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ज्योतिषशास्त्र का इतिहास

दिए हुए दिन, समय और स्थान के अनुसार ग्रहों की स्थिति की जानकारी और आकाशीय तथा पृथ्वी की घटनाओं के बीच संबंध स्थापित करना ज्योतिष विज्ञान है। ये विन्यास फिर उस परिप्रेक्ष्य में देखे जाते हैं। एक विषय के रूप में ज्योतिष की जड़ें ब्रह्मा जी (भारतीय धर्म के रचयिता) से जुड़ी हुई हैं। गर्ग ऋषि के अनुसार ब्रह्माजी ने उन्हें आम लोगों तक इसे प्रचारित करने को कहा था। वर्तमान में यह ज्योतिषी, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और खगोल वैज्ञानिक सबको एक ही माना जाता है।

प्राचीन काल में विज्ञान और ज्योतिष के अध्ययन पर पुजारियों का एकाधिकार था। ज्योतिष को दैनिक आवश्यकताओं और लाभ के लिए योजनाबद्ध किया गया था और उनका एक सफल साम्राज्य चल रहा था। ज्योतिषों को खगोल वैज्ञानिक माना जाता था और सितारों की गणना में कुशल होने के कारण उनका परामर्श लिया जाता था। बाद में वे आधिकारिक पुजारी बन गए और किसी विशेष देवता की पूजा, नौवहन और कृषि की गतिविधियों से जुड़ गए। कुछ हद तक यह बताता है कि ज्योतिष क्यों देवतुल्य विज्ञान माना जाने लगा और आम लोगों की पहुंच से दूर हो गया। वर्तमान में सितारों के लिए घटनाओं की पूर्व सूचना देना अभी भी समय के गर्भ में है।

ज्योतिष अब लोगों के लिए अधिक सुलभ बन गया है और इसके रहस्य अब गूढ़ नहीं रह गए। ज्योतिष को अपनी मातृभाषा में पढ़ना सरल होता है। शास्त्रीय भाषाओं में अपेक्षित प्रवीणता नहीं रह गई है। सही समय और कैलेंडर आम आदमी के दायरे में आ गया है।

ज्योतिष और तंत्र मंत्र विज्ञान (दोनों अक्सर एक साथ समान गलती) अपने चारों ओर रहस्य का एक निश्चित दायरे से घिरा हुआ है और यह व्यक्ति को रहस्य की गहराई की ओर आकर्षित करता है। आदमी अपने सवालों के जवाब के लिए आकाश की ओर देखता है, जैसे-पूजा का शुद्ध रूप क्या है, बीज बोने का सही समय, समुद्र में कब जाने पर जोखिम कम है आदि। धीरे धीरे, इन सवालों के जवाब देनेवाले व्यक्ति को समाज में बहुत महत्व दिया जाने लग और इसके फलस्वरूप वे समाज के नीति निर्माता बन बैठे।

यूनानी, रोमन, पारसी, मिस्र निवासी, सुमेरी, अरब के लोग और भारतीय आदि के विरासत में छोड़े हुए पौराणिक किस्से, कहावतें और पुरातात्विक साक्ष्य यह सिद्ध करते हैं कि प्राचीन काल के लोग ज्योतिष के प्रति बहुत अधिक आकर्षित थे। उस समय कई बार जब लोग प्रकृति के रहस्यों की थाह लगाने में असमर्थ होते थे तब उसे भाग्यवादी रंग दे देते थे। अतीत में महामारी का कारण बननेवाले कीटाणु, विषाणु रोधक टीकाकरण के इस आधुनिक चिकत्सीय युग तक लोगों के पास कोई संसाधन नहीं था और राहत के लिए वे ज्योतिष पर निर्भर थे। किसी भी अवर्णनीय घटना को दैविक रंग में रंग दिया जाता था और इसे दैविक इच्छा मान लिया जाता था। उदहारण के तौर पर चेचक एक बहुत ही सामान्य बीमारी है जिसे शीतला माता का प्रकोप माना जाता था। अब यह एक टीका रोधी बीमारी है। लेकिन अगर कोई इस बीमारी से ग्रस्त होता है तो वह डॉक्टर से परामर्श करने के साथ ही सभी आवश्यक पारंपरिक रिवाज पूरे करता है।

हालांकि सभी ने कहा और किया कि ज्योतिष ज्ञान की एक शाखा है और रहेगी, जो हमेशा मनुष्य को और अधिक जानने के लिए लुभाती रहेगी। जो इसकी गहराई में जितना ज्यादा उतरेगा, इसके प्रति उसकी भूख उतनी ही बढ़ती जाएगी। अगस्त और वशिष्ठ जैसे मुनियों द्वारा संकलित किए गए ग्रन्थ जैसे पञ्च सिद्धांत कोष, सूर्य सिद्धांत, नित्यानन्द, बृहत् जातक, आर्यभट्ट, भृगु संहिता, मानसागरी, रणवीर और लघु पराशर की वैज्ञानिक और प्रमाणिक बातें आज भी लोगों को पढ़ने के लिए आकर्षित करती हैं।

दिलचस्प बात यह है कि निनेवेह और बेबीलोन के प्रारंभिक ज्योतिषों की ५०० साल पुरानी मिट्टी की गोलियां आज भी ब्रिटेन के संग्रहालय में देखी जा सकती हैं।

  1. ग्रीक में का जन्म के समय पर आधारित कुंडली है जो वित्त, परिवार, भाग्य और भविष्य की जानकारी देती है। इस तरह की भोजपत्र पर लिखी २००० साल पुरानी एक यूनानी कुंडली ब्रिटिश संग्रहालय में संरक्षित है।
  2. प्राचीन मिस्र में उच्च श्रेणी के ज्योतिष हुआ करते थे. प्राचीन मिस्र के फ़राओ ज्योतिषों से सिंहासन के दावेदारों के बारे में सलाह करते थे जिसे बाद में मरवा डालते थे।
  3. चीन में शासक का दावा करनेवाले को ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक था। 2513 ईसा पूर्व में चिउनी इसी तरह राजा बना था।
  4. यहां तक कि सिकंदर महान अपने सभी अभियान पर ज्योतिष भी साथ लेकर चलता था। वह जिस देश में हमला करता था वहां की ज्योतिष परम्पराओं को अपना लेता था।

इस तरह सभी देशों को ज्योतिष का श्रेय दिया जाता है। हालांकि इसके प्राचीन गौरव और सफलता के बावजूद वैज्ञानिकों की निरंतर चल रही खोज ने ज्योतिषों को भविष्यवेत्ता में बदल दिया। ज्योतिष के किसी भी विद्यालय को अंतिम शब्द का अधिकार नहीं है और किसी भी दो ज्योतिष के विचार एक नहीं हो सकते। यह संभावना के सिद्धांत पर अधिक निर्भर करता है। इसके अलावा शायद ही कोई संचालक निकाय होगी जो बाल की खाल निकालेगी। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि झूठे लोग लोगों को ठगते हैं।

सभी ने कहा और किया, ज्योतिष अनिश्चित जीवन के तीर से घिर लोगों को आश्वासन की एक निश्चित राशि प्रदान करता है। यह उन्हें उनकी समस्याएं समाप्त हो जाने की आशा देता है और उन्हें जीवन की कठिनाइयों के साथ जीने का आत्मविश्वास प्रदान करता है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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