राम नवमी (Ramnavami) के दिन भगवान विष्णु के अवतार के रूप में भगवान राम का जन्म हुआ था। जहां भक्त चैत्र नवरात्रि की जय-जयकार और उत्सव मनाते हैं, वहीं 9वें दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। हमारे पसंदीदा देवताओं में से एक का जन्मदिन बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाने के लिए आप भी तैयार हो जाइए!
Ramnavami 2025 तिथि और मध्याह्न मुहूर्त
राम नवमी (Ramnavami) तिथि चैत्र माह में शुक्ल पक्ष के समय आती है। मध्याह्न उस समय की अवधि है, जिस समय भगवान राम का जन्म हुआ था। राम नवमी की रस्में करने के लिए यह समय शुभ माना जाता है। पवित्र मंदिरों और शास्त्रों के अनुसार मध्याह्न का मध्य बिंदु भगवान के जन्म का सटीक क्षण है। इस दौरान लोग जमकर भगवान राम के नाम का जाप करते हैं। तारीख और मुहूर्त नीचे दिए गए हैं:
- राम नवमी: रविवार, 6 अप्रैल 2025
- राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 10:45 बजे से दोपहर 01:14 बजे तक
- नवमी तिथि प्रारंभ: 05 अप्रैल 2025 को शाम 07:26 बजे
- नवमी तिथि समाप्त: 06 अप्रैल 2025 को शाम 07:22 बजे
राम नवमी (Ramnavami) की कथा
अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी थीं। उनमें से कोई भी बेटे को जन्म नहीं दे सकी थीं। राजा को ऐसा बेटा चाहिए था, जो उनके सिंहासन का वारिस हो और साम्राज्य की देखभाल कर सके। शादी के कई साल बीत जाने के बाद भी उन्हें पिता बनने का सौभाग्य नहीं मिला था।
एक बार उन्हें प्रसिद्ध ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ आयोजित करने का सुझाव दिया, एक पवित्र अनुष्ठान, जो संतान प्राप्ति आशीर्वाद दे सकता है। राजा दशरथ ने महर्षि ऋष्यशृंग को यज्ञ को यथासंभव विस्तृत तरीके से करने की अनुमति दी। राजा को पायसम (दूध और चावल से बनी मिठाई) का एक कटोरा दिया गया और उसे अपनी पत्नियों के बीच बांटने का अनुरोध किया। राजा ने कटोरी में आधी मिठाई अपनी पत्नी कौशल्या को और दूसरी आधी पत्नी कैकेयी को दी। इन दोनों पत्नियों ने अपना आधा भोजन सुमित्रा को बांट दिया। पवित्र पायसम के इस असमान हिस्से के परिणामस्वरूप कौशल्या और कैकेयी दोनों के एक-एक पुत्र का जन्म हुआ। वहीं, सुमित्रा ने जुड़वां बेटों को जन्म दिया।
इस दिन (Ramnavami) की महिमा ने अयोध्या में उत्सव को शिखर पर पहुंचा दिया। राज परिवार के साथ वहां रहने वाले सभी लोगों ने राहत की सांस ली और चमत्कार के लिए भगवान का आभार व्यक्त किया। वे कहां इस बारे में ठीक से समझ पाए थे कि कौशल्या के नवजात पुत्र राम के रूप में स्वयं भगवान उन्हें मिले हैं।
राम नवमी (Ramnavami) का महत्व और झांकी
जैसा कि आप जानते ही होंगे कि भगवान राम को भगवान विष्णु का 7वां अवतार कहा जाता है। उनका जन्म उस अवधि के दौरान हुआ था, जब दुष्ट राजा रावण अपने लोगों को पीड़ा दे रहा था और धर्म पर अधर्म की काली परछाई फैला रहा था। भगवान राम ने युद्ध करके रावण का संहार कर दिया और दशहरे के दिन शांति और धर्म बहाल किया।
उत्तर भारत में भक्त रामनवमी (Ramnavami) पर रथ यात्रा की झांकी निकालते हैं, जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है। देवी सीता, भाई लक्ष्मण और भगवान हनुमान के साथ रथ में भगवान राम की मूर्तियों को देखा जा सकता है। कई लोग प्राचीन वेशभूषा में तैयार होकर झांकी में भाग लेते हैं।
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राम नवमी समारोह
रामनवमी (Ramnavami) के दिन भारत के कई क्षेत्रों में लोग पूजा-अनुष्ठान के बाद प्रसाद बांटने के साथ-साथ भजन और कीर्तन का आयोजन करते हैं। देशभर के मंदिरों को खूबसूरत फूलों और रोशनी से अलंकृत देखा जा सकता है। भक्त दिन (Ramnavami) में भगवान को श्रद्धांजलि देते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। विशेष हवन भी आयोजित किए जाते हैं, जिसके दौरान वे वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए फूल और फल चढ़ाते हैं।
कई लोग दिन के उत्सव के अंत में एक भव्य भोज की व्यवस्था करते हैं। हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उन मंदिरों में उमड़ पड़ती है, जहां राम की मूर्तियों को पालने में रखा जाता है। प्रार्थनाओं के साथ भगवान का जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू इस त्योहार (Ramnavami) पर उपवास भी रखते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे श्रीराम की कृपा मिलती है। उपवास का समय सुबह शुरू होता है और अगली सुबह समाप्त होता है। इस प्रकार भगवान राम के जन्म का पर्व रामनवमी भारत की भूमि पर धूमधाम से मनाया जाता है।
प्रभु सभी को अपनी दिव्य कृपा प्रदान करें। राम नवमी की शुभकामनाएं!
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