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योगिनी एकादशी व्रत 2017: महत्व, कथा और पूजा विधि

योगिनी एकादशी व्रत 2017: महत्व, कथा और पूजा विधि

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु आैर पीपल के पेड़ की पूजा करने पर विशेष फल मिलता है। दरअसल पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसी कारण विष्णु की पूजा के साथ पीपल की पूजा का भी विधान है। कहते है कि इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते है आैर मनोकामनाआें की पूर्ति होती है। तो आइए जानते है योगिनी एकादशी की कथा आैर महत्व के बारे मेंः

योगिनी एकादशी व्रत कथाः

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नामक राजा राज्य करता था। जो कि भगवान शिव का परम भक्त था। वो प्रतिदिन शिव को ताजे फूल अर्पित किया करता था। हेम नामक माली रोज राजा के लिए ताजे फूल तोड़ कर लाया करता था। लेकिन एक दिन हेममाली राजा को पुष्प देने के समय अपने स्त्री के साथ रमण करने लगा। कर्इ देर इंतजार करने के बाद जब माली पुष्प लेकर नहीं पहुंचा तो राजा गुस्से में आ गया आैर अपने सेवकों को हेममाली का पता लगाने का आदेश दिया। सेवकों ने वापिस आकर राजा को बताया कि माली अभी तक अपनी स्त्री के साथ भ्रमण कर रहा है। इस पर राजा कुबेर ने हेममाली को उसके समक्ष बुलाने की आज्ञा दी। जब हेममाली वहां पहुंचा तो राजा ने उसे गुस्से में आकर श्राप दिया कि तू स्त्री का वियोग भोगेगा आैर मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा। राजा के श्राप से वह उसी क्षण पृथ्वी लोक में आ गिरा आैर कोढ़ी हो गया। जहां उसने कर्इ दुख झेले। लेकिन शिव की भक्ति के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुर्इ। इसके बाद वह हिमालय पर्वत की आेर चल दिया। जहां उसे एक ऋषि मिले। जब ऋषि ने उसके कोढ़ के पीछे का कारण पूछा तो उसने सारा वृतांत सुनाया आैर अपने उद्घार के लिए सहायता मांगी। इस पर ऋषि ने उसे कहा कि तुम आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत करो इस व्रत को करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि के वचन का पालन करते हुए हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया। जिससे उसके शरीर का कोढ़ दूर हो गया आैर वह पूर्ण रूप से सुखी हो गया। वर्ष 2017 में आपके जीवन में क्या-क्या चीजें घटित होगी इस बारे में जानें 2017 विस्तृत वार्षिक रिपोर्ट से।

योगिनी एकादशी पूजा विधि:

योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एक रात पहले से ही यानि दशमी की रात से ही नियमाें का पालन करना चाहिए। यानि सूर्यास्त के बाद भोजन ना करें। सुबह सूर्योंदय से पहले उठकर तिल का लेप लगाए या फिर तिल मिले पवित्र जल से स्नान करें। स्नान के बाद लाल वस्त्रों से सजे कलश की स्थापना कर पूजा करें आैर इसके बाद भगवान विष्णु तथा श्रीराम की प्रतिमा का धूप, दीप, फल-फूलों आदि से पूजन करें। पूजन के बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए। वहीं रात के समय भजन-कीर्तन करने चाहिए। खासकर विष्णु सहस्त्रनाम करने से इस दिन विशेष फल मिलता है।

योगिनी एकादशी महत्वः

योगिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से हर तरह के चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है। इस व्रत करने से 88 हजार ब्राहणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। किसी भी तरह की कामना की पूर्ति के लिए भी ये व्रत रखा जा सकता है। इस व्रत के प्रभाव से समस्त पाप दूर होते है आैर अंत में स्वर्ग प्राप्ति होती है। अगर आपकी जिंदगी के किसी भी तरह की कोर्इ परेशानी है तो हमारी रिपोर्ट कोर्इ भी प्रश्न पूछे रिपोर्ट का लाभ उठाए आैर सही मार्गदर्शन पाए।

एकादशी पर क्या ना करेंः

एकादशी पर मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज आदि तामसी वस्तुअों का सेवन कभी भी ना करें, इससे मन में पापी विचार बढ़ते है। इस दिन किसी भी दूसरे मनुष्य का दिया हुआ अन्न ग्रहण ना करें, नहीं तो पूरे वर्ष भर के पुण्य नष्ट हो जाते है।एकादशी के दिन चावल आैर जौ का सेवन नहीं करना चाहिए। एेसा करने से व्यक्ति पाप का भागी बनता है आैर उसके सभी पुण्य नष्ट हो जाते है। इस दिन क्रोध, हिंसा, परनिंदा आैर चोरी नहीं करनी चाहिए। एकादशी के दिन अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखना चाहिए आैर पूर्ण ब्रहमचर्य का पालन करना चाहिए।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
धर्मेश जोशी
गणेशास्पीक्स डाॅटकाॅम टीम

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