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चिकित्सा ज्योतिष: ग्रहों का शरीर पर प्रभाव और उसके कारण होने वाले रोग

चिकित्सा ज्योतिष: ग्रहों का शरीर पर प्रभाव और उसके कारण होने वाले रोग

नवग्रहों के प्रकोप से अापको होती हैं गंभीर बीमारियां

कई बार अाप बीमार पड़ते हैं और लगातार इलाज के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो कई बार अापकी बीमारी डॉक्टर की समझ से भी बाहर होती है। यह सब ग्रहों के प्रकोप के कारण होता है। प्रत्येक ग्रह का हमारी धरती और हमारे शरीर सहित मन-मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते हमें सामान्य या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। सतर्क रहकर हम कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं।
यहां अाप विभिन्न ग्रहों के प्रभाव से होने वाली बिमारियों के बारे में जान सकते हैं। इनके समाधान के लिए हमारे ज्योतिषीयों से भी संपर्क कर सकते हैं……………

सूर्य

– दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।
– सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है।
– मुंह में थूक बना रहता है।
– व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है।
– दिल का रोग हो जाता है।
– मुंह और दांतों में तकलीफ होती है।
– सिरदर्द बना रहता है।

चंद्रमा

– चन्द्रमा मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है।
– मिर्गी का रोग।
– पागलपन।
– बेहोशी।
– फेफड़े संबंधी रोग।
– मासिक धर्म की गड़बड़ी।
– याददाश्त कमजोर होना।
– मानसिक तनाव और घबराहट।
– तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय।
– सर्दी-जुकाम बना रहना।
– मन में बार-बार आत्महत्या का विचार अाना।

आपकी कुंडली में कोई घातक ग्रह या योग हैं। अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाइए और समय रहते किसी बीमारी से बचिए।

मंगल

– अांख के रोग।
– हाई ब्लड प्रेशर।
– वात रोग।
– गठिया
– फोड़े-फुंसी होना।
– चोट लगना।
– बार-बार बुखार।
– शरीर में कंपन।
– गुर्दे में पथरी हो जाती है।
– शारीरिक ताकत कम होना।
– रक्त संबंधी बीमारी।
– बच्चे पैदा करने में तकलीफ।

बुध

– तुतलाहट।
– सूंघने की शक्ति क्षीण होना।
– दांतों का खराब होना।
– मित्र से संबंधों का बिगड़ना।
– अशुभ हो तो बहन, बुआ और मौसी पर विपत्ति आना।
– नौकरी या व्यापार में नुकसान होना।
– सेक्स पावर कम होना।
– व्यर्थ की बदनामी।

गुरु

– इससे श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द होता है।
– कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द भी होने लगता है।
– इसके अलावा गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ युति अनुसार भी बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी आदि।

शुक्र

– शरीर में गाल, ठुड्डी और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है।
– वीर्य की कमी हो जाती है। कोई यौन रोग हो सकता है या कामेच्छा समाप्त हो जाती है।
– लगातार अंगूठे में दर्द
– त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होना।
– अंतड़ियों के रोग।
– गुर्दे में दर्द
– पांव में तकलीफ आदि।

आपकी कुंडली में कोई घातक ग्रह या योग हैं। अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाइए और समय रहते किसी बीमारी से बचिए।

शनि

– शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भौंह और कनपटी से होता है।
– समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भौंह के बाल झड़ जाते हैं।
– कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है।
– सिर के बाल समय पूर्व ही झड़ जाते हैं।
– सांस लेने में तकलीफ।
– हड्डियों की कमजोरी के कारण जोड़ों का दर्द पैदा हो जाता है।
– रक्त की कमी।
– पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना।
– सिर की नसों में तनाव।
– अनावश्यक चिंता और घबराहट का बढ़ना।

राहु

– गैस की परेशानी।
– बाल झड़ना
– पेट के रोग।
– बवासीर।
– पागलपन।
– निरंतर मानसिक तनाव।
– नाखूनों का टूटना।

केतु

– संतान उत्पति में रुकावट।
– सिर के बाल का झड़ना।
– शरीर की नसों में कमजोरी।
– चर्म रोग होना।
– कान खराब होना या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ना।
– कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

आपकी कुंडली में कोई घातक ग्रह या योग हैं। अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाइए और समय रहते किसी बीमारी से बचिए।

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