चंदा कोचर: मुश्किलों में, आखिर किसकी बुरी नज़र लगी है?

आधुनिक समाज में किसी भी देश के विकास की नींव उसकी मजूबत अर्थव्यवस्था पर टिकी होती है। अर्थव्यवस्था को अधिक शक्तिशाली व गतिशील बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए बैंकिंग सेक्टर का बड़ा ही अहम रोल होता है। बैंकिंग क्षेत्र में इस समय महिलाएं भी पुरुषों के मुकाबले सशक्त होकर महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण पेश कर रही हैं। भारतीय उद्योग जगत और बैंकिंग क्षेत्र में इसका उदाहरण है आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर। इन्होने अपनी मेहनत, विश्वास और लगन के बल पर बैंकिंग क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए फोर्ब्स पत्रिका में दुनिया की सशक्त महिलाओं की सूची में खुद को दर्ज किया। वर्तमान में चंदा कोचर सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। दरअसल, इनके ऊपर वीडियोकॉन कंपनी को लोन देने के मामले में अनियमिता बरतने का आरोप है। इस पैसे के लेनदेन में इनके पति दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत भी शक के दायरे में हैं। आइये जानते हैं क्या कहते हैं गणेशास्पीक्स.कॉम के अनुभवी एस्ट्रोलॉजर ICICI बैंक की CEOचंदा कोचर की कुंडली व भविष्य के बारे में।

चंदा कोचर
जन्म तिथि – 17 नवंबर 1961
जन्म समय – अज्ञात
जन्म स्थान – जोधपुर, राजस्थान


इनके नाम के अनुसार अंकज्योतिष क्या कहता है:

अंकशास्त्र के अनुसार चंदा कोचर की जन्म तारीख17-11-1961

1+7 = 8 = शनि – मूलांक
1+7+1+1+1+9+6+1 = 27 = 9 = मंगल भाग्यांक
चंदा कोचर
3+8+1+5+4+1 2+6+3+8+1+9
—————— —————–

22 29
22+29 = 51 = 6 = शुक्र

श्रीमती चंदा कोचर का मूलांक 8 है। इस अंक का स्वामी शनि है। भाग्यांक 9 आता है जिसका मालिक मंगल है। इनका नामांक6 यानी शुक्र है। यहां शुक्र मूलांक शनि का मित्र है। भाग्यांक मंगल भी मित्र है। इससे पता चलता है कि चंदा कोचर ने अपने जीवन में काफी प्रगति की है। मूलांक और भाग्यांक के एक दूसरे से शत्रु होने की वजह से इनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा है।

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यदि चालू वर्ष 2018 की बात करें तो 2 + 0 + 1 + 8 = 11 = 2 अर्थात चंद्र यहां भाग्यांक मंगल के साथ होने से मिश्रित परिणाम देगा। वहीं मूलांक शनि के साथ वर्षांक 2 (चंद्र) के होने से अकारण चिंता या कठिनाइयां पैदा होगी। वर्ष 2019 का विश्लेषण करने पर यहां कहा जा सकता है कि 2+0+1+9 = 12 = 3 यानी गुरु आता है। इस प्रकार वर्षांक गुरु और मूलांक शनि तथा वर्षांक गुरु एवं भाग्यांक मंगल दोनों के मित्र होने से वर्ष 2019 भी अच्छा व्यतीत होने का पूर्व-कथन है। इस प्रकार से चंदा कोचर को मानसिक कष्टों से होकर गुजरना पड़ेगा। लेकिन, वर्ष 2018-19 इनके लिए खूब अच्छा प्रतीत होता है। इनके ऊपर लगे आरोपों के अंततः बेबुनियाद साबित होने की संभावना गणेश जी देखते हैं।


क्या कहते हैं इनके जन्म के ग्रह

अब देखते हैं सूर्य कुंडली के द्वारा। चंदा कोचर के जन्म विवरण के अनुसार इनकी सूर्य कुंडली में वृश्चिक लग्न बन रहा है। लग्नेश मंगल कुंडली के पहले भाव यानी अनुराधा नक्षत्र में स्वगृही है। साथ ही कर्मेश सूर्य के साथ युति बनाता है। धनेश और पंचमेश गुरु तीसरे भाव की मकर राशि में उत्तरषाढ़ा नक्षत्र में है। यह भाग्य, सप्तम और लाभ स्थान को देखता है। तृतियेश और सुखेश शनि मकर राशि और उत्तरषाढ़ा नक्षत्र में है। लाभेश और अष्टमेश बुध बारहवें स्थान और तुला राशि में स्वाती नक्षत्र में है। वहीं सप्तमेश और व्ययेश शुक्र बारहवें स्थान और तुला राशि में स्वगृही है। भाग्येश चंद्र कुंडली के चौथे भाव की कुंभ राशि में पूर्वा पद नक्षत्र में है। राहु भाग्य स्थान की कर्क राशि में जब कि तीसरे स्थान की मकर राशि में गुरु व शनि युति में हैं।


क्या कहते हैं गोचर के ग्रह

यहां पर गोचर के ग्रहों का अवलोकन करने पर मालूम होता है कि छायाग्रह राहु कुंडली का भाग्य स्थान कहे जाने वाले राहु के ऊपर से भ्रमण कर रहा है। वहीं गोचर का केतु, गुरु (पंचमेश व धनेश) तथा शनि (तृतीयेश व सुखेश) पर से भ्रमण करता है। गोचर का गुरु तुला राशि में जन्म के बुध और शुक्र के ऊपर से प्रसार होता है। गोचर का शनि और मंगल कुंडली के धन स्थान कहे जाने वाले दूसरे स्थान में से धनु राशि में से गुजरता है। सूर्य व बुध कुंडली के त्रिकोण स्थान में से एक पांचवें भाव से गुजर रहे हैं। वहीं शुक्र छठे स्थान की मेष राशि से होकर गोचर करता है।


किन कारणों से संघर्षमयी जीवन

इनकी कुंडली और इसके सापेक्ष में गोचर के ग्रहों की स्थितियों को जांचने-परखने से ज्ञात होता है कि पराक्रम स्थान में विद्यमान जन्म का शनि-केतु ही इनके जीवन में संघर्ष की वजह बन रहे हैं। इसमें दर्शायी गई ग्रहीय परिस्थितियां संपूर्ण जीवन के दौरान आए उतार-चढ़ाव और चुनौतियों को दर्शा रही हैं।

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क्यों मिल रहा कार्यक्षेत्र और पब्लिक लाइफ में अपयश

ICICI बैंक की सीईओ चंदा कोचर की सूर्य कुंडली में मौजूद शनि की ऊपर से गोचर का केतु भ्रमण कर रहा है। वैदिक ज्योतिष के नजरिए से ग्रहों की एेसी प्रतिकूल चाल इनके कार्यक्षेत्र में भ्रामक परिस्थितियां पैदा करती हैं। दूसरी तरफ, गुरु के ऊपर से केतु का भ्रमण आर्थिक मामलों को सतह पर लाकर उपस्थित कर देता है। इनके ऊपर आरोप लगने की वजह भी यही है जिससे इनको अपयश का भागी होना पड़ा है। इनके ऊपर बैंकिंग प्रक्रियाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजेवाद जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं।


शुक्र के ऊपर से गुरु का भ्रमण चंदा के लिए आशीर्वाद स्वरूप

चंदा गोचर के बारे में यहां राहत वाली बात ये है कि चंदा की कुंडली में शुक्र के ऊपर से गुरु का भ्रमण इनकी प्रतिष्ठा और गरिमा पर किसी प्रकार का लांछन लगने को प्रोत्साहित नहीं करेगा। गणेश जी के मुताबिक जन्म के बुध पर से गुरु का यह शुभ भ्रमण इनको संकटों से पार लगाते हुए संकटमोचक साबित होगा।


कैसा रहेगा इनका आगामी वर्ष?

लिटिगेशन का मालिक और कारक ग्रह मंगल सूर्य के साथ है। लेकिन, तुला का गुरु छठे स्थान से अपनी पूरी दृष्टि से देखता है। इसलिए, चंदा कोचर आंतरिक विरोध से सुरक्षित रहेंगी। इसके उपरांत, इनके खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं किए जा सकेंगे। ग्रहों के पारगमन के अपनी शुभ स्थिति में आते ही लोग फिर से इनकी छवि में सुधार देखेंगे। वृश्चिक का गुरु इनके जन्म के मंगल के ऊपर से गोचर करेगा। यह सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से जब यह घटना घटित होगी तो फिर से इनको समाज में यश, सम्मान और कीर्ति मिलेगा। इसके उपरांत, कानूनी कार्यवाहियों में भी फैसले इनके हक में आते दिखाई देंगे। इस प्रकार, चंदा कोचर अपने जीवन में उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से लड़ते हुए जीत और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने की संभावना रखती है एेसी पूर्व-सूचना मिलती है।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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