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Paush Purnima 2023: जाने पौष पूर्णिमा का महत्व आैर क्या है इसकी पूजा विधि आैर शुभ मुहूर्त

Paush Purnima 2019: जाने पौष पूर्णिमा का महत्व आैर क्या है इसकी पूजा विधि आैर शुभ मुहूर्त

सूर्य और चंद्रमा के संगम के दिन पूजन से बाधाएं होती हैं दूर

हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। ऐसे में पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का भी काफी महत्व होता है। जिस दिन चंद्रमा का आकार पूर्ण होता है उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। हर माह की पूर्णिमा पर कोई न कोई त्यौहार अवश्य होता है। लेकिन पौष और माघ माह की पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है। उत्तर भारत में हिंदूओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है।

पौष पूर्णिमा का महत्व

मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए पौष पूर्णिमा का दिन काफी शुभ होता है। इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा से ही हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन सुबह में विधिपूर्वक स्नान करने वाला मोक्ष का अधिकारी होता है। चूंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। सूर्य और चंद्रमा का यह संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

शाकम्बरी जंयती

पौष पूर्णिमा के दिन ही शाकम्बरी जयंती भी मनाई जाती है। जैन धर्मावलंबियों के पुष्याभिषेक यात्रा की शुरुआत भी इसी दिन होती है। छत्तीसगढ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी इस दिन छेरता पर्व मनाते हैं। इस दिन शाकम्बरी जयंती मनाने के पीछे मान्यता यह है कि भक्तों के अाह्वान पर देवी दुर्गा ने इस दिन शाकम्बरी का रुप धारण कर लोगों को परेशानी से निजात दिलायी थी।

पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है।
1. पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें।2. वरुण देव को प्रणाम कर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। बनारस के दशाश्वमेध घाट व प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर पर डुबकी लगाना शुभ और पवित्र माना जाता है।3. इसके बाद सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दें। 4. किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं। 5. ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र का दान करें।

पौष पूर्णिमा पर होने वाले आयोजन

इस दिन विभिन्न तीर्थ स्थलों पर धार्मिक आयोजन होते हैं। पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले की शुरूअात होती है। जानकारों के अनुसार माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर लेना चाहिए।

पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त

पूर्णिमा आरंभ – जनवरी 6, 2023 को 02:14 AM से पूर्णिमा समाप्त – जनवरी 7, 2023 को 04:47 AM तक

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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