प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा होती है अति फलदायी
अक्सर लोग पूछते हैं और यह जानना चाहते हैं कि प्रदोष व्रत कब है, तो हम आपको बता देते हैं कि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि यानी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। चूंकि यह समय दिन और रात के मिलन का वक्त होता है, ऐसे में यह काफी उत्तम माना जाता है। प्रदोष व्रत का अत्यंत धार्मिक महत्व है और इस दौरान भगवान शंकर की पूजा काफी फलदायी होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में व्रत एवं पूजा से इच्छापूर्ति भी होती है।
प्रदोष व्रत कथा
स्कंद पुराण के अनुसार एक गांव में एक विधवा ब्राह्मणी अपने बच्चे के साथ रहकर भिक्षा से गुजारा करती थी। एक दिन उसे भिक्षा लेकर लौटते समय नदी किनारे एक बालक मिला। वह विदर्भ देश का राजुकमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता का राज्य हड़प लिया था और पिता की हत्या कर दी थी। उसकी माता की मृत्यु हो चुकी थी। ब्राह्मण महिला ने उसे अपना लिया। एक दिन ऋषि शांडिल्य ने उस ब्राह्मण महिला को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। प्रदोष व्रत के फलस्वरूप राजकुमार धर्मगुप्त का विवाह गंधर्व राज की कन्या से हुआ। जिनकी बदौलत उसने अपना खोया राज्य प्राप्त कर लिया।
यदि आप जानना चाहते हैं कि 2024 में आपका जीवन कैसा होगा, तो 2024 की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें…
दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत कथा पाठ से मिलता है शुभ फल
जिस तरह प्रत्येक माह की एकादशी को पुण्य फलदायी माना जाता है, ठीक उसी तरह प्रत्येक कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भी व्रत उपवास के लिये अत्यंत शुभ होती है। एकादशी में जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है वहीं त्रयोदशी या प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की आराधना की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत का पालन करने से सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है और संतान की प्राप्ति होती है। वैसे तो प्रदोष व्रत का काफी महत्व होता है, लेकिन अगर दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत और पूजा की जाए तो शुभ फलों में वृद्धि हो जाती है। इसके मुताबिक सप्ताह के दिन के हिसाब से यानी जिस दिन व्रत की तिथि हो, उस दिन के हिसाब से ही प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना चाहिए, क्योंकि दिन के हिसाब से व्रत कथाएं भी अलग-अलग हैं। प्रदोष व्रत के लिए दिन का काफी महत्व होता है और उसके मुताबिक व्रत से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
प्रदोष व्रत की विधि
शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सुबह जल्द उठकर नित्य क्रम आदि से निवृत हो स्नान कर शंकर भगवान का पूजन करना चाहिये। पूरे दिन निराहारी रहकर मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय” का जप करना चाहिए। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिवजी का पूजन (शनि प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 बजे से लेकर शाम 7.00 बजे के बीच की जाती है) करना चाहिए। शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर घर के पूजन स्थल की शुद्धीकरण कर पूजा करें। शिव मंदिर में भी पूजा की जा सकती है।
करियर में परेशानी, पर्सनलाइज्ड करियर रिपोर्ट के साथ करियर की सभी समस्याओं का तुरंत समाधान पाएं।
प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए
वैसे तो प्रदोष व्रत पूरे दिन निराहार रहकर किया जाता है। इसके बावजूद आप सुबह दैनिक क्रियाओं से निपट कर दूध पी सकते हैं। इसके बाद दिन भर कुछ भी खाने-पीने से परहेज करें। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के बाद फल खा सकते हैं, लेकिन नमक से परहेज करना है।
प्रदोष व्रत खोलने के नियम
प्रदोष व्रत का उद्यापन यानी त्रयोदशी तिथि पर ही व्रत को खोलना चाहिए। हालांकि इसका उद्यापन 11 या 26 त्रयोदशी व्रत के बाद ही करना चाहिए। व्रत खोलने से एक दिन पूर्व विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूजन किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा की सारी तैयारी के बाद ‘ॐ उमा शिवाय नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन करना चाहिए। इस दौरान किसी भी तरह का भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि व्रत निर्जल रहकर किया जाता है।
शनि प्रदोष का महत्व
वैसे तो हर माह की त्रयोदशी के व्रत पुण्य फलदायी माने जाते हैं, लेकिन शनिदेव को भगवान शिव का भक्त माना जाता है, इसलिए शनिवार के दिन त्रयोदशी का व्रत समस्त दोषों से मुक्ति देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भोलेनाथ की कृपा से नि:संतानों को भी संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है एवं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत में लोहा, तिल, काली उड़द, शकरकंद, मूली, कंबल, जूता और कोयला आदि वस्तुओं का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
अभी अपनी ऑनलाइन निःशुल्क जन्मपत्री डाउनलोड करें और अपने भविष्य की योजना स्मार्ट तरीके से बनाएं!
