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नक्षत्र ध्यान: नक्षत्र ध्यान करने का तरीका और खास बातें

नक्षत्र ध्यान: नक्षत्र ध्यान करने का तरीका और खास बातें

नक्षत्र ध्यान के जरिए अपनी आंतरिक ऊर्जा को करें जागृत

विश्व योग दिवस पर सारा विश्व योगमय हो रहा है और सभी के दिमाग में योग की ही बातें चल रही हैं। वैसे तो योग के कई स्टेप्स हैं, लेकिन इसमें ध्यान यानी मेडिटेशन की भी अहम भूमिका है। यही नहीं जिस तरह योग का ज्योतिष के साथ कनेक्शन है, उसी तरह ध्यान का भी ब्रह्मांड के नक्षत्रों के साथ जुड़ाव है। इसे नक्षत्र ध्यान कह सकते हैं।

नक्षत्र में होता है पांच तत्वों का समावेश

आप सभी को पता होगी कि ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र हैं और इन नक्षत्रों में पांच ऊर्जाओं अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश का समावेश होता है। किसी बच्चे के जन्म के वक्त भी इन नक्षत्रों की खास भूमिका होती है और उस समय के दौरान ग्रहों की चाल के आधार पर उसकी कुंडली बनायी जाती है। ऐसे में योग और ध्यान कैसे इससे अछूता रह सकता है। ऐसे में हम यहां नक्षत्र मेडिटेशन यानी नक्षत्र ध्यान की बात करेंगे।

नक्षत्र ध्यान

इस ओर काफी कम लोग ही ध्यान देते हैं और आपको इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि इसका मूल आपके जन्म के समय के नक्षत्रों से है। नक्षत्र ध्यान के जरिए कोई व्यक्ति ब्रह्मांड की शक्तियों के साथ जुड़ कर अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत कर सकता है।

ध्यान की खास बातें

– नक्षत्र ध्यान से व्यक्ति का जुड़ाव ब्रह्मांडीय शक्तियों के साथ हो जाता है और उसमें ऊर्जा का संचार होता है।- चूंकि हर नक्षत्र की अपनी अलग भूमिका होती है और उसमें अलग ऊर्जा का संचरण होता है, ऐसे में साधक को काफी फायदा होता है। – इस तकनीक का फायदा यह है कि इस क्रिया से ये नक्षत्र विभिन्न नक्षत्रों में जन्म लेने वाले लोगों के अनुकूल खुद को ढाल लेते हैं। – ज्यादा फायदे के लिए आपको अपने जन्म नक्षत्र पर ध्यान करना चाहिए। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आपको असीमित फायदे हो सकते हैं।

नक्षत्र ध्यान करने का तरीका

नक्षत्र ध्यान करने का तरीका कोई बहुत अलग नहीं है, लेकिन इसे काफी सावधानी पूर्वक करने की जरुरत होती है। – इसके लिए सबसे पहले एक आरामदायक आसन बिछाकर उसपर पद्मासन की मुद्रा में बिल्कुल तनकर बैठें और अपनी आंखों को बंद रखें। – इसी प्रक्रिया में अपनी सांस बाहर छोड़ें और फिर सांस को अंदर खींचकर जितनी देर हो सके अंदर ही रोककर रखें। – इसके बाद अपना ध्यान रीढ़ की हड्डी के मूल पर लगाएं और सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ें और उसे रोक कर रखें और फिर रीढ़ के शीर्ष पर ध्यान लगाते हुए इस प्रक्रिया को दोहराएं।- इसके बाद हृदय चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए आंतरिक दृष्टि से अपादमस्तक एक नजर डालें। – इसके बाद हृदय पर ध्यान लगाते हुए आंखों को बंद कर सांसों को सामान्य रखें। इस ध्यान के क्रम में खुद के अतीत में जाने का प्रयास करें। इस दौरान नकारात्मक घटनाओं को पूरी तरह नजरंदाज कर दें।- अंत में आंखें बंद कर सामान्य रूप से सांस लें।

नक्षत्र ध्यान के फायदे

– इससे आपकी चेतना शक्ति में सुधार होने के साथ वह मजबूत होती है।- आपको अपनी क्षमता में सुधार महसूस होगी। – इस दौरान अपनी चेतना को पूरी तरह खुली छोड़ दें और आत्मा की अनंतता को महसूस करें।- इससे बीमारियों से निजात पाने में भी मदद मिलती है।- इतना ही नहीं ध्यान के क्रम में अगर आप अपनी आंतरिक दृष्टि से शरीर के भीतर झांकने का प्रयास करते हैं तो, आप अपनी आंतरिक शारीरिक रचना को भी जान सकते हैं।श्रीगणेशजी के आशीर्वाद के साथगणेशास्पीक्स डॉट कॉम/हिंदीयोग करने के दौरान फॉलो करें कुछ नियमकैसे करें सूर्य नमस्कार, क्या होते हैं फायदेयोग दिवस – राशि के अनुसार करें योगा

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भावेश एन पट्टनी
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