सचेत भ्रमण ध्यान यानी घूमकर ध्यान करना ध्यान अभ्यास का उत्तम तरीका है – यह एक तरह से गति के साथ ध्यान करना है। यह वास्तव में शुरुआती लोगों के लिए है, क्योंकि इस तरह से शुरू करना आसान होता है, और हम सभी इस दैनिक अनुभव से परिचित भी हैं। चलना एक उत्कृष्ट शारीरिक व्यायाम है और इसे अक्सर कई आध्यात्मिक परंपराओं में मन को प्रशिक्षित करने के तरीके के रूप में काम में लिया जाता रहा है। भ्रमण ध्यान के लिए हमें कुछ खास चीजों की जरूरत नहीं होती है। हम पढ़ते, गाते, संगीत सुनते हुए भी सचेत भ्रमण ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं।
निर्देशित भ्रमण ध्यान महज घूमना- फिरना नहीं है। ध्यान रखें कि हम जितना हो सकें सचेत रहना सीख रहे हैं, यह अभ्यास चलने के दौरान हमारे शरीर और शारीरिक गतिविधियों के प्रति सचेत रहने के बारे में है। हमारी आंखें खुली हैं और जो कुछ भी हो रहा है इस वक्त वह हरेक कदम के साथ मन और शरीर में जा रहा है।
भ्रमण ध्यान के लिए सलाह
भ्रमण ध्यान की जड़ें बौद्ध धर्म में हैं और इसे सचेतन के अभ्यास के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तकनीक के बहुत सारे संभावित फायदे हैं और यह आपको ज्यादा सहज और शांत महसूस करा सकता है। यह आपको अपने वातावरण, परिवेश, शरीर, मन और विचारों के ज्ञान का एक नया स्तर बनाने में भी मदद करता है।
1) जगह चुनना
ऐसी जगह की तलाश करें, जहां आप बिना किसी अवरोध के धीरे-धीरे चल सकें। शुरुआत में यह थोड़ा अजीब लग सकता है, इसलिए आप पहले अपने बगीचे या घर की छत पर भ्रमण ध्यान करने पर विचार कर सकते हैं। घर के भीतर अभ्यास करना लाभकारी विकल्प हो सकता है, क्योंकि यहां माहौल से परेशान होने की संभावना कम होती है, ऐसे में आप सीधे सचेतन (माइंडफुलनेस) पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
यदि आप बाहर टहलने जा रहे हैं, तो एक ऐसी जगह ढूंढें, जहां शांति हो और यातायात ना हो और यह जगह पर्याप्त रूप से समतल होनी चाहिए, ताकि आपको गिरने की चिंता न रहें। चलने के लिए ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां ज्यादा आवाजाही न हो, ताकि आसपास से कम से कम व्यवधान हो और चित्त ज्यादा उन्मुक्त रूप से भीतर उतर सकें। अपने परिवेश में सहज महसूस करना भी महत्वपूर्ण है। यदि आप किसी सार्वजनिक स्थान पर चल रहे हैं, तो सावधान रहें कि दूसरे लोगों की राह अवरुद्ध न हो।
2) शुरुआती बढ़त
अपनी पसंद के अनुसार सही स्थान मिलने के बाद प्रत्येक सत्र की शुरुआत करने से पहले वहां रुकें। जैसे ही आप अपना सारा ध्यान अपने शरीर पर लगाते हैं, एक मिनट के लिए गहरी सांस लें। अपने पैरों के नीचे की जमीन को महसूस करें और देखें कि वह कितनी ठोस है। अपने शरीर के भीतर की बहुत सारी अलग-अलग संवेदनाओं के प्रति सचेत रहें। अपने विचारों और भावनाओं का भी ध्यान रखें।
अब आप चलना शुरू कर सकते हैं, लेकिन चलते हुए ध्यान करना याद रखें, अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, अपने पैरों की लय और अपने शरीर के आगे बढऩे पर ध्यान दें। बस एक घेरे में या आगे-पीछे धीरे-धीरे और सचेत रूप से चलें। यदि आप मुड़ रहे हैं या एक मोड़ से निकल रहे हैं, तो अपने पैरों की गति, अपने पैरों की स्थिति और उनके द्वारा पैदा होने वाले कंपन पर ध्यान दें।
3) चलते समय सचेतन का स्तर बनाए रखें
