आज के भागदौड़ भरे जीवन में हम सभी को कई बार तनावपूर्ण समय का सामना करना पड़ता है। घर से निकलने पर ट्रैफिक, पार्किंग या लिफ्ट के लिए लंबी लाइन जैसे छोटे-मोटे रोजमर्रा के कार्यों में भी हम कई बार तनाव (stress)का सामना करते हैं। रिश्ते, घर-परिवार और कार्यक्षेत्र में होने वाली उथल-पुथल से तो कई बार हमारा पूरा दिन या सप्ताह ही तनाव में गुजरता है। यहां सवाल यह है कि हम इन तनावपूर्ण समय का सामना कैसे करें? क्या कोई ऐसी दवा या प्रक्रिया है, जिससे पूरा करने पर हमें इन स्ट्रेसफुल सिचुएशन का सामना करने और खुद को शांत रखने में मदद मिल सकें। जवाब बेहद सरल है, खुद को शांत बनाए रखें। सवाल यह है कि क्या तनाव से मुक्ति पाना इतना आसान है? क्या खुद को शांत बनाए रखना इतना आसान है? जी हां! खुद को शांत बनाए रखना एक सरल काम है, लेकिन इस शांति को प्राप्त करने की एक निश्चित प्रक्रिया है। जिसे अंग्रेजी में meditation और हिंदी में ध्यान साधना कहा जाता है। तो आइए जानते हैं, कि ध्यान या मेडिटेशन कैसे करें? जिससे आप हम खुद को शांत और सहज रख पाएंगे हैं।
मेडिटेशन (meditation) से तनाव (stress)मुक्ति – जागृत हो जाएं
अपनी आंखें बंद करें और अपने आसपास होने वाली हलचल को महसूस करें। दूर किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर होने वाली आवाज, मार्केट में होने वाला शोरगुल या घर में टीवी, एसी, फ्रीज या बच्चों का शोर शराबा सब कुछ महसूस करें। ध्यान साधना या मेडिटेशन (meditation) की प्रक्रिया थोड़ी जटिल हैं और अवेयरनेस इसका पहला चरण है। आपको हर उस चीज के प्रति अवेयर होना है, जो आपका ध्यान आकर्षित कर सकती है। एक बार जब आप इन चीजों के प्रति खुद को अवेयर कर लेते हैं तो आपका मन विचलित नहीं होता है। जब आप अपने आसपास होने वाली हर हलचल के प्रति जागृत हैं तो आपका मन संतुष्टि की भावना से भर जाता है।
calming guided meditation – अपनी सांस को नियंत्रित करें
यदि आपने कभी गौर किया हो तो आप पाएंगे कि किसी तनावपूर्ण स्थिति में आपके सांस लेने का पैट्रर्न चेंज हो जाता है। ऐसा सिर्फ तनाव में ही नहीं बल्कि खुशी, गम, क्रोध और प्रेम जैसी भावनाओं के दौरान भी होता है। जब आप क्रोध और गुस्से में होते हैं तो सांसे तेज हो जाती है, गम और दु:ख में आप रूक रूक कर सांस गहरी सांस लेते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, हमारा शरीर इसका आदि है, वह हमारी फीलिंग्स के हिसाब से हमें प्राण वायु देता हैं। जब आप स्ट्रेस या तनाव में होते हैं, तो आप तेज से लेकिन छोटी छोटी सांसें लेते हैं। शांत रहने और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए आपको अपने सांस लेने के इस इनबिल्ड सिस्टम को नियंत्रित करना होगा। इसके लिए आपको अपने शरीर, मन और मस्तिष्क को एक साथ काम में लेना होगा।
शरीर को नियंत्रण मुक्त करें – आराम
शांत चित्त होने और शांति को भीतर तक महसूस करने के लिए आपको सबसे पहले अपने शरीर को संतुष्ट करना होगा। शरीर को संतुष्ट करने के मायने क्या है? शरीर की संतुष्टी भोजन, पानी और आराम से है। मतबल जब आप ध्यान के लिए एक स्थान चुने तो वह आरामदायक होना चाहिए। संभव हो तो रीढ़ को सीधा रखें और गर्दन को थोड़ा ऊपर। यदि ऐसा करने में आपके शरीर को कष्ट हो रहा है तो पोजिशन चेंज कर लें आराम कुर्सी या बिस्तर पर लेटकर भी शांति के लिए ध्यान कर सकते हैं।
मन, मस्तिष्क और शरीर का एकीकरण – तनाव मुक्त जीवन
