काल सर्प दोष क्या है, इसके बारे में जानिए

एक व्यक्ति के जीवन में काल सर्प दोष (kaal sarp yoga) बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह जीवन में बड़े परिवर्तन व परिणाम के लिए तैयार रहने का संकेत देता है। यह दोष बड़े परिणाम प्रदान कर सकता है। कई बार यह बहुत भारी भी पड़ सकता है। काल सर्प योग (kaal sarp yoga) तब बनता है जब सात ग्रह अर्थात् सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि राहु और केतु के बीच फंस जाते हैं। मूल रूप से, यह राहु केतु के अक्ष के बीच इन ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित होता है। जहां तक बात कालसर्प योग के प्रभावों की वैदिक ज्योतिष स्थिति की है तो यह कहा जा सकता है कि वैदिक ज्योतिष में इसके लिए कोई विशेष स्थान नहीं है। माना जाता है कि कुछ ज्योतिषियों ने लगभग सौ वर्ष पूर्व इस योग की रूपरेखा तैयार कर इसे विशेष स्थान दिया था। तभी से यह प्रचलन में आया है, इस पर ध्यान दिया जाने लगा है।

इस योग को एक प्रमुख व कठोर दोष के तौर पर वर्णित किया गया है, इसके बाद से ही ज्योतिष से जुड़े विद्वान इस दोष पर ध्यान देने लगे हैं। तभी से ज्योतिष के विद्वानों के बीच इस दोष को जीवन में बाधाओं का कारण माना जाता है। कई ज्योतिषी अन्य लोगों के मन में इस योग का डर भरकर खूब पैसा कमाते हैं। इसी तरह लोग ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से खुद को बचाने के लिए पैसा खर्च करने को तैयार हैं। सच तो यह है कि जिस तरह शनि हमेशा आपके लिए बुरा नहीं होता, उसी तरह राहु और केतु के कारण होने वाले kaal sarp yoga भी होते हैं। काल सर्प योग के भी अच्छे प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए केवल यह कहना कि यह दोष आपके जीवन में हमेशा बुरे प्रभाव लाते हैं, यह सही नहीं होगा। ये योग कई बार सही और सकारात्मक असर भी लाने वाले साबित हो सकते हैं।


kaal sarp yoga के बावजूद मिल सकती है सफलता

यदि आप अपनी कुंडली में कालसर्प दोष (kaal sarp yog) के प्रभाव से डरते हैं, तो डर से छुटकारा पाया जा सकता है। अब आपको इस योग से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरण हैं जो बताते हैं कि कैसे इसने कुछ लोगों को बड़ी सफलता हासिल करने में मदद की है। काल सर्प योग के प्रभावों के बावजूद, कई लोगों ने बहुत सफलता हासिल की है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, धीरू भाई अंबानी, लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी जैसे कई लोगों में से कुछ हैं, जिनका यहां उल्लेख करना जरूरी हो जाता है, इनके बारे में बताना सही रहेगा कि उन्होंने इस दोष के बावजूद उपलब्धियों के शिखर को छूने में सफलता हासिल की है।

ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु छाया ग्रह माने जाते हैं जो प्राय: सात घरों में मौजूद होते हैं। काल सर्प योग का प्रभाव तब होता है जब अन्य सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। शनि की तरह राहु और केतु को भी अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन इनके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं।

सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए आप काल सर्प योग पूजा बुक कर सकते हैं और सभी नकारात्मकताओं को दूर कर सकते हैं।


kaal sarp Yoga के बारे में मिथक

लोग कभी-कभी इसे खराब ग्रह स्थिति या अपनी जन्म कुंडली के संयोजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। यहां यह कहना भी जरूरी है कि प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथों में इस योग का कोई खास उल्लेख नहीं मिलता है। ऐसे में कहा जाने लगा है कि बहरहाल, यह सर्प दोष प्रभाव आधुनिक ज्योतिषियों के दिमाग की उपज है।

जैसे जैसे समय बीतने लगा कि वैसे वैसे यह बात जोर पकडऩे लगी है कि यह एक प्रमुख दोष है। समय बीतने के साथ ज्योतिषियों ने पाया कि इस तरह के ग्रहों के संरेखण ने जीवन की घटनाओं को नकारात्मक या सकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है। नतीजतन जन्म कुंडली में ग्रहों की अन्य स्थितियों के आधार पर, यह शुभ और अशुभ दोनों हो सकता है।


काल सर्प योग आपको चार अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है :-

  1. जीवन में संघर्ष के कारण लक्ष्यों की प्राप्ति में असफलता मिलती है, जो बाद में निराशा और निराशावाद की ओर ले जाती है।
  2. शारीरिक और मानसिक कमजोरी भी इसका प्रभाव साबित होती है।
  3. विवाह में देरी होना या विवाह में परेशानी बनी रहना।
  4. संतान प्राप्ति में परेशानी या उनसे सुख की कमी। संतान सुख नहीं होने से मन में खिन्नता बनी रहती है।

जीवन में किसी भी फल को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। सही फल हासिल करने के लिए ज्योतिष की मदद ली जा सकती है। कॅरियर में सफलता के लिए ज्योतिष का सहयोग ले सकते हैं।


काल सर्प योग का परिणाम कुछ इस तरह होता है:-

  1. एक व्यक्ति आमतौर पर आर्थिक रूप से सफल होने के लिए अधिक से अधिक प्रयास करता है, और उसके जीवन में संघर्ष कम नहीं होता है, बना रहता है।
  2. इस योग का प्रभाव जीवनपर्यंत बताया जाता है।
  3. इसे बयालीस वर्ष की आयु तक मजबूत माना जाता है।
  4. काल सर्प योग मुख्य रूप से राहु और केतु की दशाओं में अपना प्रभाव दिखाने के लिए जाना जाता है।

काल सर्प योग (kaal sarp yoga) के प्रभावों का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए कुंडली से निम्नलिखित बिंदुओं की जांच करने की आवश्यकता होती है। इसके सही विश्लेषण से निष्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है।

  1. यदि कोई व्यक्ति काल सर्प योग से प्रभावित है, तो क्या वह अन्य योगों के अच्छे प्रभावों से वंचित रहेगा?
  2. क्या आपके जीवन के शुरुआती दौर में बहुत संघर्ष हुआ है?
  3. क्या उसकी मेहनत का नतीजा उम्मीद से कम है?
  4. क्या व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है?
  5. क्या वह सांपों के बारे में सपने देखता है?
  6. क्या उसे बुरे सपने आते हैं? एक बच्चे के मामले में क्या वह सोते समय डरता है और अपनी नींद में बिस्तर गीला करता है?
  7. क्या वह अस्वस्थता और बीमारी से ग्रस्त है?
  8. एक पेशेवर या प्रोफेशनल लाइफ के मामले में क्या उसे अपने पेशे में कभी-कभी बड़े संकट का कारण बनने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
  9. क्या उसकी शादी में देरी हो रही है या वह उसकी शादी नाखुश है?
  10. क्या गर्भवती महिला के मामले में गर्भपात हुआ है?
  11. क्या किसी व्यक्ति को बच्चों से बहुत दु:ख होता है?
  12. क्या उसे लगातार वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
  13. क्या इस दोषों को राहु व केतु की विभिन्न दशाओं के परिणाम के तौर पर दर्शाया या बताया गया है।
  14. क्या जो परिणाम मिल रहे हैं, कुंडली में उसके लिए कोई जिम्मेदार अन्य कारण तो नहीं है।
  15. क्या काल सर्प योग को शांत करने के लिए पूजा करने के बाद कोई प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से समझाने योग्य अंतर रहा है?
  16. क्या राहु और केतु के लिए निर्धारित रत्न पहनने से कोई फर्क पड़ता है जो स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है?
  17. क्या राहु और केतु का गोचर काल सर्प योग से जुड़े दुर्भाग्य को बढ़ाता है? क्या स्थिति और भी विकट होती है।
  18. यदि काल सर्प योग नवमांश और अन्य वर्गों में दोहराया जाता है, तो क्या ये परिणाम अधिक स्पष्ट होते हैं?
  19. क्या बयालीस वर्ष की आयु के बाद काल सर्प योग से पीडि़त लोगों के जीवन में कोई सुधार हुआ है?
  20. क्या बयालीस वर्ष की आयु के बाद जीवन को अधिक शांतिपूर्ण और उपलब्धियों से भरा हुआ कहा जा सकता है?
  21. यदि एक ही परिवार के कई सदस्यों की कुंडली में काल सर्प योग है, तो क्या उन्हें भी ऐसी ही समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जो काल सर्प योग के कारण होती हैं?

