अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: योगासन से ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करें
2025 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हर साल पूरा विश्व योग करता है। वैसे तो पुराने समय से ही ऋषि-मुनि योग के जरिए ही खुद को निरोग रखते आए हैं, लेकिन अब आम लोग भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए योगासन का सहारा ले रहे हैं। हाल के कुछ वर्षों में योग और योगासन की लोकप्रियता और स्वीकार्यता बढ़ी है। योग केवल आपको शारीरिक और मानसिक रुप से ही स्वस्थ नहीं रखता बल्कि विभिन्न योगों के जरिए आप स्वस्थ रहने के साथ ही ग्रहों को बुरे प्रभावों को भी दूर कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं कि इस विश्व योग दिवस पे किस योगासन के जरिए किस ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के साथ ही अपनी किस शारीरिक समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
सूर्य के लिए योगासन – सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम और अग्निसार
अगर कुंडली में सूर्य नकारात्मक हो तो आत्मविश्वास डगमगा जाता है। इससे आंखों की रोशनी, स्नायु तंत्र, ह्रदय रोग और रक्त संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए नियमित रूप से सूर्य नमस्कार, अनुलोम – विलोम और अग्निसार आदि योग करना चाहिए।
चंद्रमा के लिए योगासन – अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका प्राणायाम
चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में जातक को हमेशा तनाव और बेचैनी का एहसास होता है। ऐसे में खुद को स्वस्थ रखने और चंद्रमा को मजबूत करने के लिए नियमित रुप से अनुलोम–विलोम और भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए। इसके अलावा जितना हो सके पानी भी पीएं।
मंगल के लिए योगासन – पद्मासन, मयूरासन और शीतलीकरण प्राणायाम
कमजोर मंगल नकारात्मक प्रभाव देता है। आपके जीवन में किसी चीज की काफी अधिकता या काफी कमी हो जाती है। मंगल के नकारात्मक प्रभाव से निजात पाने के लिए पद्मासन, मयूरासन और शीतलीकरण प्राणायाम करना आपके लिए लाभदायक होगा।
ज्यादा तकनीकी बातों में जाने की बजाय, यहां हम समझेंगे कि चिंता से कैसे निपटें।
बुध के लिए योगासन – अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और भस्त्रिका
बुध के नकारात्मक होने की स्थिति में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचाव के लिए नियमित रुप से अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और भस्त्रिका लाभदायक होता है।
बृहस्पति के लिए योगासन – कपाल भाति, सर्वांगासन और अग्निसार के अलावा सूर्य नमस्कार
गुरु के कमजोर होने की स्थिति में कई तरह की बीमारियां सामने आती हैं। जातक डायबिटिज और कैंसर से भी पीडि़त हो सकता है। इससे बाचव के लिए नियमित रुप से कपाल भाति, सर्वांगासन और अग्निसार के अलावा सूर्य नमस्कार लाभकारी होता है।
शुक्र के लिए योगासन – धनुरासन, हलासन और मूलबंध
कमजोर शुक्र कई तरह की व्यक्तिगत समस्याएं बढ़ाता है। महिलाओं में भी कई तरह के रोग उत्पन्न करता है। इससे बचाव के लिए नियमित रुप से धनुरासन, हलासन और मूलबंध आदि लाभकारी होते हैं।
शनि के लिए योगासन – धनुरासन, हलासन और मूलबंध
शनि के नकारात्मक प्रभाव के कारण गैस्ट्रिक, एसिडिटी, आर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप और ह्रदय संबंधी रोग हो सकते हैं। इसके अलावा कई अन्य परेशानियां भी होती हैं। इससे बचाव के लिए कपाल भांति, अनुलोम – विलोम, अग्निसार और भ्रामरी लाभकारी होता है।
राहु के लिए योगासन – अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और भस्त्रिका
राहु एक नकारात्मक ग्रह है। बुध की तरह राहू भी आपके मस्तिष्क और सोचने – समझने की शक्ति पर प्रभाव डालता है। इसके लिए सबसे कारगर ध्यान करना होता है। हालांकि नियमित रुप से अनुलोम – विलोम, भ्रामरी और भस्त्रिका से भी काफी लाभ होता है।
केतु के लिए योगासन – अनुलोम विलोम और कपालभाती
केतु के नकारात्मक प्रभाव से एनिमिया के साथ ही बवासीर, पेट के रोग औऱ स्नायु तंत्र संबंधी परेशानियां होती है। इसके प्रभावों के कम करने में अनुलोम–विलोम और कपालभाती लाभकारी होता है।
गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम