रमा एकादशी पर जीवन में कैसे लाए अदभुत परिवर्तन!

रमा एकादशी पर जीवन में कैसे लाए अदभुत परिवर्तन!

रमा एकादमी के पीछे पौराणिक कथा

हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। यूं तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनार्इ जाने वाली रमा एकादशी का अपना ही एक अलग महत्व है। दीवाली से कुछ दिन पूर्व आने वाली इस एकादशी पर विष्णु भगवान का विशेष पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, एक मुचकुंदु नाम का राजा था, जो कि विष्णु भगवान का परम भक्त था। मुचकुंदु की एक चंद्रभागा नाम की कन्या थी, वो जब आठ साल की थी तभी से रमा एकादशी का व्रत करने लगी और इस कारण उसने बड़ी मात्रा में पुण्य संचित किया । इसके बाद जब चंद्रभागा का विवाह होता है तो वो अपने पति शोभन को भी रमा एकादशी का व्रत करने को कहती है। लेकिन उसका पति शारीरिक रूप से बहुत दुर्बल होता है और इस कारण वो इस व्रत को करने को लेकर घबरा जाता है। लेकिन अपनी पत्नी को खुश करने के लिए वो ये व्रत रखता है, भूख के कारण व्रत की अगली सुबह उसकी मौत हो जाती है। लेकिन चंद्रभागा अपने संचित पुण्यों के कारण अपने पति को वापिस प्राप्त कर लेती है और इसके बाद चंद्रभागा और शोभन आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करते है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसके सभी पाप धुल जाते है और वो मोक्ष प्राप्त करता है।

भगवान विष्णु की पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ अत्यधिक महत्व रखता है। प्रतिदिन इसका पठन करके सभी समस्याआें को दूर किया जा सकता है। इस स्त्रोत का ज्योतिषीय लाभ ये है कि इससे आपके जन्म का बुध मजबूत होता है।


रमा एकादशी के उपवास का लाभ

जो व्यक्ति रमा एकादशी के दिन व्रत करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं, उसके रास्ते में आर्इ सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और वो आध्यात्मिक रूप से मोक्ष को प्राप्त करता है।


रमा एकादशी पर किए जाने वाले अनुष्ठान

* इस व्रत को करना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। पहले दिन यानीकि ‘दशमी’ की रात्रि से शुरू हो जाता है। दशमी पर भी भक्त को हर तरह की चीज नहीं खानी चाहिए। उन्हें सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। एकादशी को वे कुछ भी नहीं खा सकते। वे दूसरे दिन ‘द्वादशी’ को ये व्रत तोड़ सकते है। क्या आप जीवन में नकारात्मकता को खत्म करने और चौतरफा खुशी का अानंद लेने का रास्ता ढूंढ रहे हैं?

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* एेसा भक्त जो रमा एकादशी का व्रत रखता है, उसे इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर व्रत संकल्प करना चाहिए। इसके बाद विष्णु भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दिन भक्तों द्वारा भगवान विष्णु को धूप, पंचामृत, तुलसी, दीप, प्रसाद और फल आदि अर्पित किए जाने चाहिए। इसके बाद आरती की जाए और आरती के बाद भगवान को चढ़ाया प्रसाद घर के सभी सदस्यों को बांटा जाए।
* रमा माँ लक्ष्मी का दूसरा नाम भी है। इस कारण रमा एकादशी पर माँ लक्ष्मी की पूजा स्वास्थ्य, समृद्घि और प्रसन्नता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है।
* रमा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति काे इस दिन भागवत गीता अवश्य पढ़नी चाहिए और भजन-कीर्तन में अपना पूरा समय व्यतीत करना चाहिए। ये व्रत सभी भाैतिक इच्छाआें को पूरा करने वाला, पापों को नष्ट करने वाला और आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करने वाला है।
* विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत भगवान का अाशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली तरीका है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम



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