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अहोई अष्टमी 2025: पूजा विधि, सामग्री और खास उपाय

अहोई अष्टमी पूजा

गणेशजी कहते हैं कि अहोई अष्टमी 2025 का पर्व सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और रक्षा के लिए किया जाता है। माताएँ पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और संध्या समय तारे के दर्शन कर व्रत का समापन करती हैं। यह व्रत मातृत्व के त्याग, आस्था और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

स्टेप-बाय-स्टेप अहोई अष्टमी पूजा विधि

  1. व्रत का संकल्प – सुबह स्नान कर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
  2. अहोई माता का चित्र – शाम को दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं, जिसमें स्याल/सियार और सात पुत्रों की आकृति हो।
  3. पूजा सामग्री सजाना – जल से भरा कलश, धूप, दीपक, दूध और फल सजाएँ।
  4. माता की पूजा – दीपक जलाकर अहोई माता को फल, मिठाई और दूध अर्पित करें।
  5. कथा श्रवण – अहोई अष्टमी की कथा सुनें या परिवार संग पढ़ें।
  6. तारा दर्शन – तारे को अर्घ्य देकर संतान के कल्याण और दीर्घायु की प्रार्थना करें।
  7. व्रत समापन – तारे को जल अर्पित करने के बाद व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें।

पूजा सामग्री (Samagri List)

  • अहोई माता का चित्र/पेंटिंग
  • कलश, जल और दूध
  • रोली, हल्दी, मौली, अक्षत
  • धूप, दीपक, घी, रुई
  • फल और मिठाई
  • स्याल/सियार की आकृति (चित्र या प्रतीक रूप में)

अहोई अष्टमी मंत्र

गणेशजी सुझाव देते हैं कि इस मंत्र का जप संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए अत्यंत प्रभावी है –

“ॐ अहोई माँ नमः॥”


घर में पूजा के टिप्स

  • दीवार पर अहोई माता का चित्र अवश्य बनाएं और उसके सामने पूजन करें।
  • बच्चों को पूजा में शामिल करें ताकि वे परंपरा का महत्व समझ सकें।
  • व्रत कथा का श्रवण पूरे परिवार के साथ करें, इससे श्रद्धा और एकता बढ़ती है।

गणेशजी कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत माँ के त्याग और संतान के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है। श्रद्धापूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति और बच्चों के जीवन में दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है।

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