तनाव से मुक्ति पाने के लिए मन, मस्तिष्क और शरीर को एकीकृत करें। आज के विलासितापूर्ण जीवन में हम सभी मनुष्य अपनी इंद्रियों के गुलाम हो गए है, इसलिए हम छोटी – छोटी बातों पर बड़ा रिएक्शन देते हैं। घर से निकलने पर ट्रैफिक में झुंझलाहट, ऑफिस पहुंचने पर पार्किंग या लिफ्ट के लिए क्रोध, छोटी छोटी बातों पर बात विवाद और गुस्सा महसूस करते हैं। किसी चीज के अपने हिसाब से न होने पर खुद को या दूसरों को दोषी मानना भी तनाव के ही सिमटम्स है। अब इसमें ध्यान साधना या मेडिटेशन क्या मदद कर सकता है? इसे जानने सीधे और सरल भाषा में समझें – दरअसल साधना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे आप अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करते हैं। इंद्रियों को अंग्रेजी में हम सेंस कहते हैं, उन्हें हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर से ही संदेश प्राप्त होते हैं। जब हम साधना के माध्यम से इन तीनों चीजों को साधने लगते हैं तो हमारी इंद्रियां स्वयं भी नियंत्रित हो जाती है। जब इंद्रिया नियंत्रित हो तो आपको क्रोध, गुस्सा, अवसाद, तनाव या अन्य किसी भी प्रकार की भावना को सीमित करने में आपको मदद मिलती है। आप एक शांत चित्त और खुशनुमा व्यक्ति के रूप में खुद के विकास और प्रगति पर फोकस कर पाते हैं। अब हमने वह सब जान लिया है, जो खुद को शांत रखने के लिए जरूरी है, लेकिन इसे खुद पर कैसे लागू करें? आइए आगे जानें।
Meditation for calm and focus – तनाव मुक्ति जीवन की नींव
यदि आपने ऊपर बताए गए पाॅइंट्स को गौर से पढ़ा है तो यह प्रक्रिया आपके लिए अधिक सरल और सहज रहने वाली है। आपको बस यह करना है कि अपने लिए एक निश्चित समय और निश्चित स्थान का चयन करें। शुरुआत में आप 7, 14 या 21 मिनट के लिए इस प्रक्रिया को करें। आरामदायक मुद्रा में बैठे और आंखें बंद कर जागृति की ओर बढ़ें। अपने आसपास मौजूद चीजों के प्रति अवेयर हो जाएं जैसे ध्वनी, हवा का बहाव, गंध और अपने आसपास की हर चीज को महसूस करें। एक बार जब आप अपने आसपास के वातावरण से जुड़ जाते हैं तो आप जागृत हो जाते हैं। और आपकी इंद्रिया आपको विचलित नहीं कर पाती। अब अपना ध्यान अपनी सांसों की गति पर केंद्रित करें। गहरी और लंबी सांस लें, सांसों के आने और जाने की प्रक्रिया को अपनी नाभी पर महसूस करें। सांसे लेते समय पेट को फूलना और सिकुड़ना चाहिए। अब सांसों की गति और नियंत्रित करना शुरू करें। सांस को छोड़ने और पुनः लेने के बीच शुरूआत में तीन सेकंड का अंतर रखें फिर अपनी प्रेक्टिस के अनुसार से बढ़ाते रहें। सांस लेकर तीन या सात सेकंड़ होल्ड करें, फिर धीरे – धीरे सांस छोड़े। सांस छोड़ने के बाद फिर तीन या सात सेकंड होल्ड करें फिर धीरे धीरे पेट से गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया को शुरुआत में 7, 11, 14 या 21 मिनट तक जारी रखें और फिर इसे अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाएं। शुरूआत में आपको अपनी सांसों को नियंत्रित करने में काफी परेशानी होगी, कई बार महसूस होगा कि यह बेहद मुश्किल काम है। कम से कम 21 दिनों तक एक निश्चित स्थान और निश्चित समय पर इस प्रक्रिया को दोहराने से आपको यह बेहद समझ और सरल लगने लगेगी। एक बार अपनी सांसों को नियंत्रित कर लेने पर आपको समय का भी ज्ञान नहीं रहेगा। आप पाएंगे कि शुरुआत में जिस प्रक्रिया को आप 7 मिनट नहीं कर पा रहे थे अब उसे घंटों तक दोहराते रहेंगे। इस प्रक्रिया की सफलता आपको अपने दैनिक जीवन में साफतौर पर देखने को मिलेगी। आप खुद को अधिक शांत और तनाव मुक्ति पाएंगे। आपको लगेगा जैसे कई जन्मों का भार आपके सिर से किसी ने हटा दिया हो और आप खुद को अधिक खुश और मजबूत महसूस करेंगे।