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मीन कुंडली के दसवें भाव में बन रहा तीन ग्रहों का महासंयोजन, जानिए जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव

मीन कुंडली के दसवें भाव में बन रहा तीन ग्रहों का महासंयोजन

निरंतर गतिमान ग्रहों का राशि परिवर्तन या ग्रह गोचर लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है। इन ग्रहों के राशि परिवर्तन या भ्रमण को गोचर स्थिति कहा जाता है। ग्रहों की इस स्थिति का चंद्र राशि के अनुसार कुंडली का अध्ययन करने पर जातक के ऊपर पड़ने वाले इन ग्रहों के प्रभावों का आंकलन किया जा सकता है। कई बार किसी विशेष परिस्थिति के कारण कुंडली में दो या उससे अधिक ग्रह एक ही स्थान या भाव में एकत्र हो जाते हैं। ज्योतिष में ऐसी स्थिति को महायुति या ग्रहों का संयोजन कहा जाता है। जब किसी कुंडली में ग्रहों की महायुति या संयोजन होता है, तब उस विशेष परिस्थिति का जातक के जीवन पर गहरा और अनिश्चित प्रभाव देखा जाता है।

फिलहाल ऐसी ही एक महायुति धनु राशि में जारी है, लेकिन आगामी 8 फरवरी 2020 को मंगल के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही धनु में जारी महायुति में ग्रहों की संख्या तीन हो जाएगी। गणेशास्पीक्स के अनुभवी ज्योतिषीयों की टीम ने गुरू, मंगल, और केतु के धनु में संयोजन का राशिचक्र की सभी राशियों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्यन किया है। फिलहाल हम मीन राशि पर इसके प्रभावों का आंकलन करने वाले हैं। जल तत्व राशि मीन ब्रह्मांड वर्ण की स्त्री संज्ञक, बहु पद, जलचर, दिवबलि, हस्व, उभयोदय, फलद्रुप सम राशि है। मीन राशि द्विस्वभाव राशि है, और इसके स्वामी गुरू है। धनु राशि में तैयार हो रहा केतु और गुरू का संयोजन मंगल के आगमन से महासंयोजन में परिवर्तित होने वाला है। तीन ग्रहों का यह महासंयोजन चंद्र राशि मीन कुंडली के दसवें भाव में घटित होने वाला है। कुंडली का दसवां भाव कर्म स्थान होकर धंधा, प्रतिष्ठा, व्यवसाय, अधिकारी पद, सेठ, मालिक, वैभव, समृद्धि, यश, राजनीति, सरकार, और सार्वजनिक जीवन से संबंध रखता है।

करियर

चंद्र राशि मीन कुंडली के दसवें भाव में तैयार हो रही मंगल, गुरू और केतु की महायुति मीन जातकों के करियर पर कुछ अप्रत्याशित प्रभाव डालने वाली है। इस दौरान आपको कड़ी मेहनत के साथ गंभीर प्रयास करने होंगे, जिम्मेदारियों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करना होगा। इस दौरान आपको धैर्य और समर्पण के साथ अपने कार्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इस समयावधि के दौरान आपके अपने वरिष्ठ और उच्च अधिकारियों के साथ मतभेद भी हो सकते है। संयम के साथ अपने कार्य को पूरा करने की कोशिश करें और धैर्य रखते हुए अपने कार्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें। इससे आपको प्रगति में आने वाले अवरोधों का सामना करने में सहायता मिलेगी।

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व्यापार-व्यवसाय

मीन कुंडली के दसवें भाव में निर्मित हो रहे मंगल, गुरू और केतु के महासंयोजन का व्यापार-व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव ही देखने को मिलने वाला है। इस अवधि के दौरान आपको कुछ चुनौतियों से निपटने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि कुंडली के दसवें भाव का संबंध प्रत्यक्ष तौर पर आपके व्यवसाय से होता है, इसलिए इस दौरान आपको गंभीर और नवीन प्रयासों से अपने व्यापार को फैलाने की कोशिश करनी चाहिए। इस दौरान आपको अपने पिछले अनुभवों और सकारात्मक सोच से इन चुनौतियों का सामना करना चाहिए और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए।

प्रेम संबंध

मंगल, गुरू और केतु का कुंडली के दसवें भाव में एकत्र होना मीन कुंडली के प्रेम संबंध के लिए बिलकुल भी सहायक नहीं होने वाला है। इस अवधि के दौरान आपको अपने रिश्ते के भविष्य के बारे में कुछ संदेह और असुरक्षाएं हो सकती है। इस दौरान आपको अपने साथी के प्रति विश्वास और लाड प्यार का प्रदर्शन करना होगा। इस अवधि के दौरान आपको अपने साथी के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए उनके विचारों को समझने की जरूरत होगी। कुल मिलाकर इस महासंयोजन के दौरान आपको धैर्य रखने की जरूरत है, क्योंकि यह अवधि प्रेम संबंधों के लिहाज से बेहद जटिल और भ्रामक रहने वाली है।

निजी व वैवाहिक जीवन

मीन कुंडली के दसवें भाव में मंगल, गुरू और केतु का संयोजन निजी व वैवाहिक जीवन में सार्थक वर्तालाप और सहयोग बनाए रखने की अनुशंसा करता है। इस दौरान आपको अपने सामाजिक दायरे को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और नए सामाजिक संपर्क बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इस दौरान नए सामाजिक संपर्क बनाना आपके लिए लाभकारी हो सकता है। इस समयावधि में आप सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय रहने वाले हैं, और विभिन्न सामाजिक समारोह में भाग भी लेने वाले हैं। इससे आपको अपने सामाजिक दायरे को बढ़ाने में भी मदद मिलने वाली है।

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स्वास्थ्य

स्वास्थ्य के लिहाज से मंगल, गुरू और केतु का मीन कुंडली के दसवें भाव में तैयार होना स्वास्थ्य के लिहाज से नाज़ुक स्थिति की ओर इशारा करता है। इस दौरान मसालेदार खाने से दूरी बनाए रखें और भरपूर पानी पिए। मंगल, गुरू और केतु के संयोजन की इस लंबी अवधि में आपको तीन घंटों से अधिक खाली पेट नहीं रहना चाहिए। इस दौरान आपको नियमित रूप से व्यायाम और योग साधना का रूख करना चाहिए। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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