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श्रावण मास का वैज्ञानिक महत्व, महादेव की कृपा का भरपूर लाभ उठाएं!

श्रावण मास का वैज्ञानिक महत्व, महादेव की कृपा का भरपूर लाभ उठाएं!

श्रावण मास का वैज्ञानिक महत्व, महादेव की कृपा का भरपूर लाभ उठाएं!

श्रावण मास
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह (सावन माह ) जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ता है। यह भारत के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है। पश्चिमी ज्योतिष व (लूनार) कैलेंडर के अनुसार, जब सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है तो श्रावण माह का शुभारंभ होताा है। भक्तजन कड़े उपवास रखते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं।

श्रावण मास का धार्मिक महत्व
क्या आप जानते है ये भगवान शिव ही थे जिन्होंने मानव जाति को बचाने के लिए हलाहल विष का पान किया? यह समय श्रावण माह का था।

समुद्र मंथन के दौरान सागर के गर्भ से तरह-तरह की मूल्यवान चीजें जैसे कि रत्न, गाय, धनुष, शंख इत्यादि निकली, जिन्हे राक्षसों व देवताओं ने आपस में बांट लिया। पर जब महासागर से प्राणघातक जहर हलाहल निकला तो यह इतना ज्यादा विषाक्त था कि सभी लोगों का दम घुटने लगा। इसकी प्रचंडता संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए काफी थी। तब समस्त संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने इसे पीने का निश्चय किया। इस घातक जहर के प्रभाव से इनका गला(कंठ) इतना नीला पड़ गया कि तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा।

सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की उपासना से लाभ
एेसा माना जाता है कि श्रावण महीने में जो भी व्रत रखता है उसे आत्मिक व आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है। इस महीने किया जाने वाला होम व रूद्राभिषेक मानव मन और शरीर को शुद्ध रखने के साथ मन को असीम शांति प्रदान करता है। देखा जाए तो यह आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हुए आपकी आत्मा को भी पवित्र बनाता है। रूद्राभिषेक के साथ ही महामृत्युंजय का पाठ और काल सर्प दोष निवारण की पूजा-अनुष्ठान के लिए यह समय अत्यंत उपयुक्त समझा जाता है।

क्या आपको अपने जीवन में गंभीर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है? क्या समस्याएं एकाएक सामने आकर निरंतर आपको भीषण कष्ट पहुंचा रही हैं? यदि आप कुछ एेसा ही अनुभव कर रहे हैं तो यह काल सर्प योग की वजह से हो सकताहै। काल सर्प योग से राहत पाने के लिए कालसर्प दोष योग निवारण यंत्र की खरीद करें।

एक आम धारणा यह भी प्रचलित है जो भी महिला जातक श्रावण सोमवार का व्रत करती है, उन्हें वांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस मास रखें जाना वाला उपवास आपके पथ से सभी बाधाओं व कठिनाइयों को दूर कर देता है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पहले से बेहतर हो जाने के साथ-साथ संकल्पशक्ति भी अद्भुत रूप से बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, आपकी स्मरणशक्ति में भी इजाफा हो जाता है।

क्या आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करके उन्हें खुश करना चाहते हैं? तो देर किस बात कि, अभी अपने घर सिल्वर बेस युक्त क्रिस्टल शिवलिंग व महा मृत्युंजय यन्त्र ले आएं। अभी खरीदने पर इस यंत्र में आपको विशेष रूप से 10% की छूट भी मिलेगी!

श्रावण के उपवास का वैज्ञानिक महत्व
श्रावन मास के समय संपूर्ण ब्रह्मांड शिव के तत्वों से युक्त होता है। भगवाव शिव को समर्पित अनुष्ठानों के माध्यमन से मन, इंद्रियां, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है। सूरज की कम रोशनी के कारण हमारी पाचन तंत्र कमजोर व नाजुक हो जाता है। इसलिए, एेसे समय ताजे व हल्के भोजन ग्रहण करें। चूंकि जल जनित रोग मानसून के दौरान अधिक तेजी से फैलते हैं, अतः अपने शरीर से इन जहरीले तत्वों को बाहर निकालना अत्यंत आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त, साबूदाने से बनी चीजें खाना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत बढ़िया रहेगा।

श्रावण मास के उपवास को कैसे सफलतापूर्वक पूरा करें? गणेशजी के कुछ सुझाव-

क्या करेंः
शाकाहारी बनें-श्रावण माह के दौरान, पाचन तंत्र को अच्छा रखने के लिए खानपान पूरी तरह से शाकाहारी रखें।कम खाएं-भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कम से कम सप्ताह में दो बार उपवास रखें। सोमवार की शाम को, शिव व चंद्रमा की पूजा-अर्चना करने के बाद मोती धारण करें। रूद्राक्ष की पूजा करें- आज ही विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाहानुसार पंचमुखी और चौदहमुखी रूद्राक्ष प्राप्त करें।

क्या न करें:
गरिष्ठ यानीकि जो भोजन आपके शरीर के लिए भारी हैं, उनसे परहेज करें। बासी भोजन कदापि न करें। तेलयुक्त व मसालेदार खाने से यथासंभव बचें।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम