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मोहिनी एकादशी 2024: जानिए कथा और व्रत-विधि के बारे में

मोहिनी एकादशी 2017: जानिए कथा आैर व्रत-विधि के बारे में

वैसे तो हर महीने दो एकादशी आती है, जिनमें एक आती है कृष्ण पक्ष में तो दूसरी आती है शुक्ल पक्ष में। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिसमें बात करें मोहिनी एकादशी तो ये भी अपने आप में विशेष महत्व रखती है। मोहिनी एकादशी वैशाख माह की एकादशी को मनार्इ जाती है। ऐसा कहते है कि मोहिनी एकादशी का सच्चे मन से व्रत करने पर मनुष्य मोहजाल से तथा पातक समूह से छुटकारा पा सकता है। तो आइए जानते है मोहिनी एकादशी से जुड़ी कथा और इस व्रत-विधि के बारे मेंः

क्यूं पड़ा मोहिनी एकादशी नामः

ऐसा कहा जाता है कि वैशाख शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। दरअसल जब समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताआें और दैत्यों के बीच लड़ार्इ होने लगी। इस पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरा और दैत्यों को मोहपाश में बांध सभी अमृत देवताआें को पिला दिया जिससे देवताआें ने अमृत्व प्राप्त किया। इसी कारण इस दिन को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि सीता की खोज के दौरान भगवान श्रीराम ने और महाभारत काल में युधिष्ठिर मोहिनी एकादशी का व्रत कर अपने सभी दुखों से मुक्त हुए थे। इस महत्वपूर्ण दिन पर, हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों द्वारा तैयार की जाने वाली हस्तलिखित जन्मपत्री प्राप्त करें।

मोहिनी एकादशी कथा:

पुराणों के अनुसार सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नामक नगरी में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज करता था। वह अत्यंत धर्मालु और विष्णुभक्त था। उसके सुमना, सदबुद्घि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्घि नामक पांच पुत्र थे। राजा का पांचवां पुत्र धृष्टबुद्घि महापापी था। वह पर-स्त्री के साथ भोग-विलास करता, जुआ खेलता और मद्य-मांस का सेवन करता था। उसके इन दुर्गुणों से परेशान होकर राजा उसे घर से निकाल देता है। घर से बाहर निकलने पर कुछ दिन तो वो अपने गहने कपड़े बेचकर अपना गुजारा कर लेता है लेकिन जब उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है तो वो भूख-प्यास से इधर-उधर भटकने लगता है। कोर्इ सहारा ना मिलने पर वो चोरी करने लगता है। जिस पर राजा उसे कारागार में ड़ाल देता है। बाद में राजा उसे अपने देश से निकाल देता है। जहां से वो जंगल में चला जाता है आैर अपना पेट भरने के लिए पशु-पक्षियों काे मारकर खाने लगता है। एक दिन भूख-प्यास से व्यथित होकर वह खाने की तलाश में घूमता हुआ कौडिन्य ऋषि के आश्रम में पहुंच जाता है। उस समय वैशाख मास था और ऋषि गंगा में स्नान कर आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के छींटे धृष्टबुद्घि पर पड़ने से उसे सदबुद्घि प्राप्त होती है। और वो ऋषि के समक्ष हाथ जोड़कर कहता है कि हे मुने! मैनें जीवन में बहुत पाप किए है, आप उन पापों से छुटकारा पाने का उपाय बताए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि कहते है कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी एकादशी करो। इसके प्रभाव से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। धृष्टबुद्घि जब ये व्रत करता तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और अंत में वह गरूढ़ पर बैठकर विष्णुलोक को जाता है। कहते है कि इस व्रत के माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से एक हजार गौदान का फल मिलता है। आपकी जिंदगी के विभिन्न क्षेत्रों में चीजें किस तरह अाकार लेगी। खरीदें 2024 कैरियर रिपोर्ट  और अपने कैरियर को लेकर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन पाए।

मोहिनी एकादशी विधि:

मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एक रात पहले से ही यानि दशमी की रात से ही नियमाें का पालन करना चाहिए। यानि सूर्यास्त के बाद भोजन ना करें। सुबह सूर्योंदय से पहले उठकर तिल का लेप लगाए या फिर तिल मिले पवित्र जल से स्नान करें। स्नान के बाद लाल वस्त्रों से सजे कलश की स्थापना कर पूजा करें और इसके बाद भगवान विष्णु तथा श्रीराम की प्रतिमा का धूप, दीप, फल-फूलों आदि से पूजन करें। पूजन के बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए। वहीं रात के समय भजन-कीर्तन करने चाहिए। और मूर्ति के समीप ही सोना चाहिए।

एकादशी पर क्या ना करेंः

– एकादशी के दिन चावल और जौ का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति पाप का भागी बनता है और उसके सभी पुण्य नष्ट हो जाते है।

– इस दिन किसी भी दूसरे मनुष्य का दिया हुआ अन्न ग्रहण ना करें, नहीं तो पूरे वर्ष भर के पुण्य नष्ट हो जाते है।

– एकादशी पर मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज आदि तामसी वस्तुअों का सेवन कभी भी ना करें, इससे मन में पापी विचार बढ़ते है।

– इस दिन क्रोध, हिंसा, परनिंदा और चोरी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति के पाप क्षीण हो जाते है।

– एकादशी के दिन अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखना चाहिए और पूर्ण ब्रहमचर्य का पालन करना चाहिए।

गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स डाॅट काॅम

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