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अन्नप्राशन मुहूर्त 2026: तिथियाँ, समय और महत्व जानें
हर बच्चे की पहली उपलब्धि माता-पिता के लिए बहुत खास होती है। बच्चे का पहला शब्द, पहली आवाज़, पहला कदम और पहली बार खाना—ये पल माता-पिता सहेज कर रखना चाहते हैं। जन्म के शुरुआती छह महीनों तक शिशु केवल माँ का दूध या फ़ॉर्मूला मिल्क ही पीते हैं। इसके बाद जब बच्चा पहली बार ठोस या अर्ध-ठोस भोजन करता है तो यह एक बड़ा पड़ाव होता है। इस बदलाव को शुभ मुहूर्त देखकर मनाया जाता है, जिसे बच्चे की कुंडली के नक्षत्र या राशि के अनुसार तय किया जाता है।
इस पहले अन्न-सेवन को संस्कृत में अन्नप्राशन या अन्नप्रासन कहा जाता है। इसका अर्थ है “अन्न से परिचय”। यह संस्कार शिशु के जीवन में ठोस भोजन की शुरुआत का प्रतीक है। परंपरागत रूप से हिंदू विधि से अन्नप्राशन किया जाता है, जिसमें बच्चे को नमकीन, कड़वा, खट्टा और तीखा स्वाद केवल प्रतीकात्मक रूप से चखाया जाता है। यहाँ भोजन ज्यादा मात्रा में नहीं, बल्कि केवल रस्म के रूप में दिया जाता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में यह परंपरा थोड़े अलग तरीके से निभाई जाती है—केरल में इसे चोरूनु, बंगाल में मुखे भात, और गढ़वाल में भात खुलाई रस्म कहा जाता है।
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत सही समय पर करना बहुत जरूरी माना जाता है। शुभ समय की गणना को ही “मुहूर्त” कहते हैं। अन्नप्राशन 2026 का मुहूर्त तय करने में बच्चे का नक्षत्र सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परंपरा के अनुसार—
लड़कों के लिए: अन्नप्राशन मुहूर्त जन्म के 6वें, 8वें, 10वें या 12वें महीने में किया जाता है।
लड़कियों के लिए: यह संस्कार 5वें, 7वें, 9वें या 11वें महीने में करवाया जाता है।
सही मुहूर्त में किया गया संस्कार जीवन में सुख, स्वास्थ्य और सफलता लाता है।