सूर्य ग्रहण का महत्व और समय
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य को ढक लेता है, तब सूर्य ग्रहण होता है। उस समय सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है और आकाश में अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।
इस बार का सूर्य ग्रहण 21 सितम्बर 2025 की रात 11:15 बजे से प्रारंभ होकर 22 सितम्बर 2025 की सुबह 01:42 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए परंपरागत दृष्टि से किसी प्रकार की ग्रहण-स्नान या सूतक मानने की आवश्यकता नहीं है।
सूर्य ग्रहण कितनी देर रहेगा अंधेरा
गणेशजी कहते हैं कि यह ग्रहण विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह सर्वपितृ अमावस्या के अंत में घटित हो रहा है। इस दिन यदि आप श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म करेंगे तो अपने पूर्वजों (पितरों) का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और पितृ दोष से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। इस दिन कौन कौनसा जाप और दान करना महत्व है? सारी जानकारी के लिए आगे पढ़ें!
साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का आपकी राशि पर असर
सभी राशियों के लिए भविष्यवाणी
(ये भविष्यवाणियाँ आपकी चंद्र राशि के आधार पर हैं)
मेष
ग्रहण आपके छठे भाव में हो रहा है। गणेशजी कहते हैं कि कार्यस्थल पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और शत्रु सक्रिय हो सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी जैसे पाचन या थकान आपको परेशान कर सकती है। यदि आप अनुशासित रहेंगे और धैर्य से काम करेंगे तो इस समय को अवसर में बदल पाएंगे।
वृषभ
यह ग्रहण आपके पाँचवें भाव को प्रभावित करेगा। गणेशजी की सलाह है कि प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव रहेंगे और संतान की चिंता बढ़ सकती है। रचनात्मक कार्यों में अस्थायी बाधाएँ आएँगी, जिससे मन विचलित होगा। धैर्य से काम लें क्योंकि ग्रहण के बाद नई प्रेरणा और सकारात्मकता वापस आएगी।
मिथुन
ग्रहण आपके चौथे भाव में घटित होगा। गणेशजी कहते हैं कि पारिवारिक माहौल में तनाव और अस्थिरता बढ़ सकती है। माता के स्वास्थ्य या घर-गृहस्थी से जुड़े मामलों में चिंता रहेगी। प्रॉपर्टी या मकान से जुड़े निर्णय इस समय टालना ही उचित रहेगा।
कर्क
ग्रहण आपके तीसरे भाव को प्रभावित करेगा। गणेशजी कहते हैं कि भाई-बहनों से मतभेद हो सकते हैं और छोटे यात्राओं में अड़चनें आएँगी। आपकी वाणी और संचार शैली पर असर पड़ेगा, इसलिए कटुता से बचें। यदि आप संयमित रहेंगे तो यही समय आपके विचारों को निखारने का अवसर बनेगा।
सिंह
यह ग्रहण आपके दूसरे भाव में हो रहा है। गणेशजी चेतावनी देते हैं कि आर्थिक मामलों में असमंजस और खर्चे बढ़ सकते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ पैसों को लेकर विवाद संभव है। आपको वाणी में कटुता से बचना चाहिए और वित्तीय निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए।
कन्या
ग्रहण आपके ही लग्न भाव (प्रथम भाव) में पड़ रहा है। गणेशजी कहते हैं कि यह आपके व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा। आप असुरक्षित महसूस कर सकते हैं और मानसिक दबाव बढ़ सकता है। यह समय आत्म-निरीक्षण करने और खुद को नई दिशा देने का अवसर है।
तुला
ग्रहण आपके बारहवें भाव में होगा। गणेशजी कहते हैं कि खर्चे बढ़ेंगे और मानसिक शांति कम होगी। नींद की समस्या या विदेश से जुड़े कामों में रुकावट संभव है। यह समय ध्यान, प्रार्थना और दान के माध्यम से मानसिक संतुलन पाने का है।
वृश्चिक
ग्रहण आपके ग्यारहवें भाव में पड़ रहा है। गणेशजी की भविष्यवाणी है कि मित्रों या सामाजिक दायरे में गलतफहमी हो सकती है। आर्थिक लाभ में देरी संभव है और आपके सपनों की पूर्ति फिलहाल टल सकती है। इस समय आपको धैर्य और दूरदर्शिता अपनानी होगी।
धनु
यह ग्रहण आपके दसवें भाव को प्रभावित करेगा। गणेशजी कहते हैं कि करियर और समाज में आपकी प्रतिष्ठा की परीक्षा होगी। वरिष्ठों या अधिकारियों से टकराव हो सकता है। कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले गंभीरता से विचार करना ही उचित रहेगा।
मकर
ग्रहण आपके नवें भाव में हो रहा है। गणेशजी कहते हैं कि भाग्य का साथ कमजोर हो सकता है और धार्मिक विश्वास की परीक्षा होगी। यात्रा और शिक्षा से जुड़े कार्य बाधित हो सकते हैं। फिर भी यह समय आपको आध्यात्मिक दृष्टि से और गहराई देगा।
कुंभ
ग्रहण आपके आठवें भाव को प्रभावित करेगा। गणेशजी कहते हैं कि अचानक परिवर्तन और मानसिक अस्थिरता संभव है। साझा धन, बीमा या कर संबंधी मामलों में सतर्क रहें। यह समय आपके जीवन में आत्म-परिवर्तन और गहरे चिंतन का अवसर भी देगा।
मीन
ग्रहण आपके सातवें भाव में होगा। गणेशजी कहते हैं कि दांपत्य जीवन और व्यापारिक साझेदारी में तनाव संभव है। रिश्तों में समझदारी और धैर्य की आवश्यकता है। यदि आप ईमानदारी से काम करेंगे तो यही समय संबंधों को नए स्तर तक ले जाने का अवसर बनेगा।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव और यह कब तक रहता है
गणेशजी की अंतिम सलाह और उपाय
गणेशजी कहते हैं कि यह सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका असर हर चंद्र राशि पर अवश्य पड़ेगा। इससे बचाव और शांति के लिए ये उपाय लाभकारी होंगे:
- ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें और सूर्य को जल अर्पित करें।
- ग्रहण समाप्ति के बाद गुड़, गेहूँ और लाल कपड़े का दान करें।
- पितरों के आशीर्वाद के लिए श्राद्ध कर्म अवश्य करें, क्योंकि यह ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के अंत में है।
- क्रोध और अहंकार से दूर रहें।
- ध्यान, साधना और प्रार्थना से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी।
गणेशजी की सलाह है कि यह ग्रहण आत्म-चिंतन और आत्म-परिवर्तन का समय है। संयम, भक्ति और पूर्वजों की कृपा से आप आने वाले समय में नई दिशा और प्रगति प्राप्त करेंगे।