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कुंडली के चौथे भाव में शुक्र का महत्व

कुंडली के चौथे भाव में शुक्र का महत्व

शुक्र एक बलवान ग्रह है वे सौंदर्य एवं प्रेम के स्वामी होने के साथ ही संजीवनी विद्या के भी कारक है। शुक्र के शुभ प्रभाव में जातक दयालु, मिलनसार, सुंदर, मोहक, ललित कला में माहिर, शांतिप्रिय, यशस्वी, उदार, तथा सदैव खुशमिजाज रहने वाले होता है। वहीं शुक्र के दूषित होने के कारण गृह जीवन में कलह, प्रणय में संदेह, हठवादिता, आर्थिक संकट, त्वचा, गले में खराश, प्रजनन अंग, गुप्तांग, नसों के विकार हो सकते है। शुक्र के अशुभ प्रभावों में जातक खान-पान एवं आनंद प्रमोद में अधिक रस लेते है, मदिरापान करने वाले और चरित्रहीनता को प्राप्त करते है। इसके अलावा पीठ का दर्द, मधुमेह, रक्त विकार या किडनी के रोग होने की संभावना रहती है। शुक्र एक बलवान ग्रह है और शरीर की सात धातुओं में एक पर इसका अधिपत्य है। वहीं कुंडली का चौथा भाव सुख भाव या मातृस्थान के नाम से जाना जाता है। इस भाव का संबंध माता, सुख, मकान, वाहन, जमीन, कृषि, बाग-बगीचा, स्कूल-कॉलेज की शिक्षा, मन, तृष्णा, लालसा, महत्वाकांक्षा, घनिष्ठ प्रेम और मातृ सुख जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से होता है। जब कुंडली के चौथे भाव में शुक्र बैठे हो तब वे जताक की जीवन शैली, घरेलू मामले, रिश्ते, धन, परिवार, जमीन जायदाद आदि क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते है।

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सकारात्मक

जब शुक्र कुंडली के चौथे भाव में बैठे हो तब वे जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते है। शुक्र के प्रभाव जातक को जीवन के सभी सुख, वैभव और विलासिता प्राप्त करने के सहायक हो सकते है। शुक्र जातक के घरेलू जीवन में भी सहायक सिद्ध हो सकते है, वे जातक को पारिवारिक जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए रचनात्मक नजरिया प्रदान कर सकते है। जिन जातकों की कुंडली के चौथे स्थान पर शुक्र मौजूद होते है वे आश्चर्यजनक रूप से धन, संपत्ति और आयुष्य प्राप्त कर सकते है। कुंडली के चौथे घर में शुक्र की मौजूदगी जातक को रूप रंग और प्रभावी व्यक्तित्व देने का कार्य कर सकती है। ऐसे जातक लोगों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते है और उन्हे ऐसा करने से खुशी प्राप्त होती है। वे कुछ अद्वितीय गुण और क्षमताओं के धनी होते है। जो उन्हे अन्य लोगों से अलग करने का कार्य करती है।

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चौथे घर में शुक्र जातक को संवेदनशील और भावनात्मक तौर पर एक जिम्मेदार व्यक्तित्व प्रदान करने का कार्य करते है। उनके इस स्वभाव के कारण उन्हे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्राप्त होती है। उनका भावनात्मक और संवेदनशील स्वभाव उनके लिए नैतिक समर्थन जुटाने का कार्य करता है। कई मौकों पर ऐसे जातक खुद को दूसरों से अलग समझते है। वे अपनी उपलब्धियों को लोगों के सामने प्रसारित नहीं करते और उन्हे छिपाकर रखने का प्रयास करते है। चौथे भाव में शुक्र जातक को कम मगर स्पष्ट और सरगर्भित बात करने की क्षमता प्रदान करते है। वे जातकों को अन्याय और दुराचार के खिलाफ खड़ा होने और उससे लड़ने के लिए प्रेरित करते है। कुंडली के चौथे भाव में शुक्र वैवाहिक जीवन के लिए भी सकारात्मक प्रभावों का संचार करते है। कुंडली के चौथे स्थान पर शुक्र वाले जातक वैवाहिक जीवन सुख और शांति के साथ व्यतीत करते है। उनके और उनके साथी के बीच सम्मान और प्रेम का मजबूत गठजोड़ देखा जा सकता है। वे अपने जीवन साथी के समर्थन और उनके त्याग की सरहना भी करते है।

नकारात्मक

जहां कुंडली के चौथे भाव में शुक्र जातक पर सकारात्मक प्रभाव डालते है, वहीं कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों में वे नकारात्मक प्रभावों का भी संचार करते है। कुंडली के चौथे स्थान पर प्रतिकूल परिस्थितियों में बैठे शुक्र जातक के पारिवारिक जीवन को नकारात्मक तरीके के प्रभावित करने का कार्य करते है। वे निजी संपत्ति प्राप्त करने में अढ़ंगा डालने का कार्य कर सकते है। ऐसे जातक अपने पारिवारिक मामलों में उलझकर निजी संपत्ति प्राप्त करने से चूक सकते है। ऐसे जातकों को विपरीत लिंगी व्यक्ति के सामने अपनी बात रखने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुछ सावधानी और सामान्य ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है। ऐसे जातकों को अपने जान पहचान और परिचित लोगों से किसी भी संबंध में धोखे और विश्वासघात मिलने की आशंका होती है। ऐसे जातक अपने परिचित और प्रिय लोगों से संवाद की कमी के कारण अपने संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते है। उनका ऐसा स्वभाव अंततः उनके जीवन में गंभीर संघर्ष की स्थिति को जन्म देने का कार्य कर सकता है। ऐसे जातकों में अंहाकार का पोषण करने की गंभीर समस्या होती है। वे अपने अपने अहांकार के कारण अपनी सामाजिक पहचान और नैतिक मूल्यों को खो सकते है। हालांकि शुक्र की प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ रहे जातक कुछ सामान्य और सरल ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से अपने जीवन को सुखी और सरल बना सकते है।

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निष्कर्ष

कुंडली के चौथे भाव में शुक्र जातक को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह से प्रभावित कर सकते है। शुक्र के प्रभाव जातक की स्थितियों, दृष्टिकोण और उनके कार्यों के अनुसार बदल सकते है। हालांकि शुक्र जातकों को जीवन की किसी भी स्थिति में आनंद का अनुभव कराते है। चाहे उसका संबंध जीवन के किसी भी क्षेत्र से हो। ऐसे जातकों को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में चरम आनंद की प्राप्ति होती है। ऐसे जातकों को प्रेम संबंध, शारीरिक सुख, विलासिता, वाहन, घर, आदि क्षेत्रों में अन्य जातकों की अपेक्षा अधिक सुख प्राप्त होते है।

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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम