आश्चर्यजनक सौंदर्ययुक्त और रंगो से भरी महा नवरात्रि की उत्पत्ति और महत्वता को दर्शाने वाली विभिन्न पौराणिक कथाएं उपलब्ध हैं। लेकिन ये सभी भावनाओ के धागे में पिरोए हुए उन मोतियों के समान है जो समान चमक बिखेरती है। सीधे शब्दों में कहें तो इन सभी का एक मत है कि नवरात्रि वो त्यौहार है जो देवी मां के प्रति सच्ची श्रद्घा और विश्वास को प्रकट करता है। त्यौहारी सीजन की शुरूआत का अंकन करने वाली, नौ दिन और रात के लिए, सभी आेर विस्तार करने वाले और देश की व्यापकता दर्शाने वाले, इस फेस्टिवल को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। गुजरात में तो खासतौर से । इस पर्व के अवसर पर गुजरात के लोगों के लिए दिन-रात एक-समान होते हैं। जवान या बुजुर्ग सभी का उत्साह इस दौरान चरम पर होता है, सभी इस दौरान लोकनृत्य ‘गरबा’ की मस्ती में डूबे रहते हैं। इस खास मौके पर लोग अलग-अलग रंगों वाली आकर्षक चनिया चोली और धोती कुर्ता पहन नृतकों की एक टोली बनाकर जोशपूर्ण संगीत पर थिरकते हैं। गरबा स्थल के मध्य में अस्थायी रूप से देवी मां की मूर्ति स्थापित की जाती है। नवरात्रि का त्यौहार गुजरात सहित भारत के अन्य राज्यों तक ही सीमित नहीं है,ये उन जगहों पर भी मनाया जाता है जहां भारतीय बसते हैं। देवी मां के नौ अवतार है, जिसमें प्रत्येक दिन एक स्वरूप की पूजा की जाती है। आइए इस लेख में जानते है कि देवी मां के नौ अवतार क्या दर्शाते हैः
नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री
दुर्गा मां के पहला अवतार का जन्म देवी पर्वतराज हिमालय के घर शैला के रूप में हुआ, जो शैलपुत्री के रूप में जानी जाती है। इन्हें पार्वती के नाम से भी बुलाया जाता है, जिन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की और उनसे विवाह किया। शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है, और अगर वो प्रसन्न होती है, तो भक्त को अमित आशीर्वाद प्रदान करती है।
नवरात्रि का दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। जब वे भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या कर रही थी, तो दुर्गा ने अपार पवित्रता और सतीत्व अर्जित किया और इसी वजह से वे ब्रह्मचारिणी कहलार्इ गई। देवी के इस अवतार की पूजा करने से भक्त को मन और शरीर की पवित्रता, शांति और समृद्घि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि का तीसरा दिन : मां चंद्रघंटा
यह दुर्गा का उग्र रूप है जिसमे जिन्होंने अपने दस हाथों में आठ शस्त्र धारण कर रखे हैं। सिंह पर सवार होने के कारण ये ‘धर्मा’ कहलाती है और चंद्रघंटा के नाम से जाना जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन समर्पण अनुराग से इनकी पूजा करने से भक्त को सभी पापों, कष्टों और मानसिक दुखों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि का चौथा दिन : मां कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां के जिस अवतार की पूजा होती है। उन्हें कुष्मांडा रूप से जाना जाता है। उनका नाम दर्शता है कि उन्होंने इस ब्रहमांड की उत्पत्ति की है और वे सूर्य के रूप में सभी के मध्य में विराजित है। इन्होंने अपने आठ हाथों में माला धारण कर रही है, जो कि भक्त को महान सिद्धियां एवं अलौकिक शक्तियां प्रदान करने में सक्षम है।
नवरात्रि का पांचवा दिन : मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता कार्तिकेय की माता है, जो कि शेर पर विराजित नजर आती हैं। यदि भक्त नवरात्रि के पांचवें दिन माता के इस स्वरूप की पूजा करते है तो उनके हृ`दय की शुद्घि हाेती है। उनकी गोद में कार्तिकेय बैठे है, इस स्वरूप को ध्यान में रखते हुए इनकी पूजा करें। कार्तिकेय की पूजा करना भी मुक्ति दिलाने में सहायक है।
नवरात्रि का छठां दिन : मां कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन देवी के जिस रूप की पूजा की जाती है वो मां कात्यायनी के नाम से जानी जाती है। मां दुर्गा के इस रूप की उत्पत्ति महिषाषुर दानव का वध करने के लिए हुर्इ थी। निष्ठापूर्वक पूजा करके इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है, जो भक्तों को उनकी इच्छानुसार धन, समृद्घि आैर आध्यात्मिक निवारण प्रदान करती हैं।
नवरात्रि का सातवां दिन : मां कालरात्रि
दुर्गा के इस भयंकर अवतार की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। जो गधे पर सवार हैं, उनकी चार भुजाएं हैं, तीन आंखे हैं और मुंह खुला हैं। श्याम रंग वाली ये देवी अपने भक्तों को अभय और सभी कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद देती हैं। इनकी पूजा करने वाले निष्ठावान भक्तों के रास्तों से सभी मुश्किलें दूर होकर शांति, सुख और समृद्घि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि का आठवां दिन : मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है जो कि तब तक श्याम रंग की ही रही जब तक भगवान शिव उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न नहीं हुए और गंगा नदी के पवित्र जल से उनकी शुद्घि नहीं की। इसके बाद उनका रंग अत्यधिक साफ हो गया। उनके इस रूप की पूजा करने से भक्त को मन की शांति, बुद्धि और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।
नवरात्रि का नौंवा दिन : मां सिद्घिदात्री
मां सिद्घिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन की जाती है। उनका नाम उनके महत्व को स्वयं दर्शाता है। ‘सिद्घि’ यानि अलौकिक शक्तियां’ और ‘दात्री’ यानि देना। उन्होंने अपनी चार भुजाआें में गंदा, शंख, चक्र और कमल का फूल धारण कर रखा है। ये देवी-देवताओ से घिरी हैं और जो भी उनकी पूजा करता है उसे इस सांसारिक जगत से मुक्ति मिलती है तथा ब्रह्मत्व प्राप्त होता है।
गणेशजी आपकाे सुखद, स्वस्थ और समृद्ध नवरात्रि की शुभकामनाएं देते है।
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