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इस सावन में साढ़े पांच सौ साल बाद बना यह दुर्लभ योग

इस सावन में साढ़े पांच सौ साल बाद बना यह दुर्लभ योग

6 जुलाई 2020 से शुरू हुए सावन के महीने में ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कई रोचक और दुर्लभ योग देखने को मिलेंगे। इस माह की शुरुआत से लेकर अंत तक कई ऐसे योग और परिस्थियां बनेंगी, जो धार्मिक तौर पर महत्वपूर्ण और दुर्लभ मानी जाती है। इस बार सावन की शुरुआत सोमवार से हुई है और सावन का आखिरी दिन रक्षाबंधन भी सोमवार को ही पड़ेगा। रक्षाबंधन इस बार तीन अगस्त को है। सावन की शुरुआत से पहले गुरु वक्री होते हुए धनु राशि में प्रवेश कर गए हैं। राहु और केतु की चाल हमेशा ही वक्री रहती है। वहीं शनि अपनी खुद की राशि में वक्री है। ज्योतिष शास्त्र के चार बड़े ग्रहों के वक्री काल में सावन आने की यह स्थिति इससे पहले 1462 में देखने को मिली थी। उस समय सावन की शुरुआत जून महीने के तीसरे सप्ताह में ही हो गई थी।

सोमवार से सोमवार तक सावन

भगवान शिव की आराधना के लिए सावन का महीना उत्तम माना गया है। सावन के इस पावन महीने में रोज प्रातःकाल जल, बिल्व सहित अन्य आवश्यक पूजा सामग्री से भगवान शिव का अभिषेक करने से जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। सावन के दौरान राशि अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से नौकरी, व्यापार, वैवाहिक जीवन, प्रेम संबंध और स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक परेशानियों से छुटकारा मिलता है। वर्ष 2020 में शुरू हो रहा सावन का यह महीना इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि इस साल सावन की शुरुआत भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार को ही हो रही है। इसी के साथ इस माह के अंतिम दिन भी सोमवार ही आने वाला है। धर्माचार्यों और ज्योतिषियों के अनुसार यह एक दुर्लभ योग है और कई सालों के अंतराल में ऐसे योग बनते है। धर्माचार्यों के अनुसार सोमवार भगवान शिव का अति प्रिय दिन है। सावन माह की शुरूआत और अंत सोमवार के ही दिन होना धार्मिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

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558 साल बाद आया ऐसा सावन

लगभग साढ़े पांच सौ साल पहले सावन के दौरान चार ग्रह वक्री थे। उसमें गुरु और शनि जैसे अपने ग्रह अपने घर में वक्री थे। इस साल सावन की शुरुआत चार बड़े और प्रभावी ग्रहों के वक्री रहते हो रही है। 6 जुलाई को शुरू हो रहे सावन के दौरान गुरू, शनि, राहु और केतु उल्टी दिशा में भ्रमण कर रहे होंगे। इसी के साथ गुरू और शनि दोनों ही स्वराशि अर्थात धनु और मकर में व्रकी रहने वाले है। सावन 2020 में बन रहा यह दुर्लभ योग इससे पहले 558 वर्ष पहले 1462 में देखने को मिला था। साल 1462 में भी गुरू व शनि क्रमशः धनु व मकर में स्वराशि होकर वक्री थे और राहु केतु भी क्रमशः मिथुन और धनु में वक्री थे।

सावन में बड़े व्रत और त्योहार

सावन के इस माह में रक्षाबंधन और नागपंचमी जैसे कई महत्वपूर्ण त्योहार भी आने वाले है। इसी के साथ हरियाली अमावस्या और पुत्रदा एकादशी जैसे कई महत्वपूर्ण व्रत भी सावन में आने वाले हैं।

सावन 2020 में आने वाले त्योहार और व्रतों की तिथि

– कामिका एकादशी – 16 जुलाई, गुरूवार
– हरियाली अमावस्या – 20 जुलाई, सोमवार
– हरियाली तीज – 23 जुलाई, गुरूवार
-विनायक चतुर्थी व्रत – 24 जुलाई, शुक्रवार
– नाग पंचमी – 25 जुलाई, शनिवार
– पुत्रदा एकादशी – 30 जुलाई, गुरूवार
– रक्षा बंधन – 3 अगस्त, सोमवार

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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