ये 21 तरीके हैं, जिनके मुताबिक काल सर्प दोष विवाह को प्रभावित करता है। यदि आप इस दोष से मुक्त होना चाहते हैं तो प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए यहां क्लिक करें, हमारे ज्योतिषी से बात करें, हमें विश्वास है कि वे आपकी मदद कर सकते हैं।


kaal sarp Yoga के प्रभाव

काल सर्प दोष (kaal sarp yog) के कारण कई तरह की परेशानियां सामने आ सकती है। कई लोगों में इसके कारण दिल, आंख और कान की समस्या जैसे रोग होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक नुकसान होता है। इसके कारण समय-समय पर परेशानी पेश आती है, व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है। आर्थिक स्थिति नाजुक बनी रहती है। इससे ग्रस्त लोगों पर कई तरह के ऋण हो सकते हैं। उन्हें कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। काम पूरा करने के लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष का प्रभाव होता है, वह हमेशा धन या वित्त से जुड़े मामले में पीडि़त रहता है और उसके विवाह में कई तरह की परेशानियां, खास तौर पर मानसिक समस्याएं होती हैं। आपके साथ होने वाली बुरी चीजों के सपने आपको परेशान करते रहते हैं, यहां तक की आपकी मृत्यु की संभावना और उसकी डर भी आपको बना रहता है। विभिन्न आशंकाओं और चिंताओं बीच तनाव बना रहता है। आपको प्रयासों के लिए पूरी तरह से पुरस्कृत नहीं किया जाता है। ज्यादातर प्रोफेशनल मामलों में उन्हें योग्य होने के बावजूद उपलब्धियां नहीं मिल पाती हैं, वे अपने सही स्थान से ये महरूम बने रहते हैं।

इस सर्प दोष का प्रभाव एकाएक होने वाली धन या प्रतिष्ठा की हानि होने का संकेत देता है। इससे ग्रस्त लोगों पर बिना किसी कारण के रोग बने रहते हैं, ये बीमारियों से घिरे रहते हैं, ऐसे रोग जो दवा से भी सही नहीं होते हैं। ऐसे में कुप्रभाव लोगों के लिए बड़ी समस्या बन सकते हैं।


राहु के साथ काल सर्प योग की अवधि

प्रथम भाव – काल सर्प दोष का प्रभाव 27 वर्ष की आयु तक रहता है
द्वितीय भाव- कालसर्प दोष का प्रभाव 33 वर्ष की आयु तक रहता है
तृतीय भाव – कालसर्प दोष का प्रभाव 36 वर्ष की आयु तक रहता है
चतुर्थ भाव – कालसर्प दोष का प्रभाव 42 वर्ष की आयु तक रहता है
पंचम भाव – काल सर्प दोष का प्रभाव 48 वर्ष की आयु तक रहता है
छठे भाव – काल सर्प दोष का प्रभाव 54 वर्ष की आयु तक रहता है।


काल सर्प दोष का उपचार और काल सर्प दोष पूजा

कुलिका काल सर्प दोष (kaal sarp yoga) का उपचार मंत्रों से किया जा सकता है। इसके लिए भगवान शिव को प्रसन्न करना और गायत्री मंत्र या भगवान शिव के किसी भी मंत्र का जाप करना शामिल है। महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार और सावन शिवरात्रि के दिन व्रत करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए नियमित रूप से भगवान शिव के मंदिर जाना आवश्यक है। शिवलिंग पर बेल पत्र, बेर, फल, फूल और कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए।

इस कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। यह स्वयं के लिए सबसे प्रभावी उपचार हो सकता है। किसी कुत्ते को खाना खिलाना चाहिए। घर में कुत्ता भी पाला जा सकता है, उसकी देखरेख की जा सकती है। उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा भी की जा सकती है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम



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