कुंडली के दूसरे भाव में मंगल की महत्ता

कुंडली के दूसरे भाव में मंगल की महत्ता

कुंडली के बारह भाव या स्थानों में ही नक्षत्र मंडल, राशियां और ग्रह भ्रमण करते हैं। यदि ऐसा कहा जाये कि, कुंडली एक नक्शा है, जिसके माध्यम से ग्रह, नक्षत्रों और राशियों के मार्ग का अवलोकन किया जाता है, तो यह अनुचित नहीं होगा। वैदिक ज्योतिष में कुंडलियों के मूल 18 प्रकारों का वर्णन मिलता है, इन कुंडलियों के आधार पर ग्रहों के अलग-अलग प्रभावों का मूल्यांकन किया जाता है। कुंडली को ब्रह्मांड का प्रतिरूप मानकर 360 डिग्री माना गया है। कुंडली के 360 डिग्री को 12 बराबर हिस्सों में विभाजित किया गया। कुंडली के प्रत्येक भाग का आकार 30 डिग्री है, और प्रत्येक भाव जीवन चक्र के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों, कार्यों और स्थितियों का प्रतिनिधित्व करता है। फिलहाल हम कुंडली के दूसरे भाव में मंगल के प्रभावों का अध्ययन करेंगे। हम देंखेगे की कुंडली के दूसरे भाव से मिलने वाले प्रभावों को मंगल कैसे प्रभावित कर सकता है। इससे पहले हम मंगल के स्वभाव, स्वरूप और गुणों को भी जानने का प्रयास करेंगे।भूमि नंदन, भौम, लोहितांग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से जाने जाने वाले मंगल को ग्रह मंडल में सेनापति का दर्जा प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में मंगल को काल पुरूष के पराक्रम का प्रतीक माना गया है। मंगल क्षत्रिय वर्ण के तमोगुणी ग्रह हैं। लाल रंग और शरीर के खून पर मंगल का प्रभुत्व होता है। मंगल उत्साह, साहस, शौर्य और शक्ति के कारक हैं। वैदिक ज्योतिष में कुछ अन्य ग्रहों के साथ मंगल को भी विशेष दृष्टि प्राप्त है। मंगल अपने स्थान से चौथे और आठवें घर पर पूर्ण दृष्टि डालते हैं। मंगल को एक राशि भ्रमण में लगभग 45 दिनों का समय लगता है। मंगल तामसी प्रकृति का ग्रह है, और यदि कुंडली में मंगल बलवान है, तो शुभ फल देने का कार्य करते हैं।

आपकी जन्म कुंडली में ग्रह कहां विराजमान है? निःशुल्क जन्मपत्री विश्लेषण के साथ अभी पता करें।

 

सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली का दूसरा भाव धन स्थान या कुटुंब स्थान के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध धन, चल-अचल संपत्ति, कुटुंब, वाणी, वंश, धन संग्रह, रत्न, लाभ-हानि, महत्वाकांक्षा और विरासत संपत्ति जैसे क्षेत्रों से होता है। यदि किसी कुंडली के दूसरे भाव में मंगल मौजूद हो, तो वे कुंडली के दूसरे भाव से मिलने वाले प्रभावों को नियंत्रित करने का कार्य करने लगते हैं, और अपने गुण, स्वभाव के अनुरूप जातक को फल देने लगते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में मंगल जातक की आर्थिक-वित्तीय स्थिति, करियर-पेशा, पारिवारिक संबंध और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करने का कार्य कर सकते हैं। जानना चाहते हैं, कैसा रहेगा आपका करियर इस वर्ष? तो बात करें हमारे अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ से।

करियर में परेशानी, पर्सनलाइज्ड करियर रिपोर्ट के साथ करियर की सभी समस्याओं का तुरंत समाधान पाएं।

 

कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल जातकों को परिश्रमी बनाने का कार्य कर सकते हैं, ऐसे जातक लापरवाह हो सकते और इसी कारण वे जल्द ही आवेग में भी आ सकते हैं। कुंडली के दूसरे स्थान पर बैठे मंगल जातक को ऊर्जावान बनाने का कार्य करते हैं। जिसका उपयोग जातक धन कमाने, संपत्ति बनाने और पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने में कर सकते हैं। ऐसे जातक भविष्य की अनिश्चिताओं के प्रति सतर्क रहते हुए वित्तीय स्थिरता बनाये रखने का प्रयास करते हैं। इसीलिए ऐसे जातक कड़ी मेहनत करते हैं, धन कमाते हैं और सोच समझकर खर्च करते हैं। जिससे वे भविष्य की अनिश्चित और अप्रत्याशित स्थिति के लिए धन जमा कर सकें। जिन जातकों की कुंडली के दूसरे घर में मंगल बैठे होते हैं, वे नौकरी पर व्यापार को महत्व देते हैं। ऐसे जातक किसी के अंदर रहकर काम करना पसंद नहीं करते और खुद के व्यापार-व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसे जातकों के जीवन में धन अर्जन ही एक मात्र ध्येय हो सकता है। हालांकि उन्हें अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए। लेकिन मंगल के प्रभाव में वे सिर्फ मेहनत के बल पर धन अर्जन की कोशिश करते हैं। इसकी अपेक्षा उन्हें अपनी प्रतिभा और रचनात्मक क्षमताओं को बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए।

नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली के दूसरे भाव में बैठे मंगल यदि प्रतिकूल स्थिति में या कमजोर हैं, तो ऐसे जातक संवेदनशील हो सकते हैं। छोटी-छोटी बातों पर भड़क सकते हैं, या झगड़ा कर सकते हैं। दूसरे भाव में मंगल के कमजोर होने से शब्दों के उच्चारण में भी कुछ समस्या हो सकती है। यदि मंगल पीड़ित है तो जातक को अन्य लोगों के साथ संवाद करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लोगों से साथ संवाद में कठोर होने से उनके संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना होती है। ऐसे जातक मेहनती होते हैं, और अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित होते हैं। अपने कार्य क्षेत्र में वे सदैव विजयी होने की कोशिश करते हैं। इसके प्रतिफल के रूप में उन्हें वित्तीय लाभ प्राप्त होता है। लेकिन ऐसे जातक अपना लाभ किसी के साथ बांटने में विश्वास नहीं करते, चाहे उस कार्य में उनके साथी का भी योगदान हो। इस कारण उनके और साझेदारों या सहकर्मियों के बीच विवाद या मन मुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है।यदि आप भी कर रहे हैं अपने करियर या व्यावसायिक जीवन में समस्याओं का सामना तो पाएं समाधान हमारे अनुभवी विशेषज्ञ ज्योतिषियों से।

व्यवसाय वृद्धि के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? अपनी व्यक्तिगत 2024 करियर रिपोर्ट प्राप्त करें।

 

कुंडली के दूसरे भाव में बैठे मंगल जातक को खुले हाथ से खर्च करने के लिए प्रेरित करते हैं, और जातक जल्दबाजी में पैसे खर्च करता है। कुंडली के दूसरे भाव में मंगल की उपस्थिति जातक को धन कमाने और उसका संग्रह करने के लिए कड़ी मेहनत करने की क्षमता प्रदान करती है। लेकिन वे इस धन को जल्दबाजी में खर्च करवाने की क्षमता भी रखते हैं। ऐसे जातक को धन खर्च होने से दुखी हो जाते हैं। कुंडली के दूसरे घर में मंगल के पीड़ित होने से जातक गलत संगत में पड़ने की संभावना रखते हैं और गैर कानूनी और गलत गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इस संबंध में उन्हें विशेष ध्यान रखने की सलाह है।

निष्कर्ष

जिन जातकों की कुंडली में मंगल दूसरे भाव में बैठे है वे शेयर बाजार और सट्टे से संबंधित क्षेत्रों में अच्छा लाभ कमा सकते हैं। ऐसे जातक अपने कार्य में माहिर होते हैं, जुनून के साथ कार्य को अंजाम देते हैं, और उतने ही जुनून के साथ धन अर्जन के प्रयत्न करते हैं। ऐसे जातकों का स्वभाव अच्छा हो सकता है, और वे रिश्तों के प्रति न्याय पूर्ण रवैया अपनाते हैं। हालांकि मंगल पीड़ित होने की स्थिति में उनके व्यवहार में रूखापन आने की भी संभावना होती है। लेकिन वे अपने व्यवहार में अधिक संयमित रहकर और धन अर्जन के प्रति अपने जुनून को कम करके अपने रिश्तों को बेहतर करने की क्षमता भी रखते हैं। जिन जातकों की कुंडली में मंगल दूसरे भाव में बैठे हैं, उन्हें संयम और धैर्य के साथ किसी कार्य को पूरा करने का प्रयत्न करना चाहिए।

अपने व्यक्तिगत समाधान प्राप्त करने के लिए, एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से बात करें अभी!

 

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

Continue With...

Chrome Chrome