गणेशजी कहते हैं कि दुर्गा अष्टमी 2025 का पर्व इस वर्ष मंगलवार, 30 सितम्बर 2025 को मनाया जाएगा। इसे महाअष्टमी भी कहा जाता है और यह नवरात्रि का आठवाँ दिन है। नवरात्रि के इस दिन का महत्व बहुत गहरा है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर जैसे शक्तिशाली दैत्य का वध किया था। यही कारण है कि इस तिथि को शक्ति की विजय और धर्म की स्थापना का प्रतीक माना जाता है।
तिथि और मुहूर्त
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 29 सितम्बर 2025, शाम 4:31 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 30 सितम्बर 2025, शाम 6:06 बजे
(समय आपके शहर और पंचांग के अनुसार बदल सकता है)
गणेशजी की सलाह है कि इस शुभ तिथि पर स्नान कर माता दुर्गा का पूजन अवश्य करें और संभव हो तो संध्या काल या संधि पूजा का महत्व भी समझें।
दुर्गा अष्टमी का महत्व
गणेशजी कहते हैं कि अष्टमी तिथि का महत्व केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में शक्ति, साहस और सकारात्मकता जगाने का अवसर भी है।
- इस दिन कुमारिका पूजन (कन्या पूजन) विशेष महत्व रखता है। नौ छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनके चरण धोकर भोजन, वस्त्र और उपहार दिए जाते हैं।
- मां महागौरी की पूजा करने से अखंड सुहाग, सौभाग्य और पापों से मुक्ति मिलती है।
- गणेशजी महसूस करते हैं कि महागौरी की उपासना से सभी नौ देवियाँ प्रसन्न होती हैं और भक्त को अलौकिक सिद्धियाँ (supernatural achievements) प्राप्त होती हैं।
पूजा विधि और संधि पूजा का महत्व
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- धूप, दीप, फूल, अक्षत और रोली से माता का पूजन करें।
- नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उनके चरण धोएँ और उन्हें भोजन व उपहार दें।
- सुहागन महिलाएँ माता को साड़ी, चुनरी और सौभाग्य की वस्तुएँ अर्पित करती हैं।
- दुर्गा सप्तशती और देवी कवच का पाठ करें और “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
संधि पूजा:
गणेशजी बताते हैं कि अष्टमी के अंतिम 24 मिनट और नवमी के पहले 24 मिनट को संधि काल कहा जाता है। इसे सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस दौरान:
- 108 दीपक जलाए जाते हैं।
- केला, ककड़ी और कद्दू की प्रतीकात्मक बलि दी जाती है।
- यह पूजा विशेष रूप से बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में बड़े उत्साह से होती है।
ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
गणेशजी कहते हैं कि दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की आराधना की जाती है। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में चंद्रमा वृश्चिक राशि में है या जिनके चंद्र-राहु, चंद्र-केतु या चंद्र-शनि के अशुभ योग हैं, उनके लिए यह पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- इस पूजा से चंद्रमा बलवान होता है।
- मानसिक बल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- जीवन की बाधाओं और मानसिक अस्थिरता से मुक्ति मिलती है।
क्षेत्रीय परंपराएँ
पश्चिम बंगाल – यहाँ दुर्गा अष्टमी दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। भव्य पंडाल, संधि पूजा और ढाक की धुन पर नृत्य इसका मुख्य आकर्षण हैं। महिलाएँ लाल-सफेद साड़ी पहनकर विशेष पूजा करती हैं।
असम और त्रिपुरा – ढाक की गूंज और संधि पूजा का आयोजन।
बिहार और झारखंड – नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा।
उत्तर प्रदेश और दिल्ली – कन्या पूजन, हवन और रामलीला मंचन।
ओडिशा – दुर्गा पूजा के साथ काली पूजा की भी शुरुआत।
महाराष्ट्र और गुजरात – गरबा और डांडिया का आयोजन। अष्टमी पर हवन और कन्या पूजन।
दक्षिण भारत – बोम्मई गोलु (गुड़ियों की सजावट) और अय्यप्पा पूजा।
हिमाचल प्रदेश – कुल्लू दशहरा की शुरुआत नवरात्रि के साथ होती है।
जानिए आने वाले साल में सितारे आपके लिए क्या संकेत दे रहे हैं। अपनी 2026 वार्षिक राशिफल रिपोर्ट अभी प्राप्त करें!
क्या करें और क्या न करें
क्या करें (Do’s):
- उपवास रखें और माता की विधिवत पूजा करें।
- नौ कन्याओं का पूजन कर भोजन, वस्त्र और उपहार दें।
- दुर्गा सप्तशती, देवी कवच और मंत्र जाप करें।
- घर और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और सजाएँ।
- जरूरतमंदों को दान करें।
क्या न करें (Don’ts):
- मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें।
- झगड़ा और नकारात्मक व्यवहार से बचें।
- नवरात्रि में बाल और नाखून न काटें।
- बिना स्नान या अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें।
- भोजन और प्रसाद का अपमान न करें।
आधुनिक प्रासंगिकता
गणेशजी अनुभव करते हैं कि आज दुर्गा अष्टमी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है।
- सामूहिक पूजा से सामाजिक जुड़ाव और एकता बढ़ती है।
- डिजिटल पूजा और ऑनलाइन आरती से दूर रहकर भी भक्त इसमें शामिल हो सकते हैं।
- यह पर्व नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है।
- कई स्थानों पर इसे इको-फ्रेंडली पंडाल और समाज सेवा से भी जोड़ा जाता है।
- युवाओं के लिए यह पर्व साहस, आत्मबल और अनुशासन की प्रेरणा देता है।
गणेशजी कहते हैं कि दुर्गा अष्टमी 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह शक्ति, विश्वास और आत्मबल को जागृत करने का अवसर है। यदि भक्त श्रद्धा और भक्ति से पूजा करें तो मां दुर्गा उनकी सभी बाधाएँ दूर कर उन्हें सुख, सौभाग्य और शक्ति का आशीर्वाद देती हैं।
जानें दुर्गा अष्टमी 2025: पूजन विधि, सामग्री, मंत्र और घर-ऑफिस-सामूहिक पूजा के खास उपाय