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नाग पंचमी 2024 तारीख, महत्व, पूजन विधि और कथाएं

नाग पंचमी 2019 तारीख, महत्व, पूजन विधि और कथाएं

नाग पंचमी पर्व तिथि व मुहूर्त 2024

नाग पंचमी के दिन पूजन से कालसर्प दोष से मिलती है राहत सांंपों को देखते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है और भय व्याप्त हो जाता है। हालांकि नाग सांप से भले ही लोग डरते हों, लेकिन, चूंकि यह भगवान शंकर के गले का हार होता है, इसिलए लोग इसकी पूजा करते हैं और कहीं दिख जाए तो इसे मारते भी नहीं हैं। बात अगर सावन माह की हो तो यह तो पूरा महीना ही भोलेनाथ को समर्पित है, ऐसे में नाग देवता की भी पूजा होती है। इतना ही नहीं इस माह उनके पूजन का भी दिन निर्धारित है और वह है नाग पंचमी। इस बार 2024 में श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा।

नाग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथाएं – नाग पंचमी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। इनमें से एक भगवान श्री कृष्ण के बाल्यकाल से जुड़ी है। मान्यता के मुताबिक कान्हा अपने दोस्तों के साथ नदी के किनारे खेल रहे थे। इस दौरान कंस ने कालिया नाग को श्रीकृष्ण को मारने के लिए भेजा। कालिया नदी में छुप गया। खेलने के दौरान गेंद नदी में गिर गई तो श्री कृष्ण उसे लाने नदी में उतरे। पहले से तैयार कालिया ने उनपर आक्रमण कर दिया। लेकिन कृष्ण ने उसकी एक न चलने दी। हार कर कालिया ने कृष्ण से अपने प्राणों की भीख मांगी और दुबारा गांव वालों को तंग न करने का वचन दिया। श्री कृष्ण के कालिया नाग पर विजय के रुप में भी नाग पंचमी का त्योहार मनाने की परंपरा है। कई जगहों पर चैत्र व भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन तो कई जगह कृष्ण-पक्ष में भी नाग पंचमी मनायी जाती है।

एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक तक्षक नाग के डंसने से राजा अर्जुन के पुत्र परीक्षित की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनसे बदला लेने और नाग वंश के विनाश हेतु उनके पुत्र जन्मजेय ने सर्पों के विनाश हेतु नाग यज्ञ शुरू किया। हालांकि प्रकृति की सुरक्षा और नागों की रक्षा के लिए आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को रोका फलस्वरुप तक्षक के साथ ही नाग वंश का विनाश रुका। उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी। उस दिन से नाग पंचमी मनाने की परंपरा शुरू होने की मान्यता है।

नागों के उत्पत्ति की मान्यता – प्राचीन शास्त्रों के मुताबिक ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थी। उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी से गरुड़ और तीसरी पत्नी कद्रू जो नाग वंश से संबंधित थी से नाग और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए।

नाग पंचमी पर पूजन से दूर होता है कालसर्प दोष – नाग पंचमी पर पूजन के धार्मिक के साथ ही ज्योतिषीय कारण भी हैं। जातक की कुंडली में अगर कालसर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन पूजन से इससे राहत मिलती है। हालांकि कई ज्योतिष मानते हैं कि कालसर्प दोष जैसा कुछ नहीं होता। इसलिए किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह के बाद ही कोई उपाय करने चाहिए। इस दिन भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए।

नाग पंचमी पूजन विधि – नाग देवता की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा का पूजन किया जाता है।- भोग के रुप में दूध, धान, हल्दी, रोली, फूल और दूब अर्पित की जाती है।- पूजन के बाद आरती भी की जाती है।- नाग पंचमी की कथा भी सुननी चाहिए। – किसी बंदी नाग को मुक्त कराना भी शुभ फलदायी होती है।- दूध पिलाने से भी नागदेवता प्रसन्न होते हैं।- नाग की पूजा अकले न कर भगवान शंकर के आभूषण के रुप में करें।- नाग की पूजा करने से पहले भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए।

नाग पंचमी का महत्व – मान्यता के मुताबिक नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से सांप के डंसने का भय नहीं होता। – सांप को दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य मिलता है। – मान्यता है कि घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र बनाने से उस घर पर नागों की कृपा बनी रहती है।

नागों के प्रकार – वैसे तो पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले नागों की संख्या 80 बताई गई है, लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार सांपों के दो प्रकार दिव्य और भौम हैं, जिसमें वासुकी और तक्षक की गिनती होती है। – इनके अलावा 8 नागों को देव, यानि सभी में श्रेष्ठ माना गया है। इनमें वासुकि, तक्षक, शंख, अनन्त, पद्म, महापद्म, कुलीर और कर्कट शामिल हैं।- इन आठों को भी वर्ण के मुताबिक विभक्त किया गया है। इनमें अनन्त और कुलिक ब्राह्मण, वासुकि और शंखपाल क्षत्रिय, तक्षक और महापद्म वैश्य तथा पद्म और कर्कोटक को शुद्र माना जाता है।

नाग पंचमी 2024

शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

पंचमी तिथि प्रारंभ 09 अगस्त, 2024 को 12:36 पूर्वाह्न
पंचमी तिथि समाप्त- 10 अगस्त 2024 को प्रातः 03:14 बजे
नाग पंचमी पूजा मूहूर्त प्रातः 06:15 बजे से प्रातः 08:44 बजे तक

गणेशजी के आशीर्वाद सहित
भावेश एन पट्टनी
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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