अपनी भावनाओं, विचारों और मनोदशाओं पर ध्यान दें, क्योंकि आप विभिन्न शारीरिक अनुभवों से गुजरते हैं, जो चलने के दौरान आपके सामने आते हैं। इन मानसिक अनुभवों की सूची बनाने, इनका मूल्यांकन करने, स्वीकार करने या अस्वीकार करने की कोई जरूरत नहीं है; जैसे वे होते हैं, बस वैसा ही उन्हें नोट करें और अपने चलने के क्रम पर ध्यान दें। चलते समय अकड़े नहीं, न ही रोबोट बनने का प्रयास करें। सहज और खुली भावना के साथ स्वाभाविक रूप से चलकर हवा के साथ चलें।
4) गति और स्थिति
यह कोई प्रतियोगिता नहीं है, इसलिए आपको केवल अपने भ्रमण ध्यान को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। आपकी गति स्थिर और सम होनी चाहिए। गति धीमी से लेकर असाधारण धीमी भी हो सकती है। यदि आपका मन उत्तेजित है या आपकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कमजोर है, तो आप तब तक टहल सकते हैं, जब तक आप तक ध्यान केंद्रित न कर पाओ, अपने हरेक कदम पर। यदि आपका दिमाग दौड़ रहा है या आपकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता लडख़ड़ा रही है, तो इसे अच्छी तरह से और धीमे करें, ताकि आप प्रत्येक कदम पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
अपनी भुजाओं को सहज रूप से ढीला छोड़ें, आप उन्हें अपनी पीठ के पीछे या अपने शरीर के सामने अपनी नाभि की ऊंचाई के आसपास भी पकड़ सकते हैं। अब, जैसे ही आप चलते हैं, आपको अपने पैरों की मांसपेशियों को आराम देना चाहिए और आपकी गति आराम से और आरामदायक होनी चाहिए। चलते समय अपने शरीर को सीधा, जुड़ा हुआ और सुडौल रखें। शांति के साथ चलना पहली बार में कठिन लग सकता है, लेकिन समय के साथ आप इसमें महारत हासिल कर लेंगे।
5) अवधि
आदर्श रूप से, कम से कम 10 से 15 मिनट के लिए निर्देशित भ्रमण ध्यान करने की सलाह दी जाती है। बैठने या स्थिर रहने से होने वाला दर्द यहां नहीं होता, ऐसे में आप इसे बैठकर ध्यान करने की तुलना में ज्यादा देर तक भी कर सकते हैं। खुद को थकाना भी नहीं है। आप हमेशा एक अंतराल ले सकते हैं, इसे बढ़ा सकते हैं, अपनी सांस को पकडऩे के लिए एक पल रुक भी सकते हैं।
6) रुकना
भ्रमण ध्यान का सत्र शुरू करने से पहले एक या दो मिनट स्थिर खड़े रहें, धीरे-धीरे सांस लें और अपने दिमाग को अपने शरीर पर केंद्रित करें।
-आप अपने पैरों को कंधे से थोड़ा बाहर करके खड़े हो सकते हैं, अपना वजन दोनों पैरों पर समान रूप से फैलाएं।
– इस वक्त इस पर ध्यान दें कि जमीन कितनी सुरक्षित होती है।
– कुछ गहरी सांसें अंदर और बाहर करें।
-अपनी आंखें बंद करें और अपने पैरों से शुरू करके अपने पूरे शरीर का निरीक्षण करें।
-आपके मन में जो भी संवेदनाएं, विचार या भावनाएं हैं, उन्हें मानसिक रूप से नोट करें और समय निकालकर उनका ठीक से अवलोकन करें।
– अपना ध्यान अपने शरीर पर लाएं, यह देखते हुए कि सभी वर्तमान संवेदनाओं के प्रति सचेत होते हुए कैसा महसूस होता है।
7) रवैया
आपको हवाईजहाज नहीं पकडऩा है और न ही आपकी कोई ट्रेन छूटी जा रही है। कोई कहीं नहीं जा रहा है। ध्यान और उपस्थिति में महारत हासिल करने के अलावा, यहां कोई और प्रतिस्पर्धा और कुछ हासिल करना आपका उद्देश्य नहीं है। बस खुद को इस प्रक्रिया में खो जाने दें।
भ्रमण ध्यान के लाभ
भ्रमण ध्यान बगीचे में इत्मीनान से टहलने से कहीं ज्यादा आसान है। यह आमतौर पर सामान्य चलने की तुलना में बहुत धीमी गति से किया जाता है और इसके लिए या तो सांसों को एक रिदम में लाने की या जटिल एकाग्रता रणनीतियों की आवश्यकता होती है। यह चलने से ज्यादा योग करने जैसा लगता है।
बैठकर ध्यान करने के विपरीत, चलने वाले ध्यान में अपनी आंखें खुली रखना, खड़े रहना, अपने शरीर को हिलाना और बाहरी दुनिया से संवाद करना शामिल है। भ्रमण ध्यान बैठकर ध्यान करने से बेहतर है, क्योंकि शरीर चलता है, शरीर के अनुभवों के बारे में जागरूक होना और इस पल में होना ज्यादा आरामदायक है।
– भ्रमण ध्यान आपके आराम के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। यह हमारे दैनिक जीवन में दैनिक दिनचर्या की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाते हैं, जबकि बैठकर ध्यान करने से यह परिवर्तन थोड़ा कम होता है, क्योंकि इसमें गतिविधियां नहीं होतीं।
– भ्रमण ध्यान लंबे समय तक बैठकर ध्यान सत्र करने से उपजी सुस्ती और अस्वस्थता को दूर करने में मदद कर सकता है।
– निर्देशित भ्रमण ध्यान भी आपके शरीर में परिवर्तन लाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
– जब हम थके हुए होते हैं या सुस्त होते हैं, तो भ्रमण ध्यान कायाकल्प कर सकता है।
– झपकी से जागने के बाद या लंबे समय तक बैठकर ध्यान करने के बाद चलना बहुत उपयोगी हो सकता है।
– जब आप भावनाओं की तीव्रता या तनाव को महसूस कर रहे होते हैं, तब बैठकर ध्यान करने की तुलना में भ्रमण ध्यान आपको ज्यादा शांत कर सकता है।
– यदि अधिक समय तक नियमित रूप से अभ्यास किया जाए, तो भ्रमण ध्यान ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाता है।
– पैदल चलने से कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी फायदे होते हैं। यह तनाव नियंत्रण, तनाव प्रबंधन और किसी भी भावनात्मक हलचल को शांत करने के लिए बेहतर है।
– भोजन के बाद चलना पाचन में मदद करने का एक बेहतरीन तरीका है, खासकर यदि आप फूला हुआ या भरा हुआ महसूस कर रहे हैं। गतिशील होना आंतों की प्रणाली में पाचन प्रक्रिया में सहायता करता है और कब्ज से बचने में मदद कर सकता है।
– यदि हम थोड़ी देर के लिए मौन में बैठे हैं या यदि हमें नींद आ रही है, तो सचेत भ्रमण ध्यान शरीर में परिसंचरण को सुधारता है।
– गतिशील ध्यान, जब बैठकर ध्यान करने के साथ किया जाता है, तो यह नया दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है।
– चलना एक ऐसी चीज है, जो हम में से अधिकांश लोग प्रतिदिन करते हैं, इसलिए इसे अपने व्यस्त कार्यक्रम में जोडऩा आसान है।
-जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, सक्रिय रहना महत्वपूर्ण हो जाता है। नियमित व्यायाम बढ़ती उम्र में भी अच्छी शारीरिक और मानसिक सेहत देता है। चलना रक्तचाप को कम करने और कार्यात्मक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।
– जब भी संभव हो कुदरती माहौल में टहलें, जैसे कि बगीचे, वन या पेड़ों वाली जगह में, यह आपकी समग्र भावनाओं को बेहतर बनाता है और आपको अधिक सहज महसूस कराता है। भ्रमण ध्यान के यही मायने हैं।
– सचेत भ्रमण ध्यान (माइंडफुल वॉकिंग मेडिटेशन) आपको अपनी सोच प्रक्रियाओं में अधिक अंतर्दृष्टि और एकाग्रता प्राप्त करने में मदद कर सकता है, जिससे आपको अधिक नवीन होने में मदद मिलती है।
– भ्रमण ध्यान शरीर के संतुलन के साथ ही पैर व टखनों की मजबूती भी बढ़ाते हैं।
– व्यायाम के लाभों का आनंद लेने के लिए बहुत कठोर कसरत करना जरूरी नहीं है।
चलने से आपकी मांसपेशियां लचीली होती हैं और दर्द भी कम होता है, जिससे आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस कर सकते हैं। अगर आप सुबह पहले सैर के लिए निकलते हैं, तो तनाव और चिंता को दूर करने की संभावना ज्यादा होती है। ये दोनों फायदे आपके दिमाग को शांत और स्पष्ट बनाएंगे, इससे रात में शांति से सोने में मदद मिलेगी।
– भ्रमण ध्यान हमें उस धरा को याद रखने में मदद करती है, जो हमें बनाए रखती है और उसके प्रति आभार की भावना विकसित करती है।
सचेत भ्रमण ध्यान ( माइंडफुल वॉकिंग मेडिटेशन)
सचेत भ्रमण ध्यान, पारंपरिक बौद्ध भ्रमण ध्यान में आधुनिक सचेतन को जोड़ने से निकला है । यह एकाग्रता (केंद्रित ध्यान) के अभ्यास की बजाय एक मुक्त नियंत्रण अभ्यास है, जैसा कि थेरवाद परंपरा में है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि यहां ध्यान सिर्फ आपके पैरों पर नहीं होता, बल्कि वर्तमान क्षण की विभिन्न संवेदनाओं और धारणाओं पर ध्यान देना होता है।
यदि आप भ्रमण ध्यान का अभ्यास करना चाहते हैं, तो यहां कुछ युक्तियां और तरकीबें दी गई हैं;
– चलने के अनुभव पर ध्यान दें और अपनी चेतना को इस अनुभव में व्यस्त रखें।
– अपने पैरों के नीचे की जमीन को महसूस करें, आपकी मांसपेशियां हिल रही हैं, आपके शरीर का निरंतर संतुलन और पुनर्संतुलन हो रहा है।
– आपके शरीर में जहां भी कठोरता या जकडऩ या दर्द हो, वहां ध्यान दें। फिर धीरे-धीरे उन्हें आराम दें।
– ध्यान रखें कि आप इस वक्त कहां हैं। अपने आस-पास की आवाजों और कंपनों से अवगत रहें – हवा के तापमान से भी।
– शुरुआत, मध्य और अंत के सोपानों पर ध्यान दें।
– जैसे ही आप चलते हैं, संवेदनाओं को महसूस करते हुए, अपने दिमाग को अपने शरीर के प्रत्येक भाग में जाने दें। चलते समय अपने शरीर के सभी क्षेत्रों को उत्तरोत्तर महसूस करें, जिससे आपका दिमाग आपके शरीर के प्रत्येक भाग में संवेदनाओं को महसूस कर सके। फिर धीरे-धीरे एड़ी, पंजे, त्वचा, पैर, कोहनी, घुटने, जांघ, कूल्हे, श्रोणि, पीठ, पेट, कंधे, हाथ, गर्दन और चेहरे पर ध्यान केंद्रित करें।
– मौजूदा भौतिक और व्यवहारिक अवस्थाओं के प्रति जागरूक बनें। अपनी भावनात्मक स्थिति पर ध्यान दें। क्या यह शांतिपूर्ण या अराजक, धुंधला या स्पष्ट है?
इस तरह अपनाएं
सचेत भ्रमण ध्यान (माइंडफुल वॉकिंग मेडिटेशन) सरल है। आपको बस हर पल के प्रति जागरूक रहने की आदत विकसित करने के लिए समय चाहिए।
जब भी आप चल रहे हों तो अपने मन को वर्तमान क्षण में लाएं। अपने आस-पास, अपनी सांसों, अपने आस-पास की आवाजों या किसी भी शारीरिक संवेदनाओं पर ध्यान दें। अपने विचारों के अनुरूप खुद को ढालें और देखें कि उनमें से क्या आ-जा रहा है।
आप अंतर तब देख सकते हैं, जब आप किसी स्थान पर जल्दी में चल रहे हों बनाम धीरे-धीरे चल रहे हों। चलते समय ध्यान करना सीखना भी एक कला है, और एक बार जब आप उस कौशल को समझ लेते हैं, तो आपको सचेत रूप से छोटे-छोटे विवरणों पर ध्यान देना। ऐसे में आपका दिमाग शांति से चल सकता है। भ्रमण ध्यान सचेत होने का एक शानदार तरीका है, जिसमें बैठकर ध्यान लगाने के लिए लगने वाले समय की जरूरत नहीं होती।