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ज्योतिष नजरिया: तो क्या एयर इंडिया 76% हिस्सेदारी बेच देगी?

एयर इंडिया

उद्योगपति जेआरडी टाटा ने 1932 में ‘टाटा एयरलाइंस’ शुरू की थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1946 के रोज उन्होंने ‘पब्लिक लिमिटेड’ के रूप में इसकी घोषणा की। इस कंपनी को दिनांक 8-6-1948 के दिन सरकार ने अधिग्रहण किया और इसका नाम एयर इंडिया (Air India) रखा। इस प्रकार, 1932 में शुरू हुई टाटा एयरलाइंस, दिनांक 8-6-1948 को एयर इंडिया बन गई। हाल में ही सरकार कर्ज में डूबी एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी और इसके प्रबंधन को निजी हाथों में बेचने की योजना बना रही है जिससे इस महाराजा के अच्छे दिन वापस आ सकें। यहां दिनांक 8-6-19 48 के दिन के आधार पर ज्योतिषीय पहलुओं के अनुसार सूर्य कुंडली का अध्ययन करते हुए यहां एयर इंडिया कंपनी के भविष्य का अवलोकन किया जा रहा है।

एयर इंडिया की स्थापना का दिन: 8 जून 1948
एयर इंडिया की स्थापना का समय: उपलब्ध नहीं
एयर इंडिया की स्थापना का स्थान: दिल्ली, भारत

क्या कहते हैं एयर इंडिया कंपनी के जन्म नक्षत्र?
एअर इंडिया कंपनी की सूर्य कुंडली के मुताबिक वृषभ लग्न बनता है। लग्नेश शुक्र दूसरे भाव में है। इसके उपरांत, कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र, बुध और चंद्र की युति है। तृतीय भाव में शनि, चतुर्थ भाव में मंगल, छठे भाव में केतु, अष्टम भाव में वक्री गुरु और बारहवें भाव में छायाग्रह राहु है। अष्टम स्थान में रहने वाला वक्री गुरु द्वितीय स्थान में निवास कर रहे शुक्र, बुध को पूर्ण दृष्टि से देखता है। सूर्य कुंडली में चंद्र व गुरु की प्रतियुति गजकेसरी योग का फल देती है। शुक्र चर्चित कुण्डली में लग्नेश और षष्ठेश है। गुरु की पूर्ण दृष्टि होने की वजह से एयर इंडिया को प्रोडक्शन देता है। धनेश और पंचमेश बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि के कारण कंपनी को आर्थिक रूप से सफलता मिलने के योग बनते हैं। लेकिन, भाग्येश और कर्मेश शनि चंद्र के घर में शत्रुक्षेत्री होकर पड़े हैं। इसके उपरांत, इनकी पूर्ण दृष्टि भाग्य स्थान पर और दशम दृष्टि बारहवें स्थान के राहु पर पड़ रही है। इससे शापित दोष बनता है। उपरांत, छठें स्थान का केतु धंधे में अज्ञात प्रतिस्पर्धियों, बलवान प्रतिस्पर्धियों को पैदा करता है। इसके कारण समस्या हो सकती है।

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क्या कहते हैं गोचर के ग्रह?

गोचर के ग्रहों पर गौर करने से पता चलता है कि भाग्येश और कर्मेश शनि धन राशि के अष्टम स्थान में भ्रमण करता है। इसके कारण कर्म स्थान और धन स्थान के उपरांत धन स्थान में रहने वाले चंद्र, बुध और शुक्र डिस्टर्ब होते हैं। गोचर का राहु तीसरे स्थान में शनि के ऊपर से और केतु भाग्य स्थान में से प्रसार होता है। सूर्य व बुध लाभ स्थान की मीन राशि से गुजर रहे हैं। लग्नेश और षष्ठेश शुक्र बारहवें में मेष राशि में गुजरते हैं। सप्तमेश व व्ययेश मंगल आठवें स्थान में स्थिति गुरु पर से भ्रमण करते हैं। गोचर का गुरु तुला राशि में जन्म के केतु के ऊपर से भ्रमण करता है।

एयर इंडिया कंपनी का आगामी समय कैसा रहेगा?

भाग्येश व कर्मेश शनि पर से राहु का भ्रमण कार्यक्षेत्र में अवरोध पैदा करता है। इसके अलावा, चंद्र (पराक्रमेश), शुक्र (लग्नेश-कंपनी की परिस्थितियों का कारक और षष्ठेश – एक्टिविटी और कार्यक्षेत्र का कारक बनता है।) बुध (धनेश व पंचमेश-कंपनी की आर्थिक परिस्थिति का कारक होता है। लेकिन पापग्रह शनि और मंगल की पूर्ण दृष्टि होने से एयर इंडिया के लिए प्रबल आर्थिक संकट की संभावना रहेगी, एेसा कुंडली विचार करने पर ज्ञात होता है। इसके अलावा, एक्टिविटी के स्थान में केतु के ऊपर से गुरु गोचर प्रभाव की वजह से यह कुछ हद तक यह बीच का रास्ता अपना सकती है। यह गुरु चंद्र (कंपनी की एक्टिविटी), शुक्र (कंपनी की परिस्थिति) और बुध (कंपनी की आर्थिक स्थिति) पर तुला राशि में रहने वाला गोचर का गुरु नवम दृष्टि से देखता है। यह कर्म क्षेत्र को भी देखता है।

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क्या एयर इंडिया बेच सकती है 76 फीसदी तक की हिस्सेदारी?

सरकार का कारक ग्रह सूर्य मीन राशि में भ्रमण चल रहा है। इससे कंपनी कोई प्रैक्टिकल रास्त इख्तियार कर सकती है। सूर्य दिनांक 14-4-2018 से 14-5-2018 के दौरान मेष राशि में रहेगा। इसके बाद यह दिनांक 14-6-2018 तक वृषभ राशि में रहेगा। इस समय के दौरान एयर इंडिया अगर अपना 76 % हिस्सा बेच दे तो कोई नई बात नहीं। कारण यह है कि 12-10-2018 तक का समय कंपनी के लिए मध्यम स्तर का बन रहा है। इसके बाद वृश्चिक राशि में गुरु का भ्रमण शुरू होगा। इस प्रकार ग्रहों की स्थिति पर गौर करने पर लग रहा है कि यहि यदि एयर इंडिया के निजीकरण की घोषणा हो तो कोई नई बात नहीं है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
प्रकाशभाई पंड्या
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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