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क्या है कर्म की परिभाषा ? कैसे काम करता है कर्म का सिद्धांत ?

क्या है कर्म की परिभाषा ? कैसे काम करता है कर्म का सिद्धांत ?

कहते है जैसी करनी वैसी भरनी ! इस कहावत को कर्म की परिभाषा के रूप में देखा जा सकता है। इस बात को फलिभूत करते कई तथ्य वेदों, पुराणों, उपनिषदों सहित वैदिक ज्योतिष में मिलते है। कहते है, जो अपने जीवन में जैसे कर्म करेगा, वैसे ही फल या परिणामों का सामना उसे अपने जीवन में करना होगा। सामान्य भाषा में कर्म और फल के इसी चक्र को कर्म का सिद्धांत भी कहा जा सकता है। कर्म के फल को लेकर लोगों के अपने-अपने मत है, कुछ अपने जीवन की परिस्थियों को पूर्व जन्म के कर्मों का फल मानते है, तो कुछ मानते है कि जीवन के अच्छे-बुरे कर्मों का फल इसी जीवन से जुड़ा है। कर्मों के फल इस जन्म में मिलें या अगले जन्म में, हमारी कोशिश सार्थक कर्म करने की होनी चाहिए।

कर्म क्या है ?

सार्थक कर्म और उनका सकारात्मक फल प्राप्त करने के लिए हमारा यह जानना आवश्यक है, कि कर्म क्या है, और यह कैसे कार्य करता है ? गीता सार में कर्म की व्याख्या मिलती है, भगवान श्री कृष्ण के अनुसार कर्म वही है, जो मनुष्य की बुद्धि में जन्म लेता है। बुद्धि में विचारों का जन्म होता है, और मनुष्य विचारों को ही मानसिक और शारीरिक रूप से फलीभूत करता है। मतानुसार, विचारों का प्रत्यक्ष रूप में परिवर्तन ही ‘कर्म‘ है। लेकिन कर्म की व्याख्या यहीं तक सीमित नहीं है। कर्म के प्रकार भी होते हैं।

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कर्म के प्रकार

मुख्य रूप से कर्मे तीन प्रकार के होते है संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण….
– संचित कर्म वह कर्म होते है जो बेमन या किसी के दबाव में किए जाएं, ऐसे कर्मों का फल शहस्त्र वर्षों तक संचित रहता है। लेकिन इसका फल हल्का धुंधला और विपरीत परिस्थितियों से टकराकर समाप्त हो जाता है।
– प्रारब्ध कर्म यह कर्म मनोयोग से पूर्ण इच्छा और भावना के साथ किया जाता है। इस कर्म का फल सार्थक रूप में मिलना तय है, लेकिन समय निश्चित नहीं है।
– क्रियमाण कर्म का वह प्रकार है, जिसका फल इसी जन्म में मिलना तय है। इसमें ऐसे कर्म आते है जिनसे दूसरों को दुख पहुंचता है। जैसे – किसी को मारना या गाली देना या किसी अन्य प्रकार से प्रताड़ित करना या दुख पहुंचाना।

वैदिक ज्योतिष और कर्म

वैदिक ज्योतिष को कर्म का लेखा-जोखा पढ़ने का एक उपयोगी शास्त्र माना गया है। पुरातन काल से वैदिक ज्योतिष का उपयोग कर्म और उसके फल का प्रकार जानने के लिए होता आया है। ऐसी कई वैदिक पद्धित है जिनसे इस जन्म और पूर्व जन्म के कर्मों का निष्कर्ष निकाला जा सकता है। साथ ही वैदिक ज्योतिष आपको जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार आने वाले समय का सही अनुमान लगाने और ग्रहों व दशा की व्याख्या करता है, जो जीवन के अनुकूल और प्रतिकूल चरणों का पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है।

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कर्म, प्रेम प्रसंग, जीवन साथी और बच्चे

वैदिक ज्योतिष के अनुसार आपके रिश्ते भी आपके कर्मों का परिणाम होते है। वैदिक ज्योतिष और कर्म के सिद्धांतों के अनुसार आपके कर्मों का लेखा-जोखा ही आपके जीवन साथी या प्रेमी-प्रेमिका के साथ संबंधों व उनके चुनाव में मुख्य भूमिका निभाता है। वैदिक ज्योतिष और वेद-ग्रंथों में जीवन साथी को अद्र्धागिनी शब्द से संबोधित किया गया है। सामान्य रूप से अद्र्धागिनी का अर्थ शरीर के आधे हिस्से से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन शास्त्रों में इसके मायने बेहद गहरे बताए गए है। शस्त्रों की इन्ही मान्यताओं के अनुसार वर्तमान समय में कई थ्योरी सामने आई जिनमें दो विपरीत लिंगियों के आकर्षण को उनकी आत्मा और कर्मों से जोड़कर दिखाया गया है। किसी व्यक्ति का आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाना महज संयोग नहीं वरण यह नियती के अनुसार घटी घटना माना गया है।

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दो सही कर्म साथियों के मिलन से ही एक सही और योग्य तीसरे अंश के जन्म का भी उल्लेख मिलता है। जब दो सही कर्म साथियों का मिलन होता है तो उनकी सकारात्मक भौतिक ऊर्जा और भावात्मक ऊर्जा के कुछ हिस्सों से एक नये अंश का जन्म माना गया है। जन्म के समय वह अंश कुछ भी नहीं अपितु अपने माता-पिता के कर्मों का योग होता है। आगे चलकर उसे स्वयं अपने कर्मों का चुनाव करना होता है।

निष्कर्ष:- कर्म फलों का योग है आपका जीवन

वैदिक ज्योतिष और कर्म दोनों ही अलग-अलग बातें है लेकिन दोनों ही मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने के उपाय सुझाते हैं। इनकी इनका आपसी मेल ही इनकी प्रासंगिकता और आपके जीवन का स्तर निर्धारित करता है। जैसे आपके कर्मों का योग ही आपका जन्म समय और योनी का निर्धारण करता है लेकिन इस जन्म समय और ग्रहों की स्थिति को पढ़ने और उसके अनुसार उचित-अनुचित या उपायों को सुझाने का कार्य ज्योतिष शास्त्र करता है। तो निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि उचित कर्मों का चुनाव करना इस जन्म और अगले जन्म में सकारात्मक फल प्राप्त करने का आसान उपाय है, लेकिन इन फलों का प्रभाव जानने का ज्योतिष शास्त्र एकमात्र साधन है।

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