https://www.ganeshaspeaks.com/hindi/

गौरी तृतीया व्रत 2024 – कथा, पूजा विधि और व्रत के फायदे

गौरी तृतीया व्रत 2019 - कथा, पूजा विधि और व्रत के फायदे

सौभाग्यवर्द्धक है गौरी तृतीया व्रत

माघ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन गौरी तृतीया व्रत किया जाता है। वर्ष 2024 में यह व्रत बुधवार, जुलाई 17, 2024  को किया जाएगा। शुक्ल तृतीया को किया जाने वाला यह व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

गौरी तृतीया व्रत से जीवन में मिलती है सफलता

हिन्दू धर्म में वैसे कई व्रत और त्यौहार हैं। इनमें से ही एक है गौरी तृतीया व्रत। इस व्रत के प्रभाव से विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। खास बात यह है कि इस व्रत के बाद इसका उद्धापन जरुर कर देना चाहिए।

गौरी तृतीया व्रत कथा

यह व्रत सौभाग्यदायक है। व्रत और उपवास से स्त्रियों को दांपत्य और संतान सुख प्राप्त होता है। पुराणों में भी गौरी तृतीया व्रत की महिमा का उल्लेख है। दक्ष को पुत्री रुप में सती की प्राप्ति होती है। सती माता ने भगवान शिव को पाने हेतु जो तप और जप किया उसका फल उन्हें प्राप्त हुआ। सती के विभिन्न नामों में से एक गौरी भी है। शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर के साथ देवी सती का विवाह हुआ था। इस कारण माघ शुक्ल तृतीया के दिन उत्तम सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

गौरी तृतीया पूजा विधि

सुबह स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर देवी गौरी के साथ-साथ भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।- सबसे पहले पंचगव्य तथा चंदन निर्मित जल से देवी सती और भगवान शिव की प्रतिमा को स्नान कराने के बाद धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करनी चाहिए। – इस दौरान विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, लौंग, पान, चावल, सुपारी, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा से की जाती है।- इसके बाद गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान कराने के बाद वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी सहित अन्य श्रंगार की वस्तुओं से सजाया जाता हैं।- शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करके गौरी तृतीया की कथा सुनने के बाद उन्हें सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है.

गौरी तृतीया व्रत फल

यह व्रत स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण और सौभाग्यदायिनी मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए इस दिन व्रत करती हैं। अविवाहित कन्याएं भी मनोवांछित वर की प्राप्ति हेतु इस व्रत को करतीं हैं।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

बसंत पंचमी 2024 – बसंत पंचमी मुहूर्त, महत्व और सरस्वती पूजन
सालभर में जानें विवाह के शुभ मुहूर्त
राहु की महादशा, लक्षण और उपाय

Continue With...

Chrome Chrome