प्रदोष व्रत सामग्री
– धूप, दीप, घी, सफेद पुष्प, सफेद मिठाइयां, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र, जनेउ, जल से भरा हुआ कलश, कपूर, बेल-पत्र, अक्षत, गुलाल, मदार के फूल, धतुरा, भांग, हवन सामग्री आदि, आम की लकड़ी
प्रदोष व्रत के लाभ
– रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष या भानु वारा प्रदोष कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत के साथ लम्बी उम्र का वरदान मिलता है।- सोमवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन व्रत से सकारात्मक विचारों की प्राप्ति होती है और सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।- मंगलवार के दिन भौम प्रदोष होता है। इस दिन व्रत रखने से स्वास्थ्य बेहतर होता है, बीमारियों से राहत मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।- बुधवार के दिन बुध या सौम्य वारा प्रदोष होता है। इस दिन व्रत से सभी मनोकामनाएं एवं इच्छाएं पूर्ण होती हैं।- गुरुवार को गुरु प्रदोष होता है। इस दिन व्रत करने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।- शुक्रवार को शुक्र या भृगु वारा प्रदोष होता है। इस दिन व्रत करने से जीवन की नकारात्मकताएं खत्म होती हैं और वैवाहिक जीवन आनंदमय होता है।- शनिवार को शनि प्रदोष होता है, जो काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति के साथ ही जीवन में सफलता मिलती है।
अपने व्यक्तिगत समाधान प्राप्त करने के लिए, एक ज्योतिषी विशेषज्ञ से बात करें अभी!
प्रदोष व्रत तिथि / कैलेंडर 2024
प्रदोष व्रत की तिथि का खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है। जिस दिन सूर्यास्त के बाद त्रयोदशी तिथि प्रबल होती है, उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। यही कारण है कि कभी-कभी प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि के एक दिन पूर्व यानी द्वादशी तिथि को ही पड़ जाता है।
तारीख | समय | प्रदोष व्रत |
जनवरी 9, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 11:58 PM, जनवरी 08 समाप्त – 10:24 PM, जनवरी 09 |
भौम प्रदोष व्रत |
जनवरी 23, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 07:51 PM, जनवरी 22 समाप्त – 08:39 PM, जनवरी 23 |
भौम प्रदोष व्रत |
फरवरी 7, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 02:02 PM, फरवरी 07 समाप्त – 11:17 AM, फरवरी 08 |
बुध प्रदोष व्रत |
फरवरी 21, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 11:27 AM, फरवरी 21 समाप्त – 01:21 PM, फरवरी 22 |
बुध प्रदोष व्रत |
मार्च 8, 2024, Friday | प्रारम्भ – 01:19 AM, मार्च 08 Ends – 09:57 PM, मार्च 08 |
शुक्र प्रदोष व्रत |
मार्च 22, 2024, Friday | प्रारम्भ – 04:44 AM, मार्च 22 समाप्त – 07:17 AM, मार्च 23 |
शुक्र प्रदोष व्रत |
अप्रैल 6, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 10:19 AM, अप्रैल 06 समाप्त – 06:53 AM, अप्रैल 07 |
शनि प्रदोष व्रत |
अप्रैल 21, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 10:41 PM, Apr 20 समाप्त – 01:11 AM, Apr 22 |
रवि प्रदोष व्रत |
मई 5, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 03:41, मई 05 समाप्त – 02:40, मई 06 |
रवि प्रदोष व्रत |
मई 20, 2024, सोमवार | प्रारम्भ – 03:58 PM, मई 20 समाप्त – 05:39 PM, मई 21 |
सोम प्रदोष व्रत |
जून 4, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 00:18 AM, जून 04 समाप्त – 10:01 PM, जून 04 |
भौम प्रदोष व्रत |
जून 19, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 07:28 AM, जून 19 समाप्त – 07:49 AM, जून 20 |
बुध प्रदोष व्रत |
जुलाई 3, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 07:10 AM, जुलाई 03 समाप्त – 05:54 AM, जुलाई 04 |
बुध प्रदोष व्रत |
जुलाई 18, 2024, बृहस्पतिवार | प्रारम्भ – 08:44 PM, जुलाई 18 समाप्त – 07:41 PM, जुलाई 19 |
गुरु प्रदोष व्रत |
अगस्त 1, 2024, बृहस्पतिवार | प्रारम्भ – 03:28 PM, अगस्त 01 समाप्त – 03:26 PM, अगस्त 02 |
गुरु प्रदोष व्रत |
अगस्त 17, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 08:05 AM, अगस्त 17 समाप्त – 05:51 AM, अगस्त 18 |
शनि प्रदोष व्रत |
अगस्त 31, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 02:25 AM, अगस्त 31 समाप्त – 03:40 AM, सितम्बर 01 |
शनि प्रदोष व्रत |
सितम्बर 15, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 06:12 PM, सितम्बर 15 समाप्त – 03:10 PM, सितम्बर 16 |
रवि प्रदोष व्रत |
सितम्बर 29, 2024, रविवार | प्रारम्भ – 04:47 PM, सितम्बर 29 समाप्त – 07:06 PM, सितम्बर 30 |
रवि प्रदोष व्रत |
अक्टूबर 15, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 03:42 AM, अक्टूबर 15 समाप्त – 00:19 AM, अक्टूबर 16 |
भौम प्रदोष व्रत |
अक्टूबर 29, 2024, मंगलवार | प्रारम्भ – 10:31 AM, अक्टूबर 29 समाप्त – 01:15 PM, अक्टूबर 30 |
भौम प्रदोष व्रत |
नवम्बर 13, 2024, बुधवार | प्रारम्भ – 01:01 PM, नवम्बर 13 समाप्त – 09:43 AM, नवम्बर 14 |
बुध प्रदोष व्रत |
नवम्बर 28, 2024, बृहस्पतिवार | प्रारम्भ – 06:23 AM, नवम्बर 28 समाप्त – 08:39 AM, नवम्बर 29 |
गुरु प्रदोष व्रत |
दिसम्बर 13, 2024, शुक्रवार | प्रारम्भ – 10:26 PM, Dec 12 समाप्त – 07:40 PM, Dec 13 |
शुक्र प्रदोष व्रत |
दिसम्बर 28, 2024, शनिवार | प्रारम्भ – 02:26 AM, Dec 28 समाप्त – 03:32 AM, Dec 29 |
शनि प्रदोष व्रत |
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम