कुंडली : 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए क्या कहती है

स्मृति ईरानी की कुंडली

2014 में स्मृति ईरानी ने जब से मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाई, तब से विवादों के साथ उनका गहरा रिश्ता रहा। उनकी डिग्री पर लगातार बहस के बाद उन्हें उनके पहले प्रोफाइल मानव संसाधन विकास मंत्री से हटाकर कपड़ा मंत्री बना दिया गया। अब भी वे लगातार किसी ना किसी कारण से सुर्खियों में बनी रहने की कोशिश जरूर करती है। केंद्र में पांच साल मंत्री रह चुकी स्मृति का 2019 लोकसभा चुनाव कैसा होने वाला है, जानते हैैं उनकी कुंडली से-

स्मृति ईरानी की कुंडली

जन्म डिटेल- मार्च 23, 1976, दिल्ली
जन्म समय 10:00 ( निश्चित नहीं)

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स्मृति की कुंडली में बुध-शुक्र की युति

स्मृति ईरानी की कुंडली में दसवें भाव में शुक्र और बुध की युति एक विशेष राजयोग है। शुक्र उनकी कुंडली में वर्गोत्तम भी है, जो उन्हें आकर्षक बनाता है। साथ ही उन्हें अच्छा स्पीकर भी बनाता है। दूसरे भाव यानी कि बुध के घर में मंगल उन्हें राजनीतिक तौर पर अच्छा वक्ता बनाता है। वहीं कभी-कभी मंगल के कारण किसी चर्चा में उनके मुंह से गलत बात भी निकल जाती है, जो कंट्रोवर्सी बनाती है। गुस्से में भी उनके मुंह से ऐसी बात निकल जाती है, जो विवाद का कारण बन जाती है।

वक्री अवस्था का शनि फायदेमंद

तीसरे भाव में स्थित शनि वक्री है, जो स्मृति की कुंडली में दसवें भाव का मालिक है, जो उन्हें महत्वाकांक्षी और उद्यमी बनाता है। हालांकि वक्री शनि जीवन में कभी-कभी कठिनाई भी देता है। 11 वें भाव का सूर्य उनके पॉलिटिकल नेटवर्क को और मजबूत करता है। 6ठें भाव का राहु शत्रुहंता है। स्मृति की कुंडली के ग्रहों की स्थिति उन्हें अच्छे राजनेता के तौर पर स्थापित करती है।

स्मृति ईरानी को राहु की महादशा देगी फायदा

स्मृति की कुंडली के अनुसार अभी राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा या भुक्ति पीरियड चल रहा है। स्मृति के राजनीतिक सफर के लिए यह समय बहुत अच्छा कहा जा सकता है। कई अच्छे रिजल्ट उन्हें मिल सकते हैं। अपने प्रतिद्वंदियों को नुकसान पहुंचाने मेें वे सफल हो सकेंगी। हालांकि फेवरेबल दशा होने के बाद भी इस साल यानी 2019 में थोड़ी कठिनाइयां रहने वाली है। जन्म के चंद्रमा पर से शनि का गोचर दिक्कत दे सकता है। वहीं इस गोचर के साथ केतु भी युति कर रहा है। इससे कह सकते हैं कि स्मृति की जिंदगी में अचानक कई बड़े परिवर्तन देखे जा सकते हैं। नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान में उनका रोल महत्वपूर्ण होगा, लेकिन विवाद उनके साथ ही रहेंगे। लोकसभा चुनाव 2019 में उनकी उपस्थिति रहेगी, लेकिन गोचर के प्रभाव के चलते रिजल्ट उतने अच्छे नहीं रहेंगे।

आचार्य भारद्वाज के इनपुट के साथ
गणेशास्पीक्स डॉट कॉम/हिंदी

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