ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के सोलह प्रमुख संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार शादी – विवाह भी है। भारतीय समाज में शादी को बेहद पवित्र और देवीय अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है। हल्दी लगने के बाद दुल्हा विष्णु और दुल्हन को माता लक्ष्मी के रूप में देखा जाता है। विवाह ज्योतिष व सांस्कृतिक परांपराओं से कई अधिक आपके जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला बंधंन है, और शायद इसी महत्व को ध्यान में रखकर हमारे वैदिक ऋषि मुनियों ने विवाह के वैदिक नियमों का निर्माण किया होगा। इनमे से कुछ को हम परंपरा के रूप में जानते हैं, और कुछ का पता ज्योतिष या पंडित की सहायता से लगाया जाता है। सनातन परंपराओं के चलते विवाह मुहूर्त या शादी की तारीख के पीछे एक पूरा वैज्ञानिक पक्ष काम करता है। इनमें शुक्र तारा उदय से लेकर त्रिबल और विवाह के लिए महत्वपूर्ण सभी 10 आकलन बिंदु शामिल हैं।
विवाह के लिए शुभ नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मुहूर्त अथवा किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए सही नक्षत्रों का मौजूद होना बेहद आवश्यक है। शादी तिथि के लिए शुभ नक्षत्रों की मौजूदगी अनिवार्य है। वैदिक ज्योतिष पद्धित में 27 नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है, इनमें से कुछ नक्षत्र विवाह के लिए उत्तम माने गये हैं जैसे – मूल, अनुराधा, रोहिणी, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा भाद्रपद, स्वाति, उत्तरा आषाढ़, मृगशिरा, स्वाति, रेवती और हस्त नक्षत्रों को विवाह के लिए शुभ माना गया है। वहीं अन्य सभी नक्षत्रों को विवाह के लिए अनुपयोगी या अशुभ माना गया है।
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विवाह के लिए शुभ महीने
मान्यताओं के अनुसार ज्योतिषीय गणना पर आधारित विवाह मुहूर्त में विवाह करने से वर – वधु का दाम्पत्य जीवन बेहतर होता है और साथ ही उनके बीच बेहतर तालमेल और प्रेम बना रहता है। यही कारण है कि विवाह के लिए शुभ नक्षत्र के साथ ही शुभ महीने का होना भी आवश्यक है। हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार कुल बारह महीने में से महज छः माह विवाह के लिए उचित और शुभ माने गये है। इन महीनों में ज्येष्ठ, आषाढ़, माह, फाल्गुन, वैशाख और मार्गशीर्ष महीने विवाह के लिए उपयुक्त माने गये हैं। अन्य सभी महीने विवाह के लिए ज्योतिषीय गणना में सही नहीं बैठते इसलिए अन्य सभी माह विवाह के लिए अनुपयुक्त हैं।
विवाह के लिए त्रिबल मिलान
विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए शुभ नक्षत्र व शुभ महीने के अलावा एक और महत्वपूर्ण पक्ष है, इसे त्रिबल के नाम से जाना जाता है। इसीलिए विवाह का विचार करते समय त्रिबल का विचार करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। त्रिबल अर्थात तीन बल इसमें सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का बल देखा जाता है। त्रिबल में वर के लिए सूर्य का बल, कन्या के लिए बृहस्पति का बल और वर – कन्या दोनों का सामूहिक तौर पर चंद्रमा बल पर विचार किया जाता है। ग्रहों को परिजनों के रूप में देखा जाता है। जैसे – सूर्य को वर, शुक्र को कन्या, मंगल को भाई, चंद्रमा को मां, बृहस्पति को गुरु और राहु को ससुराल पक्ष के संदर्भ में देखा जाता है। विवाह के लिए शुभ मुहूर्त पर विचार करते समय त्रिबल पर विचार करना बेहद महत्वपूर्ण पक्ष है।
विवाह के लिए वर्जित समय
गौरतलब है कि विवाह की रस्मो – रिवाजों के दौरान कई गुप्त देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है। इन शक्तियों के माध्यम से वह मिलन संभव होता है, जिसे विवाह के नाम से जाना जाता है। इन शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ही नक्षत्र, महीने और त्रिबल मिलान के बाद विवाह का उचित मुहूर्त निर्धारित किया जाता है। लेकिन साल में ऐसे भी कुछ माह होते हैं, जब इन शक्तियों की सक्रियता में कुछ कमी आती है। इसलिए इन महीनों के दौरान शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद से देवउठनी एकादशी तक विवाह पूरी तरह वर्जित रहते हैं। इसी के साथ गुरु और शुक्र तारा अस्त होने का समय भी विवाह के लिए अनुपयोगी माना जाता है।
विवाह मुहूर्त 2021 – महीने के अनुसार
साल 2021 विवाह मुहूर्त की बात करें तो साल 2021 में कुछ 49 विवाह मुहूर्त हैं। जनवरी 2021 में विवाह के लिए सिफ एक शुभ मुहूर्त है, वहीं फरवरी और मार्च के महीने में गुरू और शुक्र तारे के अस्त होने के कारण किसी के कोई योग नहीं है। शुभ विवाह मुहूर्त 2021 के अप्रैल माह में सात तिथि विवाह के लिए उपयुक्त हैं, वहीं मई 2021 के विवाह मुहूर्त की बात करें तो इस माह में विवाह के लिए 15 शुभ मुहूर्त मौजूद है। जून और जुलाई के महीने में क्रमशः नौ और पांच शुभ मुहूर्त हैं। अगस्त, सितंबर और अक्टूब के माह में वर्जित सौर मास होने के कारण विवाह के लिए को उपयुक्त मुहूर्त नहीं है। नवंबर और दिसंबर के माह में, क्रमशः सात और 6 शुभ मुहूर्त है।
विवाह के तीन विशेष मुहूर्त
साल में विवाह के लिए कुछ विशेष मुहूर्तों के भी प्रावधान है, या कहें इन दिनों में ग्रह नक्षत्रों के योग ऐसे होते हैं, जो विवाह के लिए अनुकूल होते हैं। इन विशेष दिनों में विवाह के लिए किसी तरह के मुहूर्त देखने की भी जरूरत नहीं होती है। बसंत पंचमी, अखातीज और देवउठनी एकादशी साल के ऐसे तीन दिन हैं, जब किसी शुभ मुहूर्त के भी विवाह संपन्न किए जा सकते हैं। बसंत पंचमी विवाह मुहूर्त 2021 – 16 फरवरी, मंगलवारअक्षय तृतीया विवाह मुहूर्त 2021 – 14 मई, शुक्रवारदेवउठनी एकादशी विवाह मुहूर्त 2021 – 14 नवंबर, रविवार
श्री गणेशजी के आशीर्वाद के साथ
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