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झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2019: 19 साल, 10 मुख्यमंत्री, सिर्फ एक का कार्यकाल पूरा, जबकि 3 बार राष्ट्रपति शासन भी

झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2019

वर्तमान झारखण्ड विधानसभा चुनाव 2019 से पहले तक रघुवर दास ही एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। वरना इसके अलावा झारखण्ड में एक भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं ढ़ाई साल तक भी टिक कर सरकार चलाई हो। राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांंडी को 2 साल 4 महीने 3 दिन में ही कुर्सी से हाथ होना पड़ा था। जिसके बाद वे फिर से दोबारा सत्ता में नहीं आ पाए। उनके बाद अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा व हेमंत सोरेन भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। लेकिन इस दौरान एक रिकॉर्ड भी बना कि झारखण्ड के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में देश के पहले सबसे कम उम्र वाले युवा मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा बने। जबकि मधु कोड़ा ऐसे राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो निर्दलीय होते हुए भी सत्ता पर काबिज़ हुए। इतना ही नहीं झारखण्ड में मात्र 19 सालों में तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है। ये सब बाते बताती हैं कि झारखण्ड की राजनीति कितनी उतार-चढ़ाव भाई हुई है।

हम यहाँ आपको झारखण्ड की अब तक की राजनीतिक सूची बता रहे है कि कब कौन मुख्यमंत्री रहा और कब राष्ट्रपति शासन लगा।

1. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने बाबूलाल मरांडी। जो गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर आये। मरांडी 15 नवंबर 2000 से 18 मार्च 2003 तक राज्य की कमान संभाली और मुख्यमंत्री पद पर रहे। लेकिन इसके बाद पुनः मुख्यमंत्री नहीं बन सके।

2. प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने अर्जुन मुंडा जो उस समय मात्र 35 साल के थे और देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। इसके बाद मुंडा तीन बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने। इनका पहला कार्यकाल 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक रहा। फिर दूसरी बार 12 मार्च 2005 से 19 सितंबर 2006 तक मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद इनके हाथ से सत्ता की कुर्सी चली गयी जो साल 2010 में फिर से इनके हाथ आयी, और ये एक बार फिर 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान इन्होनें सरायकेला-खरसावां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।

3. झारखण्ड के तीसरे मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन। ये प्रदेश के सबसे कम समय तक कुर्सी पर बैठने वाले मुख्यमंत्री रहे। जब ये पहली बार मुख्यमंत्री बने तो 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 तक मात्र 10 दिन तक ही ये मुख्यमंत्री पद पर रह पाए। उसके बाद इनकी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायकों ने समर्थन वापिस ले लिया और भाजपा को समर्थन दे दिया जिसके बाद अर्जुन मुंडा दूसरी बार झारखण्ड के सी एम बने थे। 27 अगस्त 2008 से 19 जनवरी 2009 के बीच शिबू सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। तब ये 4 महीने 23 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। जब ये तीसरी बार मुख्यमंत्री तो इस बार ये पुरे पांच महीने जी हाँ पुरे पांच महीने 2 दिन के लिए झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान शिबू सोरेन काफी विवादित रहे। कभी अपनी राजनीति को लेकर कभी बयानों को लेकर तो कभी पार्टी की वजह से।

4. अब बारी आती राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री की। ये एक ऐसे व्यक्ति है जो किसी राजनीतिक पार्टी से चुनाव नहीं लड़े फिर भी किसी राज्य के निर्दलीय मुख्यमंत्री बनने वाले पहले उम्मीदवार थे। इनका नाम है मधु कोड़ा! हालांकि ये 1 साल 6 महीने 7 दिन तक ही मुख्यमंत्री पद पर रहे। लेकिन किसी राजनीतिक दल से न होने के बावज़ूद भी इन्होंने निर्दलीय मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। ये 19 सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 तक झारखण्ड के मुख्य मंत्री रहे।

5. मधु कोड़ा के बाद एक बार फिर प्रदेश में शिबू सोरेन की सरकार बनी। लेकिन बहुत ज्यादा राजनीतिक उतार चढ़ाव के चलते मात्र 4 महीने 23 दिन में उनकी सरकार गिर गयी। वे 27 अगस्त 2008 से 19 जनवरी 2009 तक मुख्यमंत्री रहे।

6. शिबू सोरेन की सरकार गिरने के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। जो 11 महीने 11 दिन, 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 तक रहा।

7. इसके बाद फिर से शिबू सोरेन तीसरी मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन एक बार फिर वे सरकार चलाने में नाकाम रहे। इस बार वे पांच महीने 2 दिन, 30 दिसंबर 2009 से 1 जून 2010 तक प्रदेश मुख्यमंत्री रहे।

8. इसके बाद फिर शिबू सोरेन की सरकार गिर गयी। झारखण्ड में फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। लेकिन इस बार सिर्फ 3 महीने 10, 1 जून 2010 से 10 सितंबर 2010 तक ही राष्ट्रपति शासन रहा।

9. प्रदेश में फिर से चुनाव हुए और इस बार फिर से अर्जुन मुंडा तीसरी बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने। जिनके बारे में ऊपर भी लिखा है। इस बार अर्जुन की सरकार 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक 2 साल 4 महीने 7 दिन चली। लेकिन विधायकों में असंतोष के कारण उन्होंने अपना समर्थन वापिस ले लिए और मुंडा की सरकार भी गिर गयी।

10. इसके बाद फिर एक बार राष्ट्रपति शासन भी प्रदेश में तीसरी बार लागू हुआ। इस बार राष्ट्रपति शासन शासन की अवधि 5 महीने 25 दिन रही। यानि 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक राष्ट्रपति शासन रहा।

11. 3 बार राष्ट्रपति शासन लगने के बाद प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों की साख गिरने लगी। कोई भी राजनीतिक ऐसा नहीं था तो अपने दम पर सरकार बना सके। एक बार फिर प्रदेश में साल 2013 में विधानसभा चुनाव करवाए गए और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने और 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक यानि एक साल 5 महीने 15 दिन मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद प्रदेश की तीसरी विधानसभा का कार्यकाल पूरा हुआ।

12. जब साल 2014 नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो भाजपा देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन कर उभरी। उसी दौरान दिसम्बर में झारखण्ड की चौथी विधानसभा के चुनाव हुए। इन चुनावों में मोदी लहर और अमित शाह के प्रचार-प्रसार के कारण भाजपा झारखण्ड की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में सामने आयी। उसने 81 विधानसभा सीटों में से 37 सीटों पर जीत हासिल की और ऑल झारखण्ड स्टूडेंट यूनियन के समर्थन से बहुमत साबित कर सरकार बनाई। इस सरकार का चेहरा बने रघुबर दास। जिन्होंने अच्छी तरह से अपनी सरकार चलाई। इसके बाद 2015 झारखण्ड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने भी भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। रघुबर दास की सरकार झारखण्ड की ऐसी पहली सरकार है जो पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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