सपा में अंदरूनी क्लेश के बावजूद अखिलेश का प्रभुत्व रहेगा बरकरार

अखिलेश यादव, यूपी की राजनीति में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव के पुत्र है। इन्होंने साल 2012 में मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाली। अखिलेश देश के सर्वाधिक बड़े राज्य के सबसे यंगेस्ट सीएम रहे। जी हां सीएम पद पर जब इनकी ताजपोशी हुर्इ तब वे मात्र 38 साल के थे। भारत की राजनीति में अधिकांशतः सीएम पद की कुर्सी राजनीति में लंबा सफर तय करने वाले या यूं कह सकते है अधिक अनुभव प्राप्त करने वाले राजनेता को दी जाती है, लेकिन इन सबसे परे अखिलेश ने यूपी की सत्ता को संभालकर सभी को भाैचक्का कर दिया। इससे पहले वर्ष 2000 में वे कन्नौज संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य चुने गए थे। यूनिवर्सिटी आॅफ सिडनी एनवारमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले अखिलेश हाल ही में अपने चाचा शिवपाल यादव से जुड़े एक द्वेषपूर्ण पारिवारिक विवाद आैर अपने पिता मुलायम सिंह के हस्तक्षेप से जुड़े मामलों को लेकर सुर्खियों में रहे। देश के सबसे विशाल राज्य, उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव देश की राजनीति में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। गणेशजी ने बतौर सीएम अखिलेश के शपथ ग्रहण की कुंडली पर विश्लेषण करने के बाद ये भविष्यवाणी की है कि अखिलेश की मुश्किलें इतनी जल्दी खत्म नहीं होगी। अगले साल इन्हें पार्टी में आैर अधिक विरोध का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अंततः यूपी की राजनीति में अखिलेश अपनी अहम भूमिका का एहसास कराने में सक्षम होंगे। आइए जानते है गणेशजी ने इस लेख में अखिलेश के भविष्य से जुड़ी आैर क्या-क्या भविष्यवाणियां की है।


अखिलेश यादव के सीएम बनने के समय शपथ ग्रहण की कुंडली

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गणेशजी के अनुसार, “बुध के वक्री होते ही यादव फैमिली में विवाद उपजा”


शपथ ग्रहण के दिन ग्रहों का विस्तृत वर्णनः

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव के शपथ लेने की कुंडली में मिथुन लग्न का उदय हो रहा है। मिथुन राशि, द्वि-स्वभाव वाली राशि है जो कि मंगल के मृगशिरा नक्षत्र में उदित हो रही है। लग्न के स्वामी बुध के वक्री होते ही यादव परिवार में दरार अचानक से उभर कर आ खड़ी हुई। सिंह राशि में वक्री बुध और राहु की युति ने इन विवादों को और भी बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को हिलाकर रख दिया।


क्या सितारें पहले से विवादास्पद अवधि का संकेत दे रहे थे ?

अखिलेश की शपथ ग्रहण कुंडली में लग्नाधिपति आैर लग्नेश के नक्षत्र के स्वामी अर्थात मंगल आैर शनि दोनों ही वक्री है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अखिलेश का बतौर सीएम बनने का कार्यकाल विवादों से भरा रहेगा। विवाद का निपटारा हो जाने के बाद भी इनको अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में विकट चुनौतियों सामना करना पड़ सकता है। सरकार आैर पार्टी की अत्यधिक खराब छवि को सुधारना अखिलेश के लिए अत्यंत मुश्किल होने की संभावना है।

एक अमेरिकी कहावत के अनुसार- “एकता में शक्ति होती है” लेकिन, इसके उलट समाजवादी पार्टी की ताकत दिन-ब-दिन कम होती नजर आ रही है।


मतभेद, दलबदल आैर पार्टी की समस्याएं :

चंद्रमा सातवें भाव में केतु के नक्षत्र में स्थित है। नक्षत्र का स्वामी केतु बारहवें भाव में विराजमान है। गोचर के शनि का वृश्चिक आैर धनु राशि में पारगमन अखिलेश सरकार के लिए मुश्किलें पेश करेगा। इतनी आसानी से मतभेदों के सुलझने की आशा नहीं लगती। संता संघर्ष की संभावना को देखते हुए गणेशजी को फरवरी 2017 से अखिलेश सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण अवधि चालू होने के संकेत मिल रहे हैं।

हालांकि, सूर्य दसवें भाव में बैठा है, गोचर का गुरू इनके सूर्य पर दृष्टिपात कर रहा है। एेसे में, सीएम अखिलेश यूपी की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम होंगे। लेकिन पार्टी के भीतर-ही-भीतर चल रहे विवाद आैर दलबदलू इनकी क्षमता का इम्तिहान ले सकते हैं।

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गणेशजी के आर्शीवाद सहित
तन्मय के ठाकर
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम टीम



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