कुंडली के आठवें भाव में सूर्य की महत्ता जातक को कम संवेदनशील, अधिक मिलनसार बनाती है

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य की महत्ता जातक को कम संवेदनशील, अधिक मिलनसार बनाती है

दीर्घायु और अप्रत्याशित घटनाएं की वास्तव में व्यक्ति के जीवन के दो बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं। ज्योतिष में जो भाव इन कारकों से संबंधित विकास को निर्धारित करता है वह है आठवां भाव। वैसे, वैदिक ज्योतिष में आठवां भाव मृत्यु, दीर्घायु और आकस्मिक घटनाओं के लिए भी उत्तरदायी होता है। यह प्राकृतिक, शांतिपूर्ण, पानी या आग से दुर्घटना, आत्महत्या, हिंसक या पुरानी बीमारी के कारण हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि सूर्य आठवें भाव में है, तो आमतौर पर का जीवन काल अल्प होता है। लेकिन फिर भी, निवारक उपाय स्थिति को बदल सकते हैं।

आठवें भाव में सूर्य के कारण प्रभावित क्षेत्र

  • बुद्धि
  • सार्वजनिक छवि
  • प्यार और रिश्ता
  • सामाजिक जीवन
  • स्वास्थ्य और कल्याण

सकारात्मक लक्षण/प्रभाव

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक आकस्मिक और कठिन परिस्थितियों के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं। वे किसी भी स्थिति पर बहुत प्रभावी ढंग से नियंत्रण करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, वे सही समय पर सही बात कहने की क्षमता रखते हैं। यह जीवन की अनिश्चितताओं और अप्रत्याशितताओं में दक्ष प्रबंधक होने की उनकी गुणवत्ता को दर्शाता है।यही कारण है कि ऐसे लोग जीवन की अनिश्चितताओं को इतनी अच्छी तरह से प्रबंधित कर सकते हैं कि वे हमेशा ताज़ा और मानसिक रूप से समृद्ध महसूस करते हैं। आठवें भाव में सूर्य वाले जातक रोज़मर्रा की जिंदगी की नीरसता में रुचि नहीं रखते हैं। वे स्पष्टता से आगे बढ़ना चाहते हैं, और मामले की जड़ तक पहुँचना चाहते हैं। वे हर समय कुछ नया करना पसंद करते हैं और उन्हें दोहराना नहीं चाहते। वे हमेशा गतिशील और सक्रिय रहते हैं।इसके अलावा, ऐसे जातक अपने आंतरिक और दृढ़ संकल्प को मजबूत करने की कोशिश करते हैं, और उसमें सफल होते हैं। जो इनको कैरियर या व्यवसाय में नई उचाईयां प्राप्त करने में सक्षम बना सकता है। इनकी समस्त आशाओं और इच्छाओं के पूरा होने की संभावना होती है। नतीजतन, ये अपने जीवन और नियति को बहुत बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाते हैं। वैदिक ज्योतिषी के अनुसार कुंडली के आठवें भाव में सूर्य स्थित होने के कारण ये अपने आस-पास की स्थितियों से कम प्रभावित होते हैं, और अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने में अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। केवल एक ही जगह है जहां ये सबसे अधिक असहज महसूस करते हैं और वह है बेडरूम। वो भी इसलिए क्योंकि ये अपनी संपूर्ण शारीरिक अंतरंगता को अपने साथी पर उजागर कर देते हैं। वास्तव में जो शारीरिक अंतरंगता ये अपने साथी के साथ साझा करते हैं वह एक आध्यात्मिक अभ्यास में बदल जाती है।

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नकारात्मक लक्षण/प्रभाव

जब विवाहित जीवन की बात आती है, तो आठवें भाव में सूर्य की स्थिति के कारण जीवनसाथी को संतुष्ट करना बहुत मुश्किल होता है। ये वास्तव में भावनात्मक नहीं होते हैं या कम से कम अपनी भावनाओं को आसानी से व्यक्त नहीं करते। वे अपनी बहुत सी भावनाओं को अपने अंदर दबा कर रखते हैं, उन्हें दूसरों सामने प्रकट नहीं करते। ये आसानी से किसी पर भरोसा नहीं करते। पहले ये व्यक्ति को कुछ मापदंडों पर परखते हैं। फिर यदि वह व्यक्ति इनको दिल और आत्मा से पसंद आता है तो ही ये उसे अपने क़रीबी या मित्र के रूप में स्वीकार करते हैं और अपने रहस्यों को उनके साथ साझा करते हैं। आठवें भाव में सूर्य स्थित होने के कारण, लोगों के परीक्षण पर यह अत्यधिक जोर जातक के व्यक्तित्व पर एक टोल की तरह होता है। दूसरे लोग इन्हें कम पसंद करते हैं। उन्हें इन पर शक भी हो सकता है। यह इनकी सार्वजनिक छवि को प्रभावित कर सकता है।इसके अलावा, 8वें भाव में सूर्य स्थित होने के कारण जातक अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। ये बहुत शीघ्र नाराज़ हो जाते हैं। कई चीजें हैं जो उन्हें व्यक्तिगत रूप में नहीं लेनी चाहिए। अन्यथा, कुंडली के आठवें भाव में सूर्य होने के कारण ये ऐसे लोगों के साथ दोस्ती समाप्त कर सकते हैं, जिनसे वे जीवन के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं।

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निष्कर्ष

8वें भाव में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक स्थितियों को संभालने में काफी कुशल होते हैं। हालांकि, उन्हें कम संवेदनशील और अधिक मिलनसार होना चाहिए। अन्यथा वे कुछ अच्छे दोस्त बनाने से चूक सकते हैं या जीवन को संपूर्ण रूप से जीने में विफल हो सकते हैं।